महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के तहत जिलों को रैंक देगा

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पहल के तहत जिलों को कोष का आवंटन उनकी एसआरबी स्थिति पर आधारित है. 918 से कम या उसके बराबर एसआरबी वाले जिलों को अतिरिक्त सहायता मिलती है.

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नई दिल्ली:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Women and Child Development Ministry) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' पहल को गति देने के लिए जिलों के प्रदर्शन को रैंक करने और उसके अनुसार उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक तंत्र शुरू करने की तैयारी कर रहा है. वर्ष 2015 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य भारत में बाल लिंगानुपात को बढ़ाना और लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाना है. देश में जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) 2014-15 में 918 से सुधरकर 2019-20 में 934 हो गया है, लेकिन यह अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अंतरराष्ट्रीय मानक 952 से नीचे है.

मंत्रालय द्वारा जारी परिचालन नियमावली में साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि देश के 516 जिलों में एसआरबी डब्ल्यूएचओ मानक से कम है और 169 जिलों में अभी भी एसआरबी 918 से कम या उसके बराबर है.

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' पहल के तहत जिलों को कोष का आवंटन उनकी एसआरबी स्थिति पर आधारित है. 918 से कम या उसके बराबर एसआरबी वाले जिलों को अतिरिक्त सहायता मिलती है.

नियमावली के अनुसार, जिले के ‘स्कोर कार्ड' के जरिये मंत्रालय का लक्ष्य लड़कियों और महिलाओं के कल्याण को बढ़ावा देने में जिलों द्वारा की गई प्रगति का आकलन करना और प्रोत्साहित करना है.

‘स्कोर कार्ड', मिशन शक्ति प्रबंधन सूचना प्रणाली से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार किया जाएगा. इसमें प्रक्रिया संकेतकों और परिणाम संकेतकों के लिए अलग-अलग हिस्से होंगे, जो जिले के प्रदर्शन के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

परिणाम संकेतकों को लड़कियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास को शामिल करते हुए व्यापक विषयों में वर्गीकृत किया जाएगा. दूसरी ओर, प्रक्रिया संकेतकों के तहत योजना कार्यान्वयन के विभिन्न स्तरों पर किए गए संस्थागत तंत्र और क्षमता निर्माण उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

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जिला ‘स्कोर कार्ड' के आधार पर, मंत्रालय वार्षिक तौर पर जिलों के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' रैंक जारी करेगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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