Mughal Emperor Hat Weaving: मुगल साम्राज्य की नींव 1526 में मध्य एशियाई शासक बाबर ने की थी, जो लगभग 1857 तक चला. इस दौरान हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे कई शासक हुए.हर किसी का शासन अलग-अलग वजहों से जाना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस विशाल साम्राज्य में एक बादशाह ऐसा भी था, जो करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद टोपियां सिलकर अपने खर्चे चलाता था. आइए जानते हैं इस मुगल शासक के बारें में..
कौन सा मुगल बादशाह टोपी सिलता था
पानीपत के मैदान में जब इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने मुगल साम्राज्य की नींव रखी, तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस वंश में ऐसा शासक भी जन्म लेगा, जो सबसे क्रूर होगा, लेकिन निजी जीवन में खुद बेहद साधारण रहेगा. यह शासक कोई और नहीं बल्कि औरंगजेब था. 1658 में अपने भाइयों को हराकर सिंहासन संभालने के बाद, औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई कठोर निर्णय लिए. उसने शाही दरबार में संगीत और भव्य उत्सवों पर प्रतिबंध लगा दिया, ताकि अनावश्यक खर्च न हो. हिंदुओं पर जजिया कर लगाया और कई मंदिरों को तोड़ा. उसके शासनकाल में विस्तारवादी युद्ध और क्रूरताएं आम बात थी. इतिहासकार इसे मुगल साम्राज्य का सबसे कठिन और सख्त दौर मानते हैं. लेकिन इसी कड़े और क्रूर शासक के निजी जीवन की कहानी बिल्कुल अलग थी.
औरंगजेब क्यों बुनता था टोपी
इतिहास के अनुसार, औरंगजेब ने अपने निजी खर्चों के लिए खुद मेहनत करने की आदत अपनाई. वह अपने लिए नमाज की टोपी (तकियाह) बुनता और कुरान के पन्ने हाथ से लिखता था. फिर वह अपनी बुनी हुई टोपी बेचकर पैसे का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत खर्च के लिए करता था. शाही खजाने का इस्तेमाल करने से औरंगजेब पूरी तरह बचते थे. उनके अनुसार यह धर्मनिष्ठ और सादगी भरा जीवन था. यही कारण है कि भले ही शासनकाल में उन्होंने कठोर नीतियां लागू कीं, लेकिन निजी जीवन में वह अनुशासन और सादगी के पक्ष में था.
क्या कहते हैं इतिहासकार
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब का टोपी बुनने का काम इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप साधारण जीवन जीने की परंपरा का हिस्सा था. वहीं अन्य का मानना है कि वह खुद को धर्मनिष्ठ और विनम्र शासक के रूप में पेश करना चाहता था. इतिहास में यही वजह है कि औरंगजेब का व्यक्तित्व दोहरी छवि के रूप में दिखता है, सत्ता और क्रूरता में कड़ा, लेकिन निजी जीवन में बेहद सादा और अनुशासित था.
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