क्या एकजुट विपक्ष 2024 में PM मोदी को चुनौती दे पाएगा...? देखें, क्या कहते हैं आंकड़े...

विपक्ष में एकता होने के बावजूद सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारे की है. कौन-सी पार्टी कितने राज्यों में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह बहुत महत्वपूर्ण होगा. सीट बंटवारे के सवाल को विपक्ष को समय रहते सुलझाना होगा, क्योंकि सीटों का समझौता ही विपक्षी एकता को बनाए रख सकता है.

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हाल ही में कांग्रेस नेताओं ने बिहार के नेताओं से मुलाकात की थी... (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को विपक्षी नेताओं की बैठक होगी, जो लोकसभा चुनाव 2024 के संदर्भ में बेहद अहम है, क्योंकि इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, NCP प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, CPI सचिव डी. राजा, CPM सचिव सीताराम येचुरी, CPIML के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य शामिल हो रहे हैं. यह विपक्ष की बड़ी बैठक है, जिसमें लोकसभा चुनाव 2024 के रोडमैप पर बातचीत होगी. विपक्ष की भूमिका पर पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह चुके हैं कि अगर विपक्ष एकजुट हो जाए, तो BJP 100 सीटों के भीतर सिमट जाएगी.

तो आइए, बात करते है आंकड़ों की - आखिर किस दम पर विपक्ष BJP को हराने का दम भर रहा है...?

लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े बताते हैं कि BJP और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला कुल 190 सीटों पर था, जिनमें से 175 पर BJP को जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस मात्र 15 सीटें हासिल कर पाई थी. इन सीटों पर कांग्रेस के ख़िलाफ़ BJP का स्ट्राइक रेट 92 प्रतिशत रहा था, यानी BJP को सबसे ज़्यादा फ़ायदा तब होगा, जब कांग्रेस से उसका सीधा मुकाबला हो. इसी वजह से ज़्यादातर समय BJP की यही कोशिश रहती है कि चुनाव राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी बने, ताकि उसे चुनाव में फायदा हो सके.

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BJP का जो स्ट्राइक रेट कांग्रेस के ख़िलाफ़ 92 प्रतिशत रहा, वहीं आंकड़ा गैर-कांग्रेस पार्टियों के ख़िलाफ़ 69 प्रतिशत रह गया. लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़ों को देखें, तो गैर-कांग्रेस पार्टियों के ख़िलाफ़ BJP का कुल 185 सीटों पर सीधा मुकाबला था, जिनमें से 128 सीटों पर BJP ने जीत दर्ज की, और अन्य दलों को 57 सीटों पर जीत हासिल हुई.

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दूसरी ओर, BJP के साथ सीधे मुकाबले वाली सीटों पर जहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट मात्र 8 प्रतिशत है, वहीं अन्य दलों के ख़िलाफ़ उसका स्ट्राइक रेट 52 प्रतिशत रहा. लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस और अन्य दलों के बीच कुल 71 सीटों पर सीधा मुकाबला हुआ था, जिनमें से 37 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, और अन्य दलों ने 34 सीटें जीती थीं.

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एकजुट विपक्ष - मतलब जीत की गारंटी नहीं...?
लोकसभा चुनाव 2024 में BJP को हराने के लिए एकजुट विपक्ष की कवायद फिर शुरू हो गई है, लेकिन सवाल है कि कैसे यह पार्टियां BJP की जीत के रथ को रोक पाएंगी...? लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम हम सबके सामने है. दिल्ली की सत्ता का रास्ता जिस राज्य उत्तर प्रदेश से होकर जाता है, उसकी दो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टियों SP-BSP ने गठबंधन किया था, जिसमें RLD भी शामिल थी.

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SP-BSP-RLD का गठबंधन जाति और धर्म के हिसाब से BJP के ख़िलाफ़ काफी मज़बूत था, लेकिन चुनाव परिणाम में तीनों पार्टियों को झटका लगा. परिणामों में BJP गठबंधन ने कुल 80 सीटों में से 64 पर जीत हासिल की, वहीं उसका वोट शेयर भी लगभग 50 प्रतिशत रहा. SP-BSP गठबंधन को सिर्फ 15 सीटों से संतोष करना पड़ा.

इसी तरह कर्नाटक का परिणाम भी हमारे सामने है, जहां 2019 में JDS और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे, लेकिन 28 में से सिर्फ दो सीटें ही उनके खाते में आई थीं, और BJP राज्य की 25 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. बता दें कि कर्नाटक में JDS, कांग्रेस और BJP ही मुख्य पार्टियां हैं.

अब अगर बात करें मौजूदा समय की, तो अभी बन रहे संभावित विपक्षी गठबंधन के घटक दलों के ख़िलाफ़ BJP ने लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 257 सीटों पर जीत दर्ज की थी, यानी 257 सीटों पर विपक्षी गठबंधन के संभावित दल BJP के मुकाबले दूसरे स्थान पर रहे थे. वैसे, देशभर में BJP ने कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की थी.

सीट बंटवारे की चुनौती...?
विपक्ष में एकता होने के बावजूद सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारे की है. कौन-सी पार्टी कितने राज्यों में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह बहुत महत्वपूर्ण होगा. सीट बंटवारे के सवाल को विपक्ष को समय रहते सुलझाना होगा, क्योंकि सीटों का समझौता ही विपक्षी एकता को बनाए रख सकता है. सीट बंटवारे को लेकर अगर बात करें बिहार राज्य की, तो वहां JDU, RJD, कांग्रेस और अन्य पार्टियां महागठबंधन का हिस्सा हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 में JDU 16 सीटें जीती थी, और एक सीट पर वह दूसरे नंबर पर रही थी. इसी तरह कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीती थी, लेकिन 8 सीटों पर वह रनर-अप रही थी. RJD राज्यभर में 18 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. अब अगर मान लें कि JDU 17 सीट (16 जीती हुई सीट और 1 रनर-अप सीट) की मांग करती है, कांग्रेस 9 सीट (1 जीती हुई सीट और 8 रनर-अप सीट), और RJD 18 सीट मांगती है, तो आंकड़ा सूबे की कुल सीटों से भी ज़्यादा हो जाएगा. सो, अगर ये तीनों पार्टियां कोई समझौता कर भी लेती हैं, तो महागठबंधन की अन्य पार्टियों का क्या होगा. क्या वे पार्टियां चुनाव नहीं लड़ेंगी...? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि सीट नहीं मिलने की स्थिति में वे महागठबंधन का हिस्सा रहेंगी या नहीं...?

...और यह सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं है. सीट बंटवारा पश्चिम बंगाल में भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. सवाल यह है कि तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट को कितनी सीटें देगी. कुल मिलाकर विपक्षी एकता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा BJP (या NDA) के ख़िलाफ़ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करना, और देखना होगा कि 2024 में बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में सीटों का बंटवारा किस तरह किया जाता है और क्या उस बंटवारे पर सभी पार्टियों की सहमति होगी...?