Zero GST: हेल्‍थ और लाइफ इंश्‍योरेंस टैक्‍स-फ्री! जानिए प्रीमियम पर आपके कितने पैसे बचेंगे, ITC का पेच भी समझिए 

GST on Life and Health Insurance: मान लीजिए आपने 1000 रुपये का बीमा प्रीमियम भरा तो उस पर 18%  यानी 180 रुपये जीएसटी जुड़ जाता था. यानी आपकी जेब से 1,180 रुपये जाते थे. अब ये एक्‍सट्रा खर्च नहीं करना होगा.

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  • जीएसटी काउंसिल ने हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है.
  • इंश्योरेंस प्रीमियम पर पहले 18% जीएसटी लगता था, जिसे अब 22 सितंबर 2025 से प्रभावी रूप से 0 कर दिया जाएगा.
  • सरकार ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को सस्ता और सुलभ बनाकर सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है_
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56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी जीरो कर दिया गया है. यानी इंश्‍योरेंस के प्रीमियम पर आपको कोई टैक्‍स नहीं देना पड़ेगा. ये बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे. लंबे समय से ये मांग चली आ रही थी कि इंश्‍योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी कम की जाए या खत्‍म की जाए. विपक्ष ने इसे कुछ मौकों पर मुद्दा बनाया था, जबकि सरकार भी इसका हल निकालना चाहती थी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने तो पिछले साल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी भी लिखी थी कि इंश्‍योरेंस पर टैक्‍स खत्‍म किया जाए. लंबे समय की कवायद के बाद जीएसटी काउंसिल ने इसे खत्‍म ही कर दिया.

केंद्र का ये फैसला आम लोगों के लिए बड़ी राहत है. अब सवाल ये है कि इस फैसले से आपको क्‍या फायदे होंगे? इंश्‍योरेंस प्रीमियम पर आपके कितने रुपये बचेंगे? कंपनियां कहीं दूसरे रास्‍ते से तो खर्च नहीं वसूलेगी? 

अब तक क्‍या नियम रहा है?

इंश्‍योरेंस प्रीमियम पर अब तक 18 फीसदी जीएसटी का प्रावधान था. बीमा कंपनियां पॉलिसी होल्‍डर से 18% टैक्‍स वसूलती थी. मान लीजिए आपने 1000 रुपये का बीमा प्रीमियम भरा तो उस पर 18%  यानी 180 रुपये जीएसटी जुड़ जाता था. यानी आपकी जेब से 1,180 रुपये जाते थे. लंबे समय से मांग उठ रही थी कि बीमा पर टैक्स घटाया जाए ताकि ज्यादा लोग आसानी से बीमा ले सकें. अब जीएसटी खत्म होने से टर्म इंश्योरेंस, फैमिली फ्लोटर प्लान और ULIP जैसे सभी व्यक्तिगत प्लान इस टैक्स से मुक्त हो जाएंगे. 

लेकिन ये ITC का पेच क्‍या है?

दरअसल, अब तक बीमा कंपनियां ग्राहकों से 18% जीएसटी वसूलती थीं. साथ ही, उन्हें अपने कई खर्चों पर भी जीएसटी सरकार को देना पड़ता था. जैसे एजेंट का कमीशन, मार्केटिंग, दफ्तर का किराया आदि. ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी सिस्टम में कंपनियों को एक सुविधा दी गई थी कि वे अपने खर्चों पर जो टैक्स देते हैं, उसे ग्राहकों से वसूले गए टैक्स में से समायोजित (adjust) कर सकते हैं. ये सुविधा इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) कहलाती है. 

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि 

  • किसी बीमा कंपनी ने 1000 रुपये प्रीमियम लिया. उसमें से 400 रुपये दफ्तर किराये में, 300 रुपये एजेंट कमीशन में और 100 रुपये बिजली खर्च में लगाए.
  • किराया और कमीशन पर 18% जीएसटी देना पड़ा, यानी कुल 126 रुपये.
  • अब यह 126 रुपये, कंपनी ग्राहकों से वसूले गए 180 रुपये की जीएसटी में से काट लेती थी और सिर्फ 54 रुपये सरकार को देती थी.

GST जीरो, ITC भी नहीं तो फिर?

अब पॉलिसी प्रीमियम पर जीएसटी नहीं लगेगा, लेकिन ऐसे में कंपनियों को खर्चों पर दिया गया टैक्स (ITC) भी एडजस्ट करने की छूट नहीं मिलेगी. इसका मतलब ये हुआ कि कंपनियों को 1,000 रुपये के प्रीमियम पर अब खुद ही 126 रुपये का खर्च वहन करना होगा.

ऐसे में हो सकता है कि बीमा कंपनियां इन खर्चों का बोझ ग्राहकों यानी पॉलिसीहोल्‍डर्स पर डाल दे. ऐसा हुआ, फिर तो 1000 के प्रीमियम के लिए ग्राहकों को 1,126 रुपये देने पड़ सकते हैं. हालांकि एक्‍सपर्ट का मानना है कि ये अतिरिक्‍त खर्च प्रीमियम का करीब 3.31% हो सकता है. यानी यानी अगर प्रीमियम 1,000 रुपये है तो ग्राहक को कुल 1,033 रुपये तक देना पड़ सकता है.

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पॉलिसीहोल्‍डर्स को कितना फायदा होगा?

  • 1,000 रुपये के प्रीमियम पर पहले जहां ग्राहक को 1,180 रुपये देने पड़ते थे, अब जीएसटी हटने पर 1,000 रुपये ही देने पड़ेंगे. 
  • लेकिन अगर कंपनियां अपने खर्च का बोझ ग्राहकों पर डालेगी तो वो ग्राहक से 1,126 रुपये वसूल सकती है.
  • यानी कुल प्रीमियम पहले से कम होगा, लेकिन बिल्कुल 100 रुपये तक नहीं आएगा.
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि बिना जीएसटी और बिना ITC वाली स्थिति में भी ग्राहक को फायदा होगा.
  • पहले 100 रुपये की पॉलिसी पर ग्राहक को 1180 रुपये देने पड़ते थे. अब वही पॉलिसी लगभग 1,126 से 1,127 रुपये में मिलेगी.
  • दोनों ही स्थितियों में इंश्‍योरेंस का सस्ता होना तय है. 

क्यों लिया गया यह फैसला?

जानकारों के मुताबिक, इंश्‍योरेंस को लग्जरी नहीं माना जा सकता, बल्कि ये सोशल सिक्‍योरिटी का साधन है. लंबे समय से इस पर से जीएसटी हटाए जाने की भी मांग हो रही थी और रीस्‍ट्रक्‍चरिंग पर बहुत विरोध भी नहीं था. ऐसे में जीएसटी हटाकर सरकार ने इसे सस्ता और सुलभ बनाने की कोशिश की है. इससे आम लोगों की जेब पर बोझ घटेगा और ज्यादा लोग हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

FAQ: अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  • सवाल: अभी तक इंश्‍योरेंस प्रीमियम पर कितना जीएसटी लगता था?
    जवाब: अभी तक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% जीएसटी लगता था. यानी 100 रुपये के प्रीमियम पर आपको 118 रुपये देने पड़ते थे.
  • सवाल: अब नया बदलाव क्या है?
    जवाब: 56वीं जीएसटी काउंसिल ने फैसला किया है कि 22 सितंबर 2025 से बीमा प्रीमियम पर जीएसटी जीरो कर दिया जाएगा.
  • सवाल: कौन-कौन सी पॉलिसी पर असर पड़ेगा?
    जवाब: टर्म इंश्योरेंस, फैमिली फ्लोटर प्लान, यूएलआईपी (ULIP) प्लान जैसी सभी पर्सनल बीमा योजनाओं पर इसका असर पड़ेगा. इन पर अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा.
  • सवाल: इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्या होता है?
    जवाब: बीमा कंपनियां एजेंट कमीशन, ऑफिस किराया, मार्केटिंग जैसे खर्चों पर जीएसटी देती हैं. यह टैक्स वे ग्राहकों से वसूले गए जीएसटी से एडजस्ट कर लेती थीं. इसी को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) कहते हैं.
  • सवाल: जब जीएसटी जीरो हो जाएगा तो ITC का क्या होगा?
    जवाब: जब ग्राहकों से जीएसटी ही नहीं लिया जाएगा, तो कंपनियां अपने खर्चों पर दिया गया जीएसटी एडजस्ट नहीं कर पाएंगी. इसका मतलब है कि उनका यह खर्च अब सीधे उनकी जेब पर आएगा.
  • सवाल: क्या यह खर्च कंपनियां ग्राहकों से वसूलेंगी?
    जवाब: संभावना है कि कंपनियां यह अतिरिक्त खर्च पॉलिसी प्रीमियम में जोड़ दें. हालांकि अभी कुछ तय नहीं है.
  • ग्राहक को कितना फायदा होगा?
    जवाब: ग्राहकों को इंश्‍योरेंस प्रीमियम के हर 118 रुपये पर 18 रुपये की बचत होगी. यानी उन्‍हें 100 रुपये देना होगा. लेकिन अगर बीमा कंपनी ITC का खर्च प्रीमियम में जोड़ेगी तो उन्‍हें 18 रुपये की बजाय 5 से 6 रुपये की ही बचत होगी.  

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