कश्मीर की वुलर झील में पहली बार तीन लाख से अधिक प्रवासी पक्षी पहुंचे, देखें तस्वीरें

एशियाई जल पक्षी गणना 2025 के अनुसार, यह तो सिर्फ शुरुआत है और अक्टूबर के अंत तक पक्षियों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वृद्धि झील में हाल के वर्षों में किए गए संरक्षण और पुनर्स्थापन कार्यों का परिणाम है.

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  • इस साल वुल्लर झील में प्रवासी पक्षियों की संख्या तीन लाख से अधिक दर्ज की गई जो पिछले वर्ष से चार गुना अधिक है
  • झील में प्रवासी पक्षियों की वृद्धि संरक्षण और पुनर्स्थापन कार्यों जैसे सफाई और गाद निकासी का परिणाम है
  • एशियाई जल पक्षी गणना 2025 के अनुसार अक्टूबर के अंत तक पक्षियों की संख्या और बढ़ने की संभावना है
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कश्मीर:

कश्मीर घाटी से प्रकृति प्रेमियों के लिए उत्साहजनक खबर आई है. भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील वुलर झील इस साल प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना बन गई है. यहां पहली बार तीन लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षियों की आमद दर्ज की गई है, जो पिछले साल की संख्या से चार गुना अधिक है.

एशियाई जल पक्षी गणना 2025 के अनुसार, यह तो सिर्फ शुरुआत है और अक्टूबर के अंत तक पक्षियों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वृद्धि झील में हाल के वर्षों में किए गए संरक्षण और पुनर्स्थापन कार्यों का परिणाम है. सफाई, गाद निकासी, आवास पुनर्स्थापन और सीसीटीवी निगरानी से झील का पारिस्थितिक संतुलन सुधरा है और यह पक्षियों के लिए अधिक अनुकूल हो गई है.

गणना में सबसे ज्यादा संख्या उत्तरी शावेलर, मल्लार्ड और गैडवाल प्रजातियों की दर्ज हुई है, जबकि पिंटेल सहित कई दुर्लभ प्रवासी पक्षी भी बड़े झुंडों में दिखाई दिए. इनमें से कई पक्षी मध्य एशिया, यूरोप और साइबेरिया से हजारों किलोमीटर की लंबी यात्रा तय कर यहां पहुंचे हैं.

देशभर से पक्षी प्रेमी अब इस नजारे को देखने बांडीपोरा का रुख कर रहे हैं. गंदरबल से पहुंचे एक पक्षी प्रेमी ने कहा, “इस साल पक्षियों की विविधता और उनकी संख्या पहले कभी नहीं देखी.” इन बदलावों के पीछे वुलर संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण की अहम भूमिका मानी जा रही है. अधिकारी बताते हैं कि पक्षियों की गिनती के साथ-साथ झील पर निर्भर स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में यहां दुर्लभ दृश्य भी दर्ज किए गए हैं. नवंबर 2024 में झील पर ग्रेट बिटर्न जैसा दुर्लभ पक्षी देखा गया था, जो दक्षिण एशिया में बहुत कम दिखाई देता है. यह झील के वैश्विक पारिस्थितिक महत्व को और मजबूत करता है.

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