Mughal Era New Year Celebration: दुनियाभर में नए साल का जश्न चल रहा है. भारत में भी सेलिब्रेशन देखने लायक है. लेकिन न्यू ईयर की मस्ती हर समय ऐसी बिल्कुल नहीं रही है. औरंगजेब ने तो अपने शासनकाल में इस जश्न पर ही बैन लगा दिया था. तब इसे मनाना गुनाह माना जाता था और इसकी सजा भी मिलती थी. अगर आप भी नए साल का स्वागत करने को तैयार हैं, तो जानिए मुगलों के दौर में न्यू ईयर कैसे मनाया जाता था, औरंगजेब ने इस पर क्यों पाबंदी लगा दिया था.
मुगलों के दौर में कैसे मनाया जाता था न्यू ईयर
भारत में मुगलों का शासन 1526 में शुरू हुआ, जब बाबर ने पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराया, जो 1857 तक चला. तब फारसी नववर्ष नवरोज मुगलों के दरबार में एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता था. अकबर और शाहजहां के समय में इसे शाही तरीके से मनाया जाता था. उनके दरबार में संगीत और नृत्य, बाजारों में खरीददारी और आम लोगों में खुशी का माहौल हुआ करता था. यह दिन सिर्फ जश्न का नहीं, बल्कि आपसी मेलजोल, दोस्ती और खुशी का प्रतीक भी माना जाता था.
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मुगल शासन में कैसे मनाया जाता था नवरोज
मुगल दौर में नवरोज पर लोग नए कपड़े पहनते थे, अपने घर सजाते थे और खास पकवान बनाते थे. शाही दरबार में संगीतकार और नर्तकियां प्रस्तुतियां देते थे. लोग उपहार देते और लेते थे. यह त्योहार केवल शाही लोगों तक सीमित नहीं था, बल्कि आम जनता भी इस दिन में शामिल होती थी.
औरंगजेब ने नए साल के जश्न पर क्यों लगा दी थी पाबंदी
औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी शासक था. उसका शासन 1658 से 1707 तक था. उसके शासनकाल में शरीयत का पालन कड़ाई से किया जाता था. उसके लिए नवरोज और ऐसे अन्य गैर-इस्लामी त्योहार इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ थे. वह अपने पूर्वजों की विलासिता और भव्य शाही जीवन शैली को पसंद नहीं करता था. उसका कहना था, इन उत्सवों पर होने वाला भारी खर्च अनावश्यक और बर्बादी थी. नवरोज पर प्रतिबंध औरंगजेब की धार्मिक निष्ठा और कट्टरता का एक स्पष्ट प्रतीक था. यह दिखाता है कि उसने केवल शाही विलासिता के बजाय धर्म और कानून को महत्व दिया.














