"ऐसी जिंदगी जीने से पहले..": पहलवानों के यौन शोषण के आरोप के बीच बृजभूषण सिंह का वीडियो संदेश

विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट, ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सहित कई स्टार पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं और वे जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं.

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बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद हैं.
नई दिल्ली:

Wrestlers Protest: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह  (Brij Bhushan Singh) के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवान धरने पर बैठे हुए हैं. इस बीच भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी किया है और एक कविता के जरिए अपने मन की बात कही है. 

ब्रजभूषण सिंह ने वीडियो में कहा है कि "मित्रों, जिस दिन मैं अपने जीवन की समीक्षा करूंगा. क्या खोया क्या पाया.  जिस दिन मैं महसूस करूंगा कि मेरे संघर्ष करने की क्षमता अब समाप्त हो गई है. जिस दिन मैं महसूस करूंगा मैं लाचार हूं. मैं बेचारा हूं.  ऐसी जिंदगी जीना मैं पसंद नहीं करूंगा और मैं चाहूंगा कि ऐसी जिंदगी जीने के पहले मृत्यु मेरे करीब आ जाए."  

धरने पर बैठे हैं पहलवान

दरअसल विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट, ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सहित कई स्टार पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं और वे जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. पहलवान साफ कर चुके हैं कि यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी होने पर ही वे धरना स्थल से हटेंगे. बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद हैं.

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पहलवानों ने आरोपों की जांच करने वाली समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की भी मांग की है. उल्लेखनीय है कि जनवरी में पहलवानों द्वारा जंतर-मंतर पर तीन दिनों तक धरना दिए जाने के बाद खेल मंत्रालय ने यह समिति गठित की थी. जिसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.

दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी पहलवानों पर बरसते हुए भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी टी उषा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सड़कों पर प्रदर्शन अनुशासनहीनता है और इससे देश की छवि खराब हो रही है . उषा ने आईओए की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा ,‘‘यौन उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर हम उनकी भावनाएं समझते हैं. आईओए की एक समिति और खिलाड़ी आयोग है. सड़कों पर उतरने की बजाय उन्हें हमारे पास आना चाहिए था, लेकिन उनमें से कोई भी आईओए के पास नहीं आया.''

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