नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे युवा, NDTV की पड़ताल में देखिए कितना व्‍यापक है 'ड्रग्‍स का जाल'

तमाम बंदिशों के बावजूद ड्रग्‍स का कारोबार फल-फूल रहा है और युवाओं के साथ ही अब वह स्‍कूली छात्रों को भी निशाना बनाने की फिराक में है. नशे के बढ़ते कारोबार को लेकर NDTV की पड़ताल.

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नई दिल्‍ली:

देश भर में ड्रग्‍स (Drugs) का जाल लगातार फैल रहा है. उत्तर प्रदेश से महाराष्‍ट्र और तेलंगाना तक ड्रग्‍स के खिलाफ सरकारें और एजेंसियां काम कर रही हैं. बावजूद इसके नशे के कारोबारी अपना जाल फैलाते जा रहे हैं. यहां तक की नशे का कारोबार युवाओं के बीच से अब स्‍कूली बच्‍चों तक ले जाने की कोशिश की जा रही है. नशे के कारोबारी नए-नए तरीके अपना रहे हैं.  उत्तर प्रदेश से महाराष्‍ट्र और तेलंगाना तक फैलते ड्रग्‍स के जाल को लेकर देखिए एनडीटीवी की खास पड़ताल 'ड्रग्‍स का जाल'. 

ड्रग्‍स कारोबारियों पर यूपी पुलिस का डंडा  

देश भर में नशे के खिलाफ जारी अभियान में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नया मुकाम हासिल किया है. पिछले डेढ़ साल में यूपी पुलिस ने डेढ़ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की ड्रग्स जब्त की है. योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने ना सिर्फ यूपी बल्कि देश के दूसरे राज्यों को भी इस अभियान में मदद की है. ड्रग्‍स के कारोबार में शामिल लोगों पर यूपी पुलिस का डंडा चल रहा है. भले ही आरोपी सेलिब्रिटी हो, लेकिन कानून अपना काम कर रहा है. 

सांपों का जहर बेचने के आरोपी एल्विश यादव ने यादव ने कभी सोचा नहीं होगा कि उसकी यह दशा होगी. उत्तर पुलिस के डीजीपी प्रशांत कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ड्रग्‍स या नारकोटिक्स की जो घटनाएं हो रही हैं उसको रोकने के लिए कितनी सीरियस है. ड्रग पेडलर्स के लिए भी हमारी स्पेशल यूनिट्स जो है वह उन चीजों को देखती है और कार्रवाई करती है. 

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1582 करोड़ रुपये की ड्रग्‍स जब्‍त, 30 हजार गिरफ्तार  

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि पिछले डेढ़ साल में 1582 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की जा चुकी है और ड्रग्स रैकेट से जुड़े 30000 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है और डेढ़ साल में कुल 2474 केस दर्ज किए गए हैं. इतना ही नहीं यूपी पुलिस ड्रग्स पर लगाम लगाने के लिए दूसरे राज्यों की भी मदद कर रही है. 

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उन्‍होंने कहा, "कुछ विदेशी लोग भी अवैध ड्रग्‍स के धंधे में लिप्‍त हैं. उसकी भी बड़ी रिकवरी की गई है और जो अन्य प्रदेशों से जो मूवमेंट होता है उसे लेकर भी हम अन्य राज्यों की पुलिस और सेंट्रल एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. हम लोगों ने कुछ जगहों में सीजर भी किए हैं जो गैंगस्टर एक्ट में जिस तरह से सीजर के प्रावधान है एनडीपीएस एक्ट में भी सीजर के प्रावधान है. उसमें भी कारवाई की गई है." 

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यूपी पुलिस उन तमाम जगहों पर नजर रखे हुए है जहां ड्रग्स का धंधा फैलने की आशंका है. 25 जून को पुलिस ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कॉलेजों के पास ड्रग्स की सप्लाई करने वाले दो बीटेक पास छात्रों समेत तीन तस्करों को गिरफ्तार किए थे. 24 किलो से ज्‍यादा गांजा बरामद हुआ. पुलिस के मुताबिक, यह व्‍हॉटसएप ग्रुप बनाकर गांजे की सप्लाई करते थे. 

सिर्फ पुलिस कमिश्‍नरेट गौतम बुद्ध नगर की ही बात करें तो नारकोटिक्स सेल बनने के बाद 400 से ज्‍यादा नशे के सौदागरों को गिरफ्तार किया गया है और करोड़ों की ड्रग्स जब्‍त की गई है. ज़ब्त किए गए हैं.

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तेलंगाना में स्‍कूली बच्‍चों को निशाना बनाने की कोशिश 

तेलंगाना में नशे के कारोबारी अब स्‍कूली बच्‍चों को निशाना बना रहे हैं. पुलिस के अभियान में यह बात सामने आई है. राज्य पुलिस ने इस साल करीब साढ़े तीन हजार स्कूलों में एंटी-ड्रग कमेटी भी बनाई हैं. राज्य में नशे पर नकेल के लिए पूरी ताकत से ऑपरेशन चलाया जा रहा है.  

चॉकलेट की शक्ल में ये एक ऐसा नशा है, जिसकी लत स्कूली छात्रों को लगाने की कोशिश की जा रही है. हैदराबाद नार्कोटिक्स एनफोर्समेंट विंग ने इस साल के पहले तीन महीने में ही गांजे से भरी 5800 किलो चॉकलेट जब्‍त की है. 

तेलंगाना के 3500 स्कूलों में एंटी-ड्रग्स कमेटी

बच्चों और युवाओं को नशे की लत न लगे, इसके लिए तेलंगाना पुलिस ने करीब 3500 स्कूलों में एंटी-ड्रग्स कमेटी स्‍थापित करने की कोशिश की है. तेलंगाना के उप मुख्‍यमंत्री भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि हम अपने समाज और अपने बच्चों के प्रति समर्पित हैं. वो हमारा भविष्य हैं. हम अपने राज्य में ड्रग्स को नहीं आने देंगे. 

तेलंगाना में छात्रों को ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई के लिए सजग किया जा रहा है. नई सरकार के एजेंडे में साफ है कि ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी. जो भी इस धंधे में शामिल मिलेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 

तेलंगाना स्‍टेट नारकोटिक्‍स ब्‍यूरो के एडीजीपी संदीप शांडिल्‍य ने कहा कि तेलंगाना से हम ड्रग्स का खतरा पूरी तरह खत्‍म करना चाहते हैं. हमारी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है. हम चाहते हैं कि 100 फीसदी दोषियों को सजा मिले. जितने भी बड़े नाम हैं, उन सब पर कार्रवाई होनी चाहिए. अभी सिर्फ 13 प्रतिशत लोगों को ही सजा मिल पाती है और बड़ी मछलियां अक्सर बच जाती हैं. 

5804 गांजा चॉकलेट बरामद, 87 गांजा प्लांट पर कार्रवाई

यह देखा गया है कि ड्रग्स के कारोबारियों के निशाने पर पब, रेस्त्रां से लेकर स्कूल-कॉलेज तक हैं. गरीबों से लेकर सेलिब्रिटीज तक इसे पहुंचाने की कोशिश हो रही है. पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है.  

साल 2024 की ही बात करें तो पहले तीन महीने में 5804 गांजा चॉकलेट बरामद की गईं हैं. 87 गांजा प्लांट पर कार्रवाई हुई है. साथ ही 5.64 किलो हैश ऑयल, 22.3 किलो कोकीन, 251 ग्राम हेरोइन, 166 ग्राम MDMA और 32 LSD टैबलेट जब्‍त की गई हैं.  

तेलंगाना पुलिस को भरोसा है कि बड़ी मात्रा में ड्रग्स की एंट्री राज्य में होना मुश्किल है, लेकिन ये भी सच है कि छोटी-छोटी मात्रा में सप्लाई भी आगे चल कर बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है.  

महाराष्‍ट्र के पुणे में मच गया घमासान 

महाराष्ट्र के एक प्रमुख शहर पुणे के नाइट क्लब में ड्रग्स ले रहे दो युवाओं की तस्वीर वायरल होने के बाद बवाल मच गया. विपक्ष ने ड्रग्स के काले कारोबार पर अंकुश लगा पाने में शिंदे सरकार को असफल बताया तो वहीं सरकार ने गैरकानूनी नाईट क्लबों पर बुलडोजर चलाने शुरू कर दिये. महाराष्ट्र में भी ड्रग्स की समस्या कितनी विकराल होती जा रही है. 

पुणे शहर के किसी पब पर बुलडोजर चल रहा है तो किसी पर हथौड़ा. देर रात तक गुलजार रहने वाली इन जगहों पर फिलहाल सन्नाटा छाया हुआ है. वजह है बीते हफ्ते वायरल एक वीडियो. इस वीडियो में दो शख्स पुणे के फर्गुसन कॉलेज रोड पर स्थित पब Liquid Leisure Lounge में ड्रग्स लेते नजर आ रहे हैं. वीडियो वायरल होते ही बवाल मच गया और पुणे की नाईट लाईफ और ड्रग्स के मेल ने पुणे पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया. एक तो नियमों की अनदेखी कर ये पब देर रात तक चल रहा था और उस पर वहां धड़ल्‍ले से युवा ड्रग्स ले रहे थे. 

पुणे पुलिस के साथ साथ इस मामले ने राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया. इसी पुणे में बीते महीने एक बिल्डर के बेटे ने अपनी आलीशान कार से दो युवा आईटी इंजीनियरों को कुचल कर मार दिया था और सत्ताधारी गठबंधन के एक विधायक पर उसे बचाने का आरोप लगा था. कानून व्यवस्था को लेकर खराब हो रही सरकार की छवि बचाने के लिये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कडी कार्रवाई के आदेश दिये. विधानसभा के मानसून सत्र के ठीक पहले मामला उजागर होने के कारण शिंदे सरकार के लिये स्थिति और भी संवेदनशील हो गई. 

जो दो युवा वीडियो में ड्रग्स लेते नजर आ रहे थे, उनकी गिरफ्तारी हुई. इनमें से एक शख्स मुंबई का रहने वाला आर्किटेक्ट है और दूसरा पुणे के आईटी उद्योग से जुड़ा है. पता चला है कि घटना वाली रात उस पब में देर रात तक पार्टी चल रही थी. इन दो गिरफ्तारियों के अलावा पुणे पुलिस और आबकारी विभाग की ओर से की गई कार्रवाई में कुल 14 लोग धरे गए. घटना वाली रात उस इलाके में तैनात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से आदेश मिलने के बाद ऐसे पबों और रेस्तरां पर प्रशासन ने तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी जो कि अवैध निर्माण कर रहे थे और जो नियमों की अनदेखी करते पाये गए. 

हाल फिलहाल में मुंबई और पुणे में ड्रग्स पकड़े जाने के आंकड़े इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि ड्रग्स माफिया ने बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों को अपनी चपेट में ले रखा है. 

ड्रग्‍स से जुड़े ये मामले बढ़ा रहे हैं चिंता 

इसी साल फरवरी में पुणे पुलिस ने छापा मारकर पास के दौड़ इलाके से मेफेड्रोन नाम के ड्रग्स की एक फैक्‍ट्री का पर्दाफाश किया. यह फैक्‍ट्री एक केमिकल निर्माण की युनिट में चल रही थी. यहां से पुलिस ने 1836 किलोग्राम मेफेड्रोन बरामद की, जिसकी कीमत पौने चार हजार करोड़ रुपये की है. 

इसी साल मई महीने के मुंबई पुलिस के आंकड़े भी चिंता पैदा करते हैं. मुंबई पुलिस ने हेरोईन के 18, चरस के 25, कोकेन के 10, गांजे के 351, मेफेड्रोन के 126 और अन्य प्रकार के ड्रग्स के 40 मामले पकड़े. नारकोटिक्‍स ड्रग्‍स एंड साइकोट्रोपिक सब्‍सटेंस कानून के तहत सिर्फ एक महीने में ही 3502 मामले दर्ज किए गए. ड्रग्स के साथ पाए गए 686 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि ड्रग्स का सेवन करने वाले 2954 लोग गिरफ्तार हुए. कुल मिलाकर 3640 गिरफ्तारियां हुईं. 

मुंबई, पुणे जैसे शहरों में ड्रग्स का मायाजाल किस हद तक फैला है, यह हकीकत कुमैल मर्चंट ने समझाई. कुमैल जांच एजेंसियों को ड्रग्स कारोबार से जुड़ी जानकारी पहुंचाने का काम करते हैं और इनकी ओर से दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस कई बड़ी कामयाबियां हासिल कर चुकी है. उन्‍होंने कहा कि जितने भी पब चलाने वाले हैं, इवेंट कराने वाले हैं, उनकी मर्जी के बिना ड्रग्स अंदर नहीं जा सकता है.

मुंबई और पुणे जैसे शहरों में 1 ग्राम मेफेड्रोन 1,000 से 3,000 रूपये में, कोकेन 3,000 से 15,000 रूपये में और मोरफिन की गोली 1200 से 4,000 रूपये में मिलती है. 

घरों के भीतर ही पैदा किया जा रहा है ड्रग्‍स 

पहले ड्रग्स की बड़े पैमाने  पैमाने पर तस्करी हुआ करती थी, लेकिन अब ड्रग्‍स घरों के भीतर भी पैदा किया जा रहा है. नशेड़ियों के बीच मेफेड्रोन नाम का ड्रग्स काफी लोकप्रिय है. इसे एमडी, मम्मी-डैडी और कैट्स आई भी कहते हैं. यह बाकी ड्रग्स के मुकाबले सस्ता भी है और बड़ी आसानी से मिल जाता है. पुणे मामले में गिरफ्तार दोनों लोगों पर आरोप है कि वे भी एमडी ड्रग्स का सेवन कर रहे थे.

मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक रह चुके समीर वानखेड़े ने बताया कि मेट्रोपॉलिटन सिटीज में मेफेड्रोन का सबसे ज्‍यादा प्रचलन है. इसकी वजह है कि इसे पुअर मैन कोकेन कहा जाता है. सस्‍ता होने के कारण कॉलेज के युवक-युवतियां जो पब्‍स और बार या डिस्‍को में जाते हैं, उनके लिए यह अफोर्डेबल होता है. मेफेड्रोन को एमडी या मियो मियो भी कहते हैं. 

अपने कार्यकाल में वानखेडे चिंकू पठान समेत कई ड्रग्स के सौदागरों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुके हैं. उनसे पूछताछ में पता चला कि ये लगातार अपने काले कारोबार के तौर तरीके बदलते रहते हैं. वानखेडे के मुताबिक, ड्रग्स माफिया पबों और नाइट क्लबों में अपना माल बेचने के लिये महिलाओं का भी खूब इस्तेमाल करते हैं. 

ड्रग्‍स के लिए इसलिए उठाया जाता है इतना रिस्‍क 

वानखेड़े ने कहा कि इसमें मैन्युफैक्चरिंग रेट और इंटरनेशनल मार्केट वैल्यू या फिर स्ट्रीट वैल्यूज में काफी अंतर होता है. यह अंतर लाखों-करोड़ों में होता है. मैन्युफैक्चरिंग प्राइस और सेलिंग प्राइस में इतना अंतर होता है तो लोग रिस्क भी उठाते हैं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चकमा देने की भी कोशिश करते हैं और सिस्टम के लूप होल्स का फायदा उठाने की भी कोशिश करते हैं. 

जाहिर है कि ड्रग्स का मकड़जाल फैलने से अपराध बढ़ते हैं और कई तरह की सामाजिक समस्याएं पैदा होतीं है, लेकिन जिस शख्स को ड्रग्स के नशे की लत लग जाए उसका क्या हश्र क्‍या होता है. इसे लेकर कुमैल ने अलग-अलग ड्रग्‍स के अलग-अलग प्रभावों के बारे में बताया. उन्‍होंने बताया कि ड्रग्‍स का नशा करने वाले कुछ लोग अपनी ही धुन में चले जाते हैं और उन्‍हें यह पता ही नहीं होता है कि उनके पास में कौन है. वहीं कुछ ड्रग्‍स का सेवन करने के बाद आदमी 10-15 घंटे तक लगातार नाचता रहता है. 

जानकारों का मानना है कि जागरूकता और सरकारी एजेंसियों के कानून पर सख्ती से अमल किये जाने पर ही इस समस्या से निपटा जा सकता है. 

AI का सहारा लेने जा रही है महाराष्‍ट्र सरकार 

महाराष्ट्र सरकार नियमों की अनदगेखी करने वाले नाइट क्लबों पर नकेल कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सहारा लेने जा रही है. इस तकनीक से न केवल नियम तोड़ने वाले नाइट क्‍लबों पर नजर रखी जा सकेगी बल्कि अपने काम में कोताही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई हो सकेगी.

मुंबई के होटल मालिकों के संगठन ने भी अपने सदस्यों से अपील की है कि वे लालच में पड़कर अपने परिसर का इस्तेमाल ड्रग्‍स के कारोबार के लिये न होने दें और कोई ऐसा काम न करें जिससे कि उन पर जांच एजेंसियों की गाज गिरे. 

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