कशमीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने पटियाला हाउस कोर्ट की एन आई ए अदालत में अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया है. जिनमें कठोर गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत लगे आरोप भी शामिल हैं. अदालत के सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मलिक ने अदालत को बताया कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने ) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता. बता दें, आतंकवाद से जुड़ा ये मामला 2017 का है.
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह 19 मई को मलिक के खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए सजा के संबंध में दलीलें सुनेंगे, जिनमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास है. इस बीच, अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख, और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए.
आरोप पत्र लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है.
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