ताजमहल की सबसे विचित्र बात, ऐसे टिकी है इस अजूबे की बुनियाद

Taj Mahal Foundation: ताज महल को प्यार की निशानी माना जाता है, इस खूबसूरत इमारत को लेकर कई ऐसी बातें हैं, जिन्हें लोग कम ही जानते हैं. ऐसी ही एक विचित्र बात इसकी नींव से जुड़ी भी है.

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ताज महल के बारे में ये बात नहीं जानते होंगे आप

दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल को देखने के लिए हर साल लाखों लोग पहुंचते हैं. पिछले सैकड़ों सालों से ये संगमरमर का शानदार अजूबा मजबूती से खड़ा है और जो भी इसे देखता है बस देखता ही रह जाता है. मुगलकाल में बनी ये इमारत शानदार वास्तुकला और शिल्पकारी का अनोखा नमूना है. ताजमहल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भूकंप का भी इस पर ज्यादा असर नहीं होता है. इसके अलावा इसकी नींव खास तरह से तैयार की गई है, इसके बारे में काफी कम ही लोग जानते हैं. आज हम आपको ताजमहल की नींव के बारे में एक ऐसी विचित्र बात बताएंगे, जिसे जानकर आपको यकीन नहीं होगा. 

मुमताज के लिए बनाया ताजमहल

मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ये ताजमहल बनवाया था. मुमताज शाहजहां की सबसे खास बेगम थी, कहा जाता है कि मुमताज ने शाहजहां से कहा था कि वो उसके प्यार के नाम पर एक खूबसूरत इमारत बनवाएं. मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने अपना ये वादा पूरा किया और आगरा में ताजमहल बनाने का काम शुरू हो गया. 

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ऐसे तैयार की गई नींव

आज जब भी कोई बड़ी इमारत बनाई जाती है तो उसमें हजारों टन सीमेंट और लोहा डाला जाता है, जिससे उसकी नींव मजबूत हो और वो सालों तक टिकी रहे. अब अगर आपको ये बताएं कि ताजमहल की नींव किसी सीमेंट या लोहे से नहीं बल्कि लकड़ी से बनाई गई है तो क्या आप यकीन करेंगे? ताजमहल को यमुना नदी के किनारे बनाने में कई तरह की चुनौतियां थीं. 

ताजमहल जैसी बड़ी इमारत को बनाने के लिए भारतीय कारीगरों ने दिमाग लगाया और एक ऐसी लकड़ी का इस्तेमाल हुआ, जो पानी की नमी से और ज्यादा मजबूत हो जाती है. इस लकड़ी को इबोनी वुड कहा जाता है, ये दूसरी लकड़ी के मुकाबले अलग होती है. जहां दूसरी लकड़ियां पानी या नमी के चलते सड़ने लगती हैं, वहीं इस लकड़ी को मजबूत रखने के लिए नमी जरूरी है. यही वजह है कि ताजमहल के लिए यमुना नदी का होना जरूरी है. 

हजारों मजदूर और 22 साल का इंतजार

ताजमहल को पूरा होने में करीब 22 साल लग गए, इसमें 22 हजार से ज्यादा मजदूरों और कारीगरों ने काम किया था. इसे बनाने के लिए कई देशों से खास पत्थर मंगवाए गए. बताया जाता है कि ताजमहल में 28 तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इसकी दीवारों पर हुई नक्काशी को देखकर आज भी लोग हैरान रह जाते हैं. 

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