"आपने मुझे गलत साबित कर दिया..." : PM से बोले पद्म पुरस्कार विजेता शाह रशीद अहमद कादरी; देखें- VIDEO

बीदरी कला में कई नए पैटर्न और डिजाइन पेश करने वाले शाह रशीद अहमद कादरी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया

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शाह रशीद अहमद कादरी ने पुरस्कार के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया.

नई दिल्ली:

कर्नाटक के बीदर के शाह रशीद अहमद कादरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया. उन्होंने इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि, उन्हें लगता था कि यूपीए में पद्म सम्मान मिलेगा लेकिन नहीं मिला. उन्हें बीजेपी की सरकार से उम्मीद नहीं थी, इसलिए खामोश बैठे थे, लेकिन वे गलत साबित हुए. उन्होंने पुरस्कार के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया.  

शाह रशीद अहमद कादरी ने पीएम मोदी से कहा कि, ''मैंने पांच साल तक इंतजार किया लेकिन नहीं मिला. उसके बाद मैं खामोश बैठ गया कि बीजेपी सरकार में मुझे पद्म सम्मान नहीं मिलेगा. लेकिन आपने मेरे खयाल को  गलत साबित कर दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.''  

शाह रशीद अहमद कादरी को बीदरी कला में कई नए पैटर्न और डिजाइन पेश करने के लिए पहचाना जाता है. बीदरी एक लोककला है जिसकी पारंपरिक सृजन कर्नाटक के बीदर शहर से शुरु हुआ था. बाद में धीरे-धीरे इस कला का प्रसार तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में भी हो गया.

बीदरी कला का नामकरण इस कला के जन्मस्थल बीदर गांव पर हुआ है. यह एक पारंपरिक शिल्पकला है. इसमें जस्ता, तांबा, चांदी जैसी धातुओं के उपयोग से शिल्प तैयार किए जाते हैं. यह काफी जटिल कला स्वरूप है. 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज 53 लोगों को पद्म पुरस्कार वितरित किए. राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कई हस्तियों को पद्म पुरस्करों से नवाजा. समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे दिवंगत मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. मशहूर चिकित्सक दिलीप महालनाबिस को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

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लेखक सुधा मूर्ति, भौतिक विज्ञानी दीपक धर, उपन्यासकार एसएल भैरप्पा और वैदिक विद्वान त्रिदंडी चिन्ना जे स्वामीजी को भी राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. दीपक धर सांख्यिकीय भौतिकी में अपने लंबे शोध करियर के लिए जाने जाते हैं.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत सम्मान दिया गया. वे भारत के रक्षा मंत्री और लंबे समय तक सांसद भी रहे थे. वहीं, 1971 के बांग्लादेश युद्ध शरणार्थी शिविरों में सेवा करने के लिए अमेरिका से लौटे महालनाबिस को मरणोपरांत सम्मान दिया गया. उन्हें ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन' (ओआरएस) पर किए गए कार्य के लिए वैश्विक स्तर पर पहचान मिली थी. महालनाबिस का पुरस्कार उनके भतीजे ने प्राप्त किया.

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