नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि अभी तक जो गाइडलाइन बनी है, अंतरराष्ट्रीय रूप से बनी है. उसके हिसाब से बच्चों को ये (Coronavirus) वैक्सीन देने की जरूरत नहीं है. ये ज़्यादा उम्र के लोगों की बीमारी पाई गई है. अभी तक जो सुबूत मिले हैं उसके आधार पर बच्चों (Children) को वैक्सीन (Vaccine) देने का कोई कारण नहीं है. वैसे भी अभी तक जो ट्रायल हुए हैं वह 18 वर्ष से ऊपर के लोगों पर हुए हैं.
उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को वैक्सीन से जुड़ा डाटा सबमिट किया है. सीरम इंस्टीट्यूट ने DCGI में अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी जिसके बाद सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा से जुड़ा और डाटा मांगा था. इसके अलावा भारत बायोटेक ने भी कुछ डाटा जमा किया है.
कोरोना वायरस म्युटेशन को लेकर वीके पॉल ने कहा कि डरने की कोई ज़रूरत नहीं ये बात समझ, बातचीत के बाद कही जा सकती है, लेकिन सतर्क रहने की ज़रूरत है. ट्रीटमेंट गाइडलाइंस में कोई बदलाव नहीं होगा. वायरस म्युटेशन का वैक्सीन की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय का मत
1. जो वैक्सीन अभी डेवलप हो रहे हैं म्यूटेशन से उस पर कोई असर नही होगा. यानी म्यूटेशन के बावजूद वैक्सीन कारगर होगी.
2. चिंता की बात नही, पैनिक की जरूरत नहीं.
3. हमारे देश मे म्यूटेशन का कोई सिग्नल नहीं देखा गया है.
4. यूके में वायरस के म्यूटेशन में देखा गया है कि इससे एक-दूसरे में संक्रमण ज्यादा फैलता है. ये सुपर स्प्रेडर बन रहा है. लेकिन ये भी देखा गया है कि इससे सीरियसनेस या फिर अस्पताल में भर्ती का खतरा नही बढ़ा है.
5. म्यूटेशन में वायरस में बदलाव आते हैं, ऐसा स्वभाव कई वायरस का होता है, जिसका ज्यादा महत्व नही है.