विपक्ष क्या किसानों का अहित करके सियासी मंसूबे पूरे करेगा,कृषि मंत्री ने पूछे ये अहम सवाल...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति और विरोध का अपना स्थान है, लेकिन क्या ये विरोध देश के नुकसान की कीमत पर किया जाना चाहिए? आज जो आंदोलन चल रहा है वह आंदोलन किस तरह से किसानों का भला कर सकता है, इस पर वे बात करने को तैयार नहीं हैं.

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एग्रीविजन द्वारा आयोजित पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले कृषि मंत्री Narendra Singh Tomar
नई दिल्ली:

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने किसानों से जुड़े मुद्दे पर विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. तोमर ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि किसानों का अहित करके सियासी मंसूबे पूरे करना ठीक नहीं है. कृषि मंत्री ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब किसान आंदोलन (Farmers Protest 100 Days) के 100 दिन पूरे हो रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति और विरोध का अपना स्थान है, मतभेद का भी महत्व है, लेकिन क्या ये विरोध देश के नुकसान की कीमत पर किया जाना चाहिए? आज जो आंदोलन चल रहा है वह आंदोलन किस तरह से किसानों का भला कर सकता है, इस पर वे बात करने को तैयार नहीं हैं. तोमर ने सवाल उठाए कि लोकतंत्र है तो सभी को राजनीति करने की स्वतंत्रता है, लेकिन क्या किसानों का अहित करके राजनीति की जाएगी? देश की कृषि (Farm Laws) अर्थव्यवस्था को तिलांजलि देकर अपने मंसूबों को पूरा किया जाएगा?

एग्रीविजन द्वारा आयोजित पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन में तोमर ने कहा कि देश में लंबे समय से कृषि के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़े, किसानों पर लगी बंदिशें दूर हो, किसान अपनी उपज मनचाहे स्थान पर, मनचाहे दाम पर बेच सकें और वह महंगी फसलों को उगाकर अपनी आय बढ़ा सकें, इसके लिए जो कानूनी आवश्यकताएं थी, उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार कानून बनाकर पूरा किया है.

तोमर शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा परिसर स्थित सी. सुब्रमण्यम सभागार में आयोजित एग्रीविजन के पांचवे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. तोमर ने कहा कि आज उत्पादकता को गति देने के साथ-साथ फसल प्रबंधन करना और किसानों की आय बढ़ाना हमारा सबसे बड़ा मकसद है. 

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर उन्होंने कृषि मंत्री के नाते किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से 12 बार लंबी चर्चा की है. कई आवश्यक विषयों पर संशोधन का प्रस्ताव भी दिया. लोकसभा और राज्यसभा में भी सरकार के पक्ष को रखा. राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान उन्होंने इस बात को जोर देकर कहा था कि घंटों तक किसान संगठनों से चर्चा की, सदन में हर दल के सदस्य ने इस विषय पर बात रखी, लेकिन इस दौरान किसी ने भी कृषि सुधार बिलों में किन बिंदुओं पर आपत्ति है या इनमें क्या कमी है, यह नहीं बताया. 

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