उस्मान हादी के अलावा बांग्लादेश में है इन छात्र नेताओं का बोलबाला, एक इशारे पर जुट जाते हैं लोग

इन तीन छात्रों को बंधक बनाकर इनसे जबरदस्ती कबूलनामा करवाया था, जिसके बाद बांग्लादेश में छात्र आंदोलन की ऐसी आग भड़की कि शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ गया.

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बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन

बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क चुकी है. कंट्टरपंथी समूह इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश एक बार फिर सुलग उठा है. उस्मान हादी सिंगापुर के एक अस्पताल में छह दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा और बीते गुरुवार को उसने दम तोड़ दिया. अज्ञात बंदुकधारियों ने उस्मान पर ताबड़तोड़ गोलाबारी की थी और एक गोली उसके सिर में जा लगी थी. उस्मान हादी की मौत की खबर के बाद बांग्लादेश में फिर गृहयुद्ध कि स्थिति बन गई. ढाका, धानमंडी और शहबाग समेत कई जगों पर तोड़फोड़, विरोध प्रदर्शन और आगजनी की घनटाए हुई हैं. इसमें मीडिया संस्थानों पर भी हमला हुआ है.

उस्मान हादी 'जुलाई विद्रोह' के लीडर था. उस्मान हादी के साथ-साथ ढाका यूनिवर्सिटी के तीन छात्रों ने भी ऐसा छात्र आंदोलन किया, जिसके चलते बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ गई. इन तीनों छात्रों के एक इशारे पर छात्रों ने बांग्लादेश में हाहाकार मचा दिया था.   

जिहादियों का हीरो था उस्मान हादी? 

उस्मान हादी की मौत के बाद अब उसके समर्थक उसकी हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. यही वजह है कि बांग्लादेश एक बार फिर जल उठा है. शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग और भारतीय उच्चायोग इन प्रदर्शनकारियों के निशाने पर है?   बीती 12 दिसंबर को उस पर गोलियों से हमला हुआ था. उस्मान हादी झलकाठी जिले के नलचिती उपजिला में एक मुस्लिम परिवार में जन्मा था. उसके पेरेंट्स टीचर थे, जो मदरसा में पढ़ाते थे. उस्मान खुद राजनीति विज्ञान छात्र था. महज 32 साल की उम्र में वह इस्लामिक संगठन इंकलाब मंच का प्रवक्ता बन गया था. 

गया उस्मान, अब इन 3 छात्रों के हाथ में कमान? 

अब बात करतें हैं उन तीनों छात्रों की, जिन्हें लेकर दावा किया जा रहा था कि शेख हसीना को इनकी वजह से पीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ गई. नाहिद इस्लाम, जो ढाका यूनिवर्सिटी का छात्र है और छात्र आंदोलन को कोऑर्डिनेट कर रहा है. दूसरा है आसिफ महमूद, यह भी ढाका यूनिवर्सिटी का छात्र है. इसने सजून में हुए आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन में भाग लिया था. तीसरा है अबु बकर मजूमदार, जिसने शेख हसीना को कुर्सी से हटाने में बड़ा रोल अदा किया. वह ढाका यूनिवर्सिटी में भूगोल का छात्र है. 

बांग्लादेश की डिटेक्टिव ब्रांच इन तीनों छात्र नेताओं को आंदोलन वापस लेने के लिए बंधक भी बना चुकी है. इनसे एक वीडियो बनवाया था, जिसमें उनसे कबूल करवाया कि ये तीनों बिना किसी के दबाव से आंदोलन वापस ले रहे हैं. इन तीनों छात्रों का इंफ्लुएंस युवाओं में काफी ज्यादा है, इनके एक बुलावे पर हजारों छात्र सड़कों पर उतर आते हैं.

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