यहां बारिश के लिए कराई जाती है मेंढकों की शादी- जानें कहां निभाई जाती है ये अजीब परंपरा

Frog Wedding For Rain: पिछले कुछ दिनों से बारिश की खूब चर्चा हो रही है, जिसकी वजह दिल्ली-एनसीआर में होने वाली क्लाउड सीडिंग थी. वहीं कई राज्यों में बारिश के लिए एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है.

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बारिश के लिए करवाई जाती है मेंढकों की शादी

Frog Wedding For Rain: दिल्ली-एनसीआर के लोग पिछले कई दिनों से बारिश का इंतजार कर रहे हैं, इसके लिए क्लाउड सीडिंग भी करवाई गई, लेकिन वो ज्यादा कारगर नहीं रही. दिल्ली में पॉल्यूशन का स्तर काफी ज्यादा है, ऐसे में एक बारिश की फुहार दिल्ली के लोगों की सांसों में घुल रहे इस जहर को कम कर सकती है. फिलहाल दिल्ली के बहाने बारिश की चर्चा पूरे देशभर में हो रही है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी अजीब परंपरा के बारे में बता रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर ही आप हैरान रह जाएंगे. बारिश करवाने के लिए कई लोग मेंढको को पकड़कर लाते हैं और उनकी शादी करवाई जाती है, मान्यता है कि इससे बादल बरसने लगते हैं. 

क्या है मेंढकों की शादी वाली परंपरा?

मेंढकों की शादी वाली ये परंपरा एक नहीं बल्कि भारत के कई राज्यों में निभाई जाती है. इस दौरान मेंढक और मेंढकी को दूल्हा और दुल्हन की तरह सजाया जाता है और फिर पूरे तामझाम के साथ उनकी शादी कर दी जाती है. ऐसी परंपरा की शुरुआत असम से हुई थी, जहां मानसून से ठीक पहले मेंढकों की शादी करवाने का रिवाज है. मेंढकों और मानसून का खास रिश्ता होने के नाते ऐसा किया जाता है और माना जाता है कि इससे इंद्रदेव खुश होते हैं. 

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इन राज्यों में भी होती है शादी

असम के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ इलाकों में भी ये परंपरा निभाई जाती है. हर साल ऐसे तमाम फोटो और वीडियो सामने आते हैं, जब दो मेंढकों की शादी कराई जाती है. अक्सर जब किसानों या फिर बाकी लोगों को सूखे का डर सताने लगता है तो वो इस तरह के टोटके अपनाने लगते हैं. 

मान्यता या फिर अंधविश्वास?

भारत के कई हिस्सों में इस तरह की अजीब मान्यताएं और परंपरा आपको दिख जाती हैं. कुछ लोगों के लिए एक अंधविश्वास है तो कुछ लोग इसे मान्यता के तौर पर मान रहे हैं. मेंढकों की शादी जिस मौसम में करवाई जाती है वो आमतौर पर मानसून का सीजन होता है, ऐसे में कुछ ही दिनों में बारिश खुद ही गिरने लगती है और लोग इसे आपस में जोड़कर देखते हैं. कुल मिलाकर ये सिर्फ और सिर्फ एक मान्यता है, जिसका बारिश होने के कारणों या फिर बादलों से कोई संबंध नहीं है. 

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