तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को गुरुवार को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया. हालांकि, कुछ ही घंटों के अंदर राज्यपाल ने बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के आदेश को स्थगित कर दिया है. उनके इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ गई है. सीएम स्टालिन ने इस संबंध में राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा है किस अधिकार का इस्तेमाल कर मंत्री को बर्खास्त किया गया.
एमके स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल के पास मंत्रियों को बर्खास्त करने की कोई शक्ति नहीं है. ऐसा करना एक निर्वाचित मुख्यमंत्री का एकमात्र विशेषाधिकार है. सेंथिल बालाजी जॉब के बदले पैसे लेने और मनी लॉन्ड्रिंग सहित भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इन्हीं मामले के चलते वे जेल में बंद हैं.
मुख्यमंत्री का कहना है कि बर्खास्तगी का पत्र जारी करने के कुछ घंटों के बाद ही अटॉर्नी जनरल की राय लेने के लिए फैसले को वापस ले लिया गया. इससे पता चलता है कि राज्यपाल ने इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले कानूनी राय भी नहीं ली. लिली थॉमस बनाम भारत संघ (2013) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए सीएम स्टालिन ने कहा कि अदालत की संवैधानिक पीठ ने यह तय करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विवेक पर छोड़ दिया था कि संबंधित व्यक्ति मंत्रिमंडल में रहेगा या नहीं ये उनके ही फैसले पर निर्भर करेगा.
सीएम एमके स्टालिन ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने सेंथिल बालाजी के खिलाफ कार्रवाई तो कर दी, लेकिन राज्यपाल ने पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान किए गए अपराधों के लिए पूर्व मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के लिए उनकी सरकार के अनुरोध पर महीनों तक चुप्पी साध रखी थी.
राज्यपाल ने पत्र में क्या लिखा था
राजभवन के पत्र में लिखा था कि सेंथिल बालाजी नौकरी के बदले में नकदी लेने और मनी लॉन्ड्रिंग समेत भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग कर वह जांच को प्रभावित और कानून, न्याय की उचित प्रक्रिया में बाधा डालते रहे हैं. अभी वह एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून और आईपीसी के तहत कुछ अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं जिनकी जांच राज्य पुलिस कर रही है. ऐसी आशंका है कि वी. सेंथिल बालाजी के मंत्रिपरिषद में बने रहने से निष्पक्ष जांच समेत कानून की उचित प्रक्रिया पर गलत असर होगा.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सलाह के बिना मंत्री को बर्खास्त करने वाला उनका असंवैधानिक संचार कानून की दृष्टि से गैर-कानूनी और अमान्य है इसलिए इसे नजरअंदाज कर दिया गया.
ये भी पढ़ें:-
पटना की बैठक में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर कोई फैसला नहीं हुआ : स्टालिन
EXCLUSIVE: सिर्फ़ 5 घंटे में तमिलनाडु गवर्नर ने क्यों बदल दिया मंत्री की बर्खास्तगी का फ़ैसला