मुर्रा भैंस की कीमत क्यों होती है इतनी ज्यादा? ऐसे कर सकते हैं असली और नकली की पहचान

मुर्रा भैंस को भारत में "काला सोना" (Black Gold) कहा जाता है. इसकी कीमत अन्य भैंसों की तुलना में ज्यादा होती है, और कुछ अच्छे दूध देने वाली मुर्रा भैंसों की कीमत तो लाखों रुपये तक पहुंच जाती है.

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नई दिल्ली:

Murrah Buffaloes: डेयरी का बिजनेस करने वाले मालिक चाहते हैं उनके पशु अच्छा दूध दें और खूब फायदा कमाएं. इसके लिए वे सही गाय-भैंस का चुनाव करते हैं. गायों में जैसे कुछ गाय अपने दूध देने की क्षमता के लिए प्रचलित होती हैं वैसे ही भैंसों में कुछ भैंस भी काफी फेमस है, जो अपने दूध देने के लिए जानी जाती है. मुर्रा भैंस को भारत में "काला सोना" (Black Gold) कहा जाता है. इसकी कीमत सामान्य भैंसों की तुलना में काफी ज्यादा होती है, और कुछ अच्छे दूध देने वाली मुर्रा भैंसों की कीमत तो लाखों रुपये तक पहुंच जाती है. यहां मुर्रा भैंस की अच्छी कीमत के कारणों और उसकी पहचान करके खरीदा और बेचा जाता है.

मुर्रा भैंस की कीमत इतनी ज्यादा क्यों होती है?

मुर्रा नस्ल की भैंस की कीमत ज्यादा होने के मुख्य कारण उसकी उत्पादकता (Productivity) और अच्छे जीन (Superior Genetics) के कारण बढ़ जाती है. मुर्रा भैंस भारत की सभी भैंस नस्लों में सबसे ज्यादा दूध देती है. एक दिन में लगभग 8 से 10 लीटर देती है और सबसे अच्छी मुर्रा भैंसे हर दिन 15 से 25 लीटर तक दूध दे सकती है. कई चैंपियन मुर्रा भैंसें तो 30-35 लीटर तक दूध देने का रिकॉर्ड भी रखती हैं, जिससे उनकी कीमत काफी होती है. 

दूध में फैट मात्रा ज्यादा होती   (High Fat Content)

मुर्रा भैंस के दूध में फैट (वसा) की मात्रा गाय के दूध की तुलना में लगभग दोगुनी होती है, जो आमतौर पर 6 प्रतिशत से 9 प्रतिशत तक होती है. डेयरी इंडस्ट्री में, दूध की कीमत मुख्य रूप से फैट की मात्रा पर निर्भर करती है. ज्यादा फैट मतलब ज्यादा मलाई (Cream), बेहतर घी और पनीर का उत्पादन, जिससे पशुपालकों को ज्यादा प्रोफिट होता है. 

इस भैंस की सीमन की मांग काफी ज्यादा है, लाखों रु में इसका सीमन बिकता है. इस भैंस के सीमन का इस्तेमाल सामान्य नस्लों में सुधार लाने के लिए किया जाता है. इनका दूध देने का कुल समय (Lactation Period) अन्य नस्लों की तुलना में अधिक होता है, जिससे बिजनेस में लाभ ज्यादा होता है.

असली और नकली मुर्रा भैंस की पहचान कैसे करें?

बाजार में मुर्रा के नाम पर क्रॉस-ब्रीड (Cross-breed) भैंसें भी बेची जाती हैं. असली मुर्रा भैंस की पहचान करने के लिए कुछ शारीरिक विशेषताओं की पहचान करनी होती है.

रंग और शारिरिक बनावट पर ध्यान देना होता है.शुद्ध मुर्रा भैंस का रंग पूरी तरह से गहरा काला होता है, जिसमें शरीर पर कोई सफेद धब्बा (Mark) नहीं होना चाहिए (सिवाय पूंछ के निचले सिरे के)। इसे "जेट ब्लैक" रंग कहा जाता है. इसके अलावा शरीर मजबूत, विशाल (Heavy) और गठीला होता है. इस भैंस का वजन लगभग 700 से 1000 किलोग्राम तक हो सकता है. सिर छोटा, पतला और चेहरा नुकीला होता है. गर्दन लंबी और पतली होनी चाहिए. मोटी गर्दन प्यूरिटी कम होने का संकेत देती है.

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सिंग से होती है खास पहचान

मुर्रा की सबसे खास पहचान उसके सींग होते हैं. ये सींग कसकर मुड़े हुए और छोटे होते हैं, जो जलेबी या जलेबी के पेंच की तरह घुमावदार होते हैं. सींग माथे से निकलकर पीछे की ओर मुड़कर कान के पास से निकलते हैं.

पूंछ और पैर

पूंछ लंबी होती है, जो घुटनों से नीचे तक जाती है. पूंछ के सिरे पर सफेद बाल का गुच्छा हो सकता है, लेकिन यह सफेद हिस्सा पिछले घुटने (Hock Joint) से नीचे ही होना चाहिए. घुटने से ऊपर सफेद मार्क होने पर नस्ल की प्यूरिटी कम मानी जाती है. थन बराबर दूरी पर, मोटे और शंक्वाकार (Conical) आकार के होने चाहिए.

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