हिंदू समाज को मजबूत करने के संकल्प के साथ विश्व हिंदू सम्मेलन संपन्न, मोहन भागवत ने लिया हिस्सा

सम्मेलन के दौरान समानांतर सत्रों में, प्रतिनिधियों ने विदेशों में चुने गए हिंदू जन प्रतिनिधियों को संघों के माध्यम से संगठित करके और उनके बीच संवाद बढ़ाकर उनके खिलाफ राजनीतिक विमर्श से लड़ने के लिए समर्थन करने का भी संकल्प लिया.

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बैंकॉक:

हिंदू संगठनों के बीच एकता को मजबूत करने और सनातन धर्म के खिलाफ 'भावनाओं के आधार पर फैलायी गई नफरत' एवं पूर्वाग्रहों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के संकल्प के साथ तीन दिवसीय विश्व हिंदू सम्मेलन रविवार को यहां संपन्न हो गया. सम्मेलन के दौरान समानांतर सत्रों में, प्रतिनिधियों ने विदेशों में चुने गए हिंदू जन प्रतिनिधियों को संघों के माध्यम से संगठित करके और उनके बीच संवाद बढ़ाकर उनके खिलाफ राजनीतिक विमर्श से लड़ने के लिए समर्थन करने का भी संकल्प लिया.

आयोजकों ने घोषणा की कि अगला विश्व हिंदू सम्मेलन (कांग्रेस) 2026 में मुंबई में आयोजित किया जाएगा. प्रतिनिधियों को भुरभरे और सख्त लड्डू वितरित कर हिंदू एकता का संदेश दिया गया. प्रतिनिधियों को वितरित किये गए लड्डू के डिब्बे पर संदेश लिखा था, ‘‘दुर्भाग्य से, वर्तमान में हिंदू समाज एक भुरभुरे लड्डू जैसा है, जिसे आसानी से तोड़ा जा सकता है और फिर आसानी से खाया जा सकता है.''

इसमें कहा गया, ‘‘एक बड़ा सख्त लड्डू मजबूती से बंधा हुआ और एकजुट होता है तथा इसे आसानी से नहीं तोड़ा जा सकता है. हिंदू समाज को एक बड़े सख्त लड्डू की तरह होना चाहिए, जिसे तोड़ना बहुत मुश्किल हो. तभी यह शत्रु ताकतों से अपनी रक्षा कर पाएगा.'' थाईलैंड की राजधानी में यहां आयोजित किया गया यह सम्मेलन हिंदू संगठनों के बीच एकता को मजबूत करने और सनातन धर्म के खिलाफ 'भावनाओं के आधार पर फैलायी गई नफरत' एवं पूर्वाग्रहों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के संकल्प के साथ संपन्न हुआ.

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आयोजकों के अनुसार, 61 देशों के 2,100 से अधिक प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया, जिसका उद्घाटन शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने किया था, जबकि आध्यात्मिक गुरु माता अमृतानंदमयी देवी ने रविवार को समापन भाषण दिया. आरएसएस प्रमुख ने दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं से लोगों के साथ अपने संबंध मजबूत करने की भावुक अपील की. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म शांति और प्रसन्नता का मार्ग दिखाता है और संपूर्ण मानवता को सभी प्राणियों के अस्तित्व की आत्मा मानता है.

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विश्व हिंदू कांग्रेस के संस्थापक स्वामी विज्ञानानंद ने कहा, ‘‘कोविड महामारी के दौरान हिंदुओं से संपर्क करने की प्रक्रिया धीमी हो गई थी. हम अब इस प्रक्रिया को फिर से गति दे रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि मंदिरों की उन जमीन को ईसाई संगठनों के नियंत्रण से वापस पाने पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिनपर कॉलेज और अन्य संस्थानों का निर्माण कर दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘ये मंदिर की जमीन हैं जिनकी पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है. ये हमारी वैध जमीन हैं, उन्हें (ईसाई संगठनों को) इसे वापस करना होगा.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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