हिंदी भाषा को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. हिंदी की स्वीकृति के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के "साहसिक प्रयास" की निंदा करते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को कहा कि "हम हिंदी के गुलाम नहीं बनेंगे." मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री ने नई दिल्ली में आधिकारिक भाषा पर संसद की समिति की 38वीं बैठक की अध्यक्षता की और कहा कि हिंदी को बिना विरोध के स्वीकार किया जाना चाहिए, भले ही इसकी स्वीकृति में समय लगे.
अमित शाह ने यह भी कहा कि हिंदी अन्य भाषाओं से प्रतिस्पर्धा में नहीं है और सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने से ही देश सशक्त होगा. एमके स्टालिन ने अमित शाह से कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हिंदी को "थोपे जाने" के विरोध पर ध्यान देने को भी कहा है.
इस पर एमके स्टालिन ने ट्वीट किया, "मैं हिंदी कह स्वीकृति के लिए केंद्रीय गृह मंत्री @AmitShah के दुस्साहसिक प्रयास की कड़ी निंदा करता हूं. यह गैर-हिंदी भाषियों को अपने अधीन करने का एक ज़बरदस्त प्रयास है. तमिलनाडु किसी भी प्रकार के हिंदी आधिपत्य और थोपे जाने को अस्वीकार करता है. हमारी भाषा और विरासत हमें परिभाषित करती है. हम हिंदी के गुलाम नहीं बनेंगे!"
उन्होंने कहा, "कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्य भी हिन्दी थोपे जाने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. माननीय @AmitShah कृपया बढ़ते प्रतिरोध पर ध्यान दें! '1965 के हिंदी विरोधी आंदोलन' की चिंगारी को भड़काना एक मूर्खतापूर्ण कदम होगा." उन्होंने ट्वीट किया.
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