राष्ट्रमंडल (Commonwealth) महासचिव पेट्रिशिया स्कॉटलैंड (Patricia Scotland) ने कहा है कि जलवायु संकट (Climate Crisis) का समाधान प्रदान करने के लिए दुनिया भारत के नेतृत्व और बौद्धिक शक्ति पर उम्मीद लगाए बैठी है. यहां वार्षिक जलवायु सम्मेलन (सीओपी28) में ‘पीटीआई-भाषा' के साथ एक साक्षात्कार में स्कॉटलैंड ने कहा कि वह ‘‘यह सोचकर ही खुशी हो रही है कि भारत क्या करने का फैसला करेगा.'' शिखर सम्मेलन में वार्ताकार गंभीर जलवायु प्रभावों की स्थिति को और बदतर होने से रोकने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के सर्वोत्तम तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं.
जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की बढ़ती मांग के बीच भारत से उनकी अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर स्कॉटलैंड ने कहा कि भारत को ‘‘1.4 अरब लोगों का पेट भरने के साथ उनका ख्याल रखना है'', जो कि राष्ट्रमंडल कहे जाने वाले 56 देशों की लगभग आधी आबादी है.
स्कॉटलैंड ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद कर रही हूं कि भारत में अपनी स्थिति संभालने और नेतृत्व करने का साहस होगा और वह ऐसा कर सकता है. अन्य राष्ट्रमंडल देशों के साथ-साथ भारत से जो प्रतिभा आ रही है, वह हमें इस समस्या को हल करने में सक्षम बना सकती है.''
उन्होंने कहा, ‘‘भारत पूरी तरह से आशा का प्रतिनिधित्व करता है...राष्ट्रमंडल कुछ सबसे आश्चर्यजनक समाधानों की पेशकश के लिए इसका आभारी है.'' उन्होंने उम्मीद जताई कि देश नेतृत्व की अपनी स्थिति बनाए रखेगा.
स्कॉटलैंड ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को ‘‘उचित बदलाव'' की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है निष्पक्ष और तार्किक तरीके से जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की तरफ बढ़ना. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी स्वीकार करते हैं कि यह चुटकी बजाते ही नहीं हो सकता. हमें निष्पक्ष रूप से इसकी योजना बनानी होगी.''
भारत की प्रौद्योगिकी क्रांति पर प्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा कि तेजी से विकसित हो रहे देश ने न केवल लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, बल्कि पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम राशि खर्च करके चंद्रमा के ‘दक्षिणी हिस्से' तक भी पहुंच गया.
उन्होंने कहा, जब नवोन्मेष की बात आती है तो भारत शानदार प्रदर्शन कर रहा है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को शायद अन्य देशों की तुलना में अधिक ‘यूनिकॉर्न' मिले हैं.
यूनिकॉर्न शब्द का इस्तेमाल ऐसी स्टार्टअप कंपनी का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसका मूल्य एक अरब अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक है. राष्ट्रमंडल महासचिव ने कहा कि भारतीय ‘जुगाड़' छोटे देशों और द्वीपीय देशों को प्रेरित कर रहे हैं.
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