सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के पास खुली जगह, बिजली, खाना और आक्सीजन उपलब्ध : गडकरी

सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से फंसे 41 श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाइयां और मेवे दिए जा रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 28 mins
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव कार्यों का निरीक्षण किया.
उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसके अंदर फंसे 41 श्रमिकों के लिए 'एस्केप पैसेज' तैयार करने के लिए होने वाली ड्रिलिंग रविवार को भी स्थगित रही जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के बाद कहा कि फंसे लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए मलबे में एक और बड़े व्यास की पाइपलाइन डाली जा रही है. छोटी मशीन की जगह मलबा भेदने के लिए लाई गयी अमेरिकी आगर मशीन को शुक्रवार दोपहर को ड्रिलिंग के दौरान किसी कठोर सतह से टकराने के बाद रोक दिया गया था. उस समय तक मशीन मलबे में 22 मीटर तक ड्रिलिंग करने के बाद छह मीटर लंबे चार पाइप डाल चुकी थी और पांचवें पाइप को डाले जाने की कार्यवाही गतिमान थी.

बचाव अभियान में आयी रुकावट के बाद अधिकारियों ने शनिवार को श्रमिकों तक जल्द पहुंचने के लिए सुरंग के उपर से 'वर्टिकल' ड्रिलिंग करने की तैयारी शुरू की. गडकरी ने कहा कि इन परिस्थितियों में क्षैतिज खुदाई ही 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' लगता है और अगर आगर मशीन के रास्ते में बाधा नहीं आती तो फंसे श्रमिकों तक ढाई दिनों में पहुंचा जा सकता था. मंत्री ने कहा कि श्रमिक सुरंग के अंदर ऐसे स्थान पर फंसे हैं जहां वे आसपास घूम सकते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास खुली जगह, बिजली, खाना, पानी और आक्सीजन है.

सिलक्यारा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ एक लंबी बैठक के बाद गडकरी ने कहा, ''फंसे श्रमिकों को बचाना और उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना सबसे बड़ी प्राथमिकता है.'' मौके पर रविवार शाम को भी ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई लेकिन अधिकारियों ने कहा कि मलबे को भेदने और उसमें बड़े व्यास के स्टील पाइप डालकर श्रमिकों के लिए 'एस्केप पैसेज' बनाने के लिए आगर मशीन को फिर से चलाए जाने की तैयारी चल रही है.

Advertisement

प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने सिलक्यारा में संवाददाताओं को बताया, ''सुरंग में ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डालने के लिए आगर मशीन को फिर शुरू करने की तैयारियां चल रही हैं. फंसे हुए लोगों तक खाना पहुंचा रहे पाइप के अतिरिक्त एक और बड़े व्यास का पाइप मलबे में 42 मीटर अंदर तक डाल दिया गया है जिससे उन तक जरूरी चीजें पहुंचाई जा सकें.''

Advertisement

सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया है कि मलबे की सतह और सुरंग की छत के बीच की जगह का परीक्षण करने के लिए रोबोट की सहायता ली सकती है जिससे यह पता चल सके कि जीवन रक्षा के लिए यहां से कोई पाइप डाला जा सकता है.

Advertisement

ड्रिलिंग कार्य को रोके जाने के कारणों के बारे में स्पष्ट करते हुए गडकरी ने कहा, ''अमेरिकी आगर जब मुलायम मिट्टी में ड्रिलिंग कर रही थी तब वह सही तरीके से काम कर रही थी, लेकिन जब उसके सामने एक कठोर बाधा आयी तो समस्या आने लगी. इस कारण मशीन को ज्यादा दवाब डालना पड़ा जिससे कंपन हुए और सुरक्षा कारणों से इसे रोक दिया गया.'' उन्होंने कहा कि हिमालय में भूवैज्ञानिक स्तर एक समान न होने के कारण यहां यांत्रिक अभियान चुनौतीपूर्ण है.

Advertisement

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अगर आगर मशीन ठीक तरह से काम करती है और उसे किसी बड़ी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता है तो यह मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर फंसे श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का तरीका है. हालांकि, श्रमिकों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने को सबसे बड़ी प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि सुरंग के दोनों छोरों से क्षैतिज, सुरंग के उपर से वर्टिकल और सुरंग के दांये और बाएं से ड्रिलिंग करने के सभी विकल्पों को तलाशा जा रहा है.

मंत्री ने कहा, '' हम इस समय एक साथ छह विकल्पों पर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय भी बचाव अभियान की करीब से निगरानी कर रहा है. हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सभी फंसे श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाना है. जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा.'' गडकरी ने कहा कि जिस भी मशीन की या तकनीकी सहायता की जरूरत होगी, उसे उपलब्ध कराया जाएगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुरंग में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों के मनोबल को बनाए रखना इस समय सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है.

सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से फंसे 41 श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाइयां और मेवे दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ''अच्छी बात है कि बिजली होने के कारण अंदर रोशनी है. एक पाइपलाइन है जिससे पानी उपलब्ध है. एक चार इंच का पाइप है जिससे पहले दिन से हम खाना भेज रहे हैं.''

एक वीडियो के जरिए अद्यतन स्थिति की जानकारी देते हुए जैन ने कहा कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बन रही दो लेन की साढ़े चार किलोमीटर सुरंग के दो किलोमीटर के इस तैयार हिस्से में पानी और बिजली है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ को इकट्ठा कर उनसे सलाह मांगी गयी है कि फंसे श्रमिकों को सकुशल जल्द बाहर निकालने के लिए क्या तरीके अपनाए जाएं. उन्होंने कहा कि सुरंग के ऊपर से 'वर्टिकल ड्रिलिंग' शुरू करने के लिए तैयारियां चल रही हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें जल्द बाहर निकालने के लिए हर संभव तरीका अपनाया जा रहा है.

गडकरी ने बताया कि केंद्र द्वारा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में 2.75 लाख करोड़ रुपये की लागत से सुरंगें बनायी जा रही हैं. इस बीच, मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजनों की हरसंभव सहायता करेगी. संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने श्रमिकों के परिजनों के आवागमन, प्रवास तथा अन्य जरूरी देखभाल का इंतजाम किया है ताकि अपनों की कुशलक्षेम जानने के लिए यहां आने वाले लोगों को कोई कठिनाई न हो.

उन्होंने कहा कि श्रमिकों के जो परिजन यहां आना चाह रहे हैं उनके आवागमन, भोजन, आवास तथा मोबाइल रिचार्ज का व्यय उत्तराखंड सरकार वहन करेगी. धामी ने कहा कि दूसरे राज्यों के श्रमिकों के परिजनों व उन राज्यों के अधिकारियों से संपर्क व समन्वय बनाए रखने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर एक अधिकारी की तैनाती की जा रही है.
 

Featured Video Of The Day
Top 5 News of The Day: Murshidabad Violence | Waqf Amendment Act | Supreme Court | Bihar Elections