बदलती जीवनशैली और मोबाइल से चिपकने की लत वयस्कों और बच्चों दोनों में आंखों की समस्याओं को जन्म दे रही है. कोरोना के दौरान और उसके बाद भी लोगों की मोबाइल से चिपके रहने की समस्या बढ़ती जा रही है. विशेषज्ञ इसको कम करने के लिए अब कई सलाह दे रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल से बचने के लिए घरों से बाहर की गतिविधियां और शारीरिक कसरत करना जरूरी है. विश्व दृष्टि दिवस की पूर्व संध्या पर विशेषज्ञों ने कहा कि वयस्कों और बच्चों दोनों ही में मोतियाबिंद, ‘ग्लूकोमा' या ‘मायोपिया' जैसी आंखों की विभिन्न समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं जबकि कुछ समस्याएं जीवनशैली से जुड़ी होती हैं.
आज वर्ष विश्व दृष्टि दिवस है. इस बार का विषय है ‘अपनी आंखों से प्यार करें'. विशेषज्ञों का कहना है कि अपनी आंखों का ध्यान रखें; इनकी उपेक्षा करने से अंधापन हो सकता है. आई क्यू के डॉ. अजय शर्मा ने कहा कि ‘मायोपिया' (दूर की वस्तुओं को देखने में कठिनाई) से पीड़ित बच्चों की संख्या में लगातार होते इजाफे से युवा पीढ़ी के लिए चिंताएं बढ़ रही हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि 40 वर्ष की आयु के बाद ‘ग्लूकोमा' का खतरा बढ़ जाता है और इसमें विशेषकर उन लोगों को ज्यादा खतरा रहता है जिनके परिवार में इस रोग का इतिहास रहा हो या जो डायबिटीज के रोगी हों या स्टेरॉयड ले रहे हों.
बढ़ती डिजिटल निर्भरता बच्चों और वयस्कों दोनों की आंखों पर पड़ने वाले तनाव को बढ़ा रही है. विशेषज्ञ 20-20-20 नियम का पालन करने की सलाह देते हैं. यानी हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फुट दूर किसी चीज को देखें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 2.2 अरब लोग दृष्टिबाधित या अंधेपन से पीड़ित हैं और उनमें से एक अरब लोगों में ऐसी स्थिति को रोका जा सकता था. यह जागरूकता की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है.