ईडी (Enforcement Directorate) ने कहा है कि झारखंड (Jharkhand) की खनन सचिव पूजा सिंघल और उनके पति को उनके बैंक खातों में वेतन के अतिरिक्त 1.43 करोड़ रुपये की ‘‘भारी मात्रा'' में नकद राशि मिली थी. ईडी के अनुसार अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहीं सिंघल को राज्य के विभिन्न जिलों की जिलाधिकारी के रूप में तैनाती के दौरान यह रकम मिली. ईडी ने रांची में धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत को यह भी बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी सिंघल ने कथित तौर पर अपने ‘‘निजी खाते'' से 16.57 लाख रुपये अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) सुमन कुमार के नियंत्रण वाले खाते में स्थानांतरित किए.
कुमार को शनिवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के धन के कथित धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार किया गया. कुमार को ईडी ने रांची से गिरफ्तार किया. इससे पहले एजेंसी ने कुमार, सिंघल, उनके व्यवसायी पति अभिषेक झा और अन्य के खिलाफ छह मई को कई शहरों में छापेमारी की थी. विशेष अदालत ने उन्हें 11 मई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया. ईडी झा से पूछताछ कर रही है. ईडी ने कहा कि उसने चार्टर्ड अकाउंटेंट के आवासीय और कार्यालय परिसर से 17.79 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त की है. अधिकारियों ने नकदी की गिनती के लिए मशीन की भी सहायता ली और इस कवायद की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए थे.
एजेंसी के अनुसार, इन छापों के बाद कुल 19.31 करोड़ रुपये की नकदी जब्त हुई है और जब्ती रांची के एक अन्य स्थान से भी की जा रही है. कुमार की हिरासत का अनुरोध करते हुए एजेंसी ने अदालत से कहा कि सीए उनके घर से जब्त की गई नकदी के स्रोत के बारे में जानकारी दबा रहा था और नकदी के ‘‘वास्तविक मालिक'' का खुलासा नहीं कर रहा था.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि 2000 बैच की आईएएस अधिकारी सिंघल ने 2007-2013 के दौरान तीन जिलों के जिलाधीश के रूप में काम करते हुए अपने बैंक खातों में ‘‘नकद'' जमा किए गए धन का इस्तेमाल जीवन बीमा योजनाओं की खरीद में किया. ईडी की जांच धन शोधन के एक मामले से संबंधित है जिसमें झारखंड सरकार के एक पूर्व कनिष्ठ अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को एजेंसी ने 17 जून, 2020 को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था. सिन्हा के खिलाफ राज्य सतर्कता ब्यूरो की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद 2012 में एजेंसी ने उनके खिलाफ पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया था.
सिन्हा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की आपराधिक धाराओं के तहत धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. सिन्हा ने ईडी को बताया कि ‘‘उन्होंने जिला प्रशासन को पांच प्रतिशत कमीशन का भुगतान किया.'' ईडी ने कहा है कि सिंघल के खिलाफ ‘‘अनियमितताओं'' के विभिन्न आरोप लगाए गए, जब उन्होंने 2007-2013 के बीच चतरा, खूंटी और पलामू की उपायुक्त/जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया था.