Indira Gandhi Death Anniversary: भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके कई कड़े और बड़े फैसलों के लिए याद किया जाता है. आज यानी 31 अक्टूबर 1984 को ही इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी, यही वजह है कि देशभर में उनकी 41वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. इस मौके पर राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के तमाम नेता इंदिरा गांधी की समाधि (शक्ति स्थल) पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. ऐसे में शक्ति स्थल की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं, जिन्हें देखकर कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर समाधि पर एक बड़ा पत्थर क्यों रखा गया है? इस पत्थर या शिला की एक खास कहानी है, जिसे काफी कम ही लोग जानते हैं. आज हम आपको इंदिरा गांधी की समाधि पर रखे इस विशाल पत्थर की पूरी कहानी बताएंगे.
क्यों रखा गया है पत्थर?
दिल्ली के राजघाट में स्थित शक्ति स्थल में रखा गया बड़ा पत्थर ओडिशा से दिल्ली लाया गया था. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. इस विशाल पत्थर का वजन 25 टन है. इंदिरा गांधी की याद में जब स्मारक बनाने की बात हुई तो उनकी ताकत दिखाने के लिए कुछ ऐसी ही चीज की जरूरत थी. उनकी आयरन वुमेन वाली इमेज को दर्शाने के लिए आयरन ओर रॉक (लौह अयस्क चट्टान) लगाने का फैसला लिया गया.
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खान से निकली खास चट्टान
इस चट्टान को ओडिशा के सुंदरगढ की खदानों से निकाला गया था. यहां स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की बरसुआन खदान में ये पत्थर पहली बार नजर आया. तत्कालीन जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर सैलेन मुखर्जी ने इस पत्थर को दिल्ली लाने का सुझाव दिया, जिसके बाद इंदिरा गांधी के करीबी पुपुल जयकर की सहमति से इसे इंदिरा की समाधि पर रखने का फैसला लिया गया.
क्या है खासियत?
इस खास पत्थर का चुनाव इसलिए किया गया, क्योंकि इसे गौर से देखने पर ये हथेली की तरह दिखता है, जो कांग्रेस का चुनाव चिन्ह भी है. इसके अलावा इसमें ड्रिलिंग से कुछ छेद भी हुए थे, जो इंदिरा गांधी के शरीर पर लगी गोलियों को दर्शाते हैं. इस पत्थर के खास हल्के लाल रंग ने भी अधिकारियों को आकर्षित किया, जिसके बाद इसे दिल्ली लाने की तैयारियां शुरू हो गईं.
स्पेशल ट्रेन से पहुंचा दिल्ली
ओडिशा से ये खास पत्थर एक खास ट्रेन से दिल्ली लाया गया, इसे काफी मुश्किल से एक कंटेनर पर लोड किया गया और फिर ट्रेन में लादा गया. ये ट्रेन ओडिशा से दिल्ली तक पहुंची और आखिरकार इंदिरा गांधी की समाधि पर इसे खड़ा किया गया. आज शक्ति स्थल पर मौजूद ये शिला आकर्षण का केंद्र है और लोग इसके साथ तस्वीरें लेते हैं.














