अमन साहू की फाइल फोटो.
Aman Sahu Encounter: उम्र करीब 29, हाइट करीब साढ़े 5 फुट, लेकिन आतंक इतना कि रंगदारी, गोलीबारी, हत्या सहित 126 आपराधिक मामलों का आरोप. ये कहानी है झारखंड के क्राइम किंग अमन साहू (Aman Sahu) की. अमन साहू कहें या फिर अमन साव. झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ तक के कोयला कारोबारी या बिल्डर अमन का नाम सुनते ही खौफ में आ जाते थे. लेकिन अब अमन के आतंक का अंत हो चुका है. मंगलवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल से NIA कोर्ट रांची में पेशी के लिए लाते समय हुई मुठभेड़ में अमन साव की मौत हो गई.
पलामू में हुई मुठभेड़ में हुई अमन की मौत
यह मुठभेड़ पलामू में हुई. जहां अमन को छुड़ाने के लिए उसके गिरोह के सदस्यों ने पुलिस पर हमला किया. एटीएस की गाड़ियों पर बम से हमला किया गया. इसी दौरान अमन ने एक हवलदार से इंसास रायफल छीनकर उसपर फायरिंग करते हुए भागने की कोशिश की. जिसके बाद ATS की ओर से जवाबी कार्रवाई में अमन साहू की गोली लगने से मौत हो गई.
अमन का तो अब अंत हो चुका है. लेकिन मात्र 29 साल की अमन इतना बड़ा अपराधी कैसे हो गया. यह कहानी बड़ी दिलचस्प है. मूलरूप से रांची के बुढुमू का रहने वाला अमन साहू का शुरुआती जीवन किसी मध्यम वर्ग के परिवार के युवक की तरह ही था.
पंजाब से पढ़ाई पूरी कर खोली मोबाइल की दुकान
12वीं तक पढ़ाई के बाद अमन ने पंजाब के मोहाली स्थित टेक्निकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा की पढ़ाई पूरी की. फिर रांची के पतरातू में आकर एक मोबाइल की दुकान खोली. मोबाइल की दुकान चलाने वाला अमन साहू कुछ ही सालों में झारखंड का नामी कुख्यात हो गया. यह कैसे हुआ जानिए इस रिपोर्ट में.
मोबाइल दुकान से ही अपराधियों के संपर्क में आया अमन
अमन साहू पतरातू में मोबाइल दुकान चलाते हुए अपराधियों के संपर्क में आया. बताया जाता है कि उसके दुकान में पर बदमाशों का आना-जाना लगा रहता था. इसी दौरान पलामू के कुख्यात सुजीत सिन्हा से अमन का मेलजोल बढ़ा. फिर वो सुजीत के साथ मिलकर कोयला कारोबारियों को धमकाने, कोल साइडिंग पर हमला करने में जुट गया.
लॉरेंस बिश्नोई गैंग से अमन साहू का हुआ संपर्क
कुछ दिनों बाद अमन ने सुजीत का साथ छोड़ दिया और खुद का गैंग बनाकर उसने क्राइम की दुनिया में पांव जमाए. इसी दौरान उसका संपर्क लॉरेंस बिश्नोई गैंग से भी हुआ. बिश्नोई के संपर्क में आने से अमन का संपर्क बड़े गैंग और विदेशी हथियारों तक हुआ.
17 साल की उम्र में पहला अपराध, 2019 में पहली बार हुई गिरफ्तारी
अमन साहू को जानने वालों लोगों ने बताया कि उसने 17 साल की उम्र में पहला अपराध किया था. उसकी मौत तक अमन पर 125 से अधिक मुकदमे उसके नाम पर दर्ज है. रिपोर्ट्स के अनुसार, अमन साहू पहली बार 2019 में गिरफ्तार हुआ था. तब उसपर फर्जी सिम बेचने और मारपीट करने का आरोप लगा था. लेकिन 29 सितंबर 2019 को ही बड़कागांव थाने से वो फरार हो गया था.
अलग-अलग जेलों में बंद रहा अमन साव
2020 तक अमन अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन चुका था. उसका खौफ पूरे कोयलांचल बेल्ट में थी. हजारीबाग के कई थानों में उसके नाम की फाइलें बन रही थी. इसी दौरान 2020 में रांची के तत्कालिन एसएसपी सुरेंद्र झा की टीम ने रांची से उसे गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद अमन झारखंड के अलग-अलग जेलों में रहा.
10 अलग-अलग जेलों में कैद रहा अमन
- 29 अक्टूबर 2021 को रांची से पाकुड़ जेल
- 13 अप्रैल 2022 को गिरिडीह जेल
- 23 जुलाई 2022 को मंडल कारा सिमडेगा
- 17 सितंबर 2022 को पलामू जेल
- 24 नवंबर 2022 को दुमका जेल
- 19 अगस्त 2023 को फिर से पलामू जेल
- 20 जून 2024 को फिर से गिरिडीह जेल
- 21 जुलाई 2024 को गिरिडीह से चाईबासा जेल
- 13 अक्टूबर 2024 को चाईबासा से रायपुर जेल
चुनाव लड़ने की भी कर रखी थी तैयारी
हाल ही में संपन्न हुए झारखंड विधानसभा के चुनाव में अमन भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में था. अमन बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहता था. हर पर्व-त्योहार पर शुभकामनाओं वाले अमन के संदेश वायरल होते थे. जेल से चुनाव लड़ने की उसने बकायदा पूरी तैयारी कर ली थी. लेकिन हाईकोर्ट ने 100 से अधिक आपराधिक मामलों का हवाला देते हुए उसे चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी थी.
10 प्वाइंट्स में जाने अमन साहू की पूरी जिंदगी
- मात्र 17-18 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले एक छोटे से गांव के इस युवक ने झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार और अन्य राज्यों में भी आतंक के नेटवर्क का विस्तार कर रखा था.
- पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अमन साव का जन्म 1995 में हुआ था. उसने 2010 में मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की थी और इसके बाद मोहाली से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया था.
- पंजाब से लौटने के बाद 2012 में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह के संपर्क में आया.
- रामगढ़ जिले के पतरातू में एक दुकान में मोबाइल की दुकान खोली. 2013 में उसने अपना गैंग बनाया और लूट, रंगदारी जैसी घटनाएं अंजाम देने लगा.
- वर्ष 2019 में उसे हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाने की पुलिस ने एक झामुमो नेता की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था.
- छत्तीसगढ़ में कारोबारियों के शोरूम पर गोलीबारी और लूटपाट की घटनाओं में अमन गैंग का नाम सामने आने के बाद वहां की पुलिस 14 अक्टूबर, 2024 को उसे प्रोडक्शन वारंट पर झारखंड से रायपुर ले गई थी.
- तभी से वह रायपुर जेल में बंद था. तीन दिन पहले रांची में कोल ट्रांसपोर्टर बिपिन मिश्रा पर फायरिंग की घटना की जिम्मेदारी अमन साहू के गैंग ने ली थी.
- अमन के सबसे खास गुर्गे मयंक सिंह ने इसे लेकर बाकायदा सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला था. अमन के नाम पर फेसबुक पर दो-तीन अकाउंट चलते थे, जिसमें हथियारों के साथ उसकी तस्वीरें पोस्ट की जाती थीं.
- पिछले तीन-चार वर्षों में शायद ही कोई महीना गुजरा हो, जब हत्या, लूट, गोलीबारी, रंगदारी, थ्रेट कॉल की घटनाओं में अमन और उसके गुर्गों का नाम नहीं आया हो.
- मंगलवार 11 मार्च को छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल से NIA कोर्ट रांची में पेशी के लिए लाते समय हुई मुठभेड़ में अमन साव की मौत हो गई.
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