13 विपक्षी सांसदों के निलंबन और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट सामने आने पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग को लेकर जारी गतिरोध के बीच संसद का शीत सत्र बुधवार को तय समय से 1 दिन पहले ही खत्म हो गया. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस गतिरोध के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है. डेरेक ओ ब्रायन, नेता, तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल ने एनडीटीवी से कहा कि किसान बिल पास हुआ तब भी सस्पेंड किया था, हमें पहले फुटेज तो दिखाओ, वो जो चाहे वो करे. संसद को जला दिया.पीएम मोदी कितनी बार संसद में आये. ये गुजरात जिमखाना नहीं है.
संसद सत्र के लगातार बाधित रहने पर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- हमारी गलती नहीं, गलती सरकार की है
सरकार ने डेरेक ओ ब्रायन के निलंबन के फैसले को जायज ठहराया. संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एनडीटीवी से कहा कि डेरेक ओ ब्रायन ने मंगलवार को रूल बुक टेबल ऑफिस जहां रिपोर्टर्स बैठते हैं, उस तरफ फेंकी थी. रूल बुक सेक्रेटरी जनरल के पास जाकर गिरी. रूल बुक सेक्रेटरी जनरल पर भी गिर सकती थी. उनका व्यवहार आपत्तिजनक था, इसलिए उन्हें निलंबित किया गया.
बता दें कि राज्यसभा का करीब 52% समय हंगामे की भेंट चढ़ गया जबकि लोकसभा का 18% समय बर्बाद हुआ. दोनों सदनों में 20 बिल पारित हुए जबकि 13 बिल दोनों सदनों में पेश किए गए. निलंबित सांसदों ने गांधी प्रतिमा के सामने संविधान की प्रस्तवना पढ़ी और न्याय की मांग की. संसद का शीतकालीन सत्र खत्म हो गया. निलंबित सांसदों ने पूरा सत्र गांधी जी की प्रतिमा के सामने काट दिया. सरकार माफी मंगवाने पर अड़ी रही और निलंबित सांसदों ने पूछा कि जनता की आवाज उठाने के लिये क्यों माफी मांगे. दोनों सदनों में हंगामे की वजह से सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने जैसे कई अहम बिल संसद में पेश नहीं कर सकी.
"24 दिनों में 18 बैठकें, 20 बिल पास", सरकार ने पेश किया संसद के शीतकालीन सत्र का हिसाब-किताब
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार को विपक्षी दलों को संसद में गतिरोध के लिए जिम्मेदार ठहराया. एक मीडिया ब्रीफिंग में उन्होंने कहा कि विपक्षी दल 2019 लोकसभा चुनावों में मोदी जी को, बीजेपी को जो जनाधार मिला उसे पचा नहीं पा रहे हैं. इसीलिए वह सदन को बाधित करते रहे हैं.
वहीं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मकार्जुन खड़गे ने सरकार के इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि सरकार के पास कोई एजेंडा ही नही था. लोगों के हित मे कोई कानून नहीं था. सरकार की मंशा थी कि उनकी गलतियां सबके सामने ना आ पाए. सही मूद्दे पर जवाब ना देना पड़े.
संसद का शीतकालीन सत्र खत्म: निलंबित सांसदों ने पढ़ी संविधान की प्रस्तावना, मांगा न्याय