बाबर से दारा शिकोह तक, जानिए कौन सा मुगल शासक सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा?

मुगल सम्राट सिर्फ योद्धा नहीं थे, बल्कि शिक्षा, साहित्य और विद्या में भी उनकी गहरी रुचि थी. बाबर से लेकर अकबर, शाहजहां और दारा शिकोह तक, मुगल काल में शिक्षा और साहित्य को बहुत महत्व दिया गया.

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नई दिल्ली:

Mughal Emperors Education History: भारत में मुगलों का इतिहास को लेकर आज भी चर्चाए होती है. उनके शासन ने भारतीय संस्कृति, कला और शिक्षा को गहरा असर डाला. मुगलों ने सिर्फ युद्ध और प्रशासन में ही महारत हासिल नहीं की थी, बल्कि शिक्षा और साहित्य में भी उनका योगदान काफी ज्यादा रहा. उनके दरबार में विद्वान, कवि और कलाकारों की हमेशा ही जगह रही. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाबर से लेकर अकबर और हुमायूं तक कितने पढ़े-लिखे थे. आइए जानते हैं..

बाबर (1483-1530)

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज थे. उन्हें तुर्की और फारसी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था और उन्होंने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' खुद लिखी. इसके अलावा वे इतिहास, भूगोल, कविता और इस्लामी विद्या के भी जानकार थे. बाबर का दरबार हमेशा ज्ञान और कला के लिए खुला रहता था और वे खुद भी नई-नई चीजें और विषय सीखने में काफी दिलचस्पी लेते थे.

हुमायूं (1508-1556)

अकबर के पिता हुमायूं को फारसी, अरबी, गणित और ज्योतिष में औपचारिक शिक्षा मिली थी. वे किताबों के बड़े शौकीन थे और अपने समय में लाइब्रेरी की अहमियत को बढ़ाया. हुमायूं की बहन, गुलबदन बेगम ने उनके जीवन पर 'हुमायूननामा' लिखा, जो उस दौर की सबसे जरूरी रचना मानी जाती है. उनके दरबार में विद्वानों को हमेशा सम्मान मिला और किताबों का संग्रह बड़े पैमाने पर किया जाता था.

अकबर (1542-1605)

अकबर को पढ़ना-लिखना नहीं आता था, लेकिन वे विद्वानों और ज्ञान के प्रति बहुत सम्मान रखते थे. उन्होंने भारत में शिक्षा को सुव्यवस्थित करने की कोशिश की और अपने दरबार में सभी धर्मों के विद्वानों को जगह दी. अकबर ने संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराया, जैसे महाभारत (रज़्मनामा), उपनिषद और भगवतगीता. उनके नाम से लिखी गई 'अकबरनामा' उनके शासन और योगदान का प्रमाण है. दरबार में अबुल फजल, फैजी और बीरबल जैसे विद्वान हमेशा उनके साथ रहते थे.

जहांगीर (1605-1627)

जहांगीर को फारसी और तुर्की भाषाओं का अच्छा ज्ञान था और वे साहित्य प्रेमी थे. उन्होंने अपनी आत्मकथा 'जहांगीरनामा' लिखी और ग्रंथों के संरक्षण में योगदान दिया. जहांगीर को संगीत से काफी लगाव था.

शाहजहां (1628-1658)

शाहजहां ने भी धार्मिक और दार्शनिक शिक्षा ली और दिल्ली में कई शिक्षा केंद्र स्थापित किए. उनके शासन में कला और साहित्य को भी प्रोत्साहन मिला. उन्होंने आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लाल किला जैसे कई ऐतिहासिक इमारतें बनवाईं.

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औरंगजेब (1618-1707)

औरंगजेब की शिक्षा धर्म और इस्लामी कानून पर आधारित थी. उन्हें फारसी, अरबी और शरीयत का गहरा ज्ञान था. वो धार्मिक दृष्टिकोण से कठोर थे, इसलिए उनके शासनकाल में कला और साहित्य का संरक्षण कम हुआ. हालांकि, वे लगातार धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते रहे और धार्मिक नियमों को लागू करने में निपुण थे.

दारा शिकोह

शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह को मुगल साम्राज्य का सबसे विद्वान माना जाता है. उन्होंने संस्कृत उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया और 'सीर-ए-अकबर' जैसी अहम किताब लिखा. इसके अलावा उन्होंने गीता, योगवशिष्ठ और रामायण का भी अनुवाद किया. दारा शिकोह हमेशा विभिन्न धर्मों और ज्ञान के बीच संवाद की भावना रखते थे.

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