SSC Exam New rule : अक्सर आपने सुना होगा कि "मेरी शिफ्ट मुश्किल थी, इसलिए नंबर कम आए" या "उसकी शिफ्ट आसान थी, इसलिए उसके नंबर बढ़ गए." SSC अब इस 'झंझट' को हमेशा के लिए खत्म करने वाला है. जी हां, आपने सही पढ़ा. अब स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) ने अपनी परीक्षाओं में नंबर बराबर करने यानी 'नॉर्मलाइजेशन' का एक बिल्कुल नया और जबरदस्त तरीका अपना लिया है. इस नए तरीके का नाम है 'इक्विपरसेंटाइल मेथड'.
SSC का कहना है कि इस नए सिस्टम से सबको बराबर का मौका मिलेगा, चाहे आपकी शिफ्ट कितनी भी मुश्किल क्यों न रही हो.
SSC के कड़े नियम, छोटी सी गलती एग्जाम से कर सकती है बाहर, आयोग ने जारी की नई ADVISORY!
पुराने नॉर्मलाइजेशन क्या था?पुराने नॉर्मलाइजेशन मेथड की बात करें तो SSC हर शिफ्ट के टॉप स्कोर और एवरेज नंबर देखता था. फिर उसी हिसाब से सबको नंबर देता था. जिसको लेकर अक्सर ये शिकायत आती थी कि अगर आपकी शिफ्ट थोड़ी मुश्किल आ गई, तो आपके नंबर कम हो जाते थे, जबकि आसान शिफ्ट वालों के नंबर बढ़ जाते थे. कई बार कैंडिडेट्स को लगता था कि उनके साथ गलत हुआ है.
वहीं, SSC ने भी माना है कि उन्हें नॉर्मलाइजेशन के असर को देखने के बाद बदलाव की जरूरत महसूस हुई.
क्या है ये नया 'इक्विपरसेंटाइल' सिस्टम?अब आपके 'नंबर' सीधे एडजस्ट नहीं किए जाएंगे. जबकि, आपकी 'रैंक' या 'परसेंटाइल' को देखा जाएगा. यानी, आपने अपनी ही शिफ्ट में बाकी स्टूडेंट्स के मुकाबले कैसा परफॉर्म किया, ये ज्यादा मायने रखेगा.
उदाहरण के लिए, अगर आपने अपनी शिफ्ट के 80% बच्चों से बेहतर स्कोर किया है, तो आपको दूसरी शिफ्ट के उस बच्चे के बराबर माना जाएगा जिसने अपनी शिफ्ट में 80% बच्चों से बेहतर स्कोर किया है. यानी, अब ये नहीं देखा जाएगा कि आपके कितने नंबर आए, बल्कि ये देखा जाएगा कि आप अपनी शिफ्ट में बाकी बच्चों के मुकाबले कहां खड़े थे.
इससे क्या फायदा होगा?
- अगर आपकी शिफ्ट मुश्किल थी, तो भी आपकी रैंक के हिसाब से ही आपको नंबर मिलेंगे, जिससे आपके साथ नाइंसाफी नहीं होगी.
- ये तरीका उन स्टूडेंट्स के लिए खास तौर पर अच्छा है, जिन्हें कभी-कभी पेपर में कुछ ऐसे सवाल मिल जाते थे जो उनकी शिफ्ट में थे लेकिन दूसरों में नहीं. अब ऐसे स्टूडेंट्स को भी अपनी मेहनत का पूरा फायदा मिलेगा.