वैष्णो देवी मेडिकल इंस्टीट्यूट में दाखिले को लेकर आखिर क्यों मचा 'संग्राम'? पढ़ें सबकुछ

यह विवाद तब शुरू हुआ जब इंस्टीट्यूट की पहली एमबीबीएस सीट-एलोकेशन लिस्ट में 2025-26 एकेडमिक ईयर के लिए 50 के पहले बैच में 42 मुस्लिम स्टूडेंट्स दिखाए गए.

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नई दिल्ली:

जम्मू के कटरा में माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों को दिए गए प्रवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.साल 2008 में अमरनाथ जन्मभूमि के मुद्दे के बाद यह पहली बार लगभग पूरा जम्मू इसके विरोध में एकजुट हो चला है.अब भाजपा भी इस आंदोलन में कूद पड़ी है.हिन्दु संगठनों ने तो श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति का गठन किया है.इनकी मांग है मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द किया जाए . इनका कहना है कि यह मेडिकल संस्थान हिंदू श्रद्धालुओं के योगदान से स्थापित और संचालित होता है.

इसलिए इसकी सीटें केवल हिंदू छात्रों के लिए आरक्षित होनी चाहिए. तर्क है कि “जब संस्थान हिंदू भक्तों के धन से बना है, तो इसका लाभ भी हिंदू समाज को मिलना चाहिए.जम्मू कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा की लीडरशिप में पार्टी का एक डेलीगेशन लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से मिलकर एक ज्ञापन भी सौप चुका है.इनकी मांग है कि सुधारात्मक कार्रवाई के साथ एडमिशन के नियमों की समीक्षा हो .  

यह विवाद तब शुरू हुआ जब इंस्टीट्यूट की पहली एमबीबीएस सीट-एलोकेशन लिस्ट में 2025-26 एकेडमिक ईयर के लिए 50 के पहले बैच में 42 मुस्लिम स्टूडेंट्स दिखाए गए.इस पर कई हिंदू संगठनों ने विवाद शुरु कर दिया.इन्होने आरोप लगाया कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से फंडेड एक इंस्टीट्यूशन को हिंदू रिप्रेजेंटेशन को प्रायोरिटी देनी चाहिए.इनका कहना है कि इसमें कम्युनिटी-बेस्ड रिजर्वेशन को इनेबल करने के लिए इसको माइनारिटी इंस्टीट्यूशन घोषित किया जाए.

उधमपुर से विधायक आर एस पठानिया ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया कि वैष्णो देवी तीर्थयात्रियों की “भक्ति और चढ़ावे” से बने इंस्टीट्यूशन में मंदिर के लोकाचार को दिखाना चाहिए.उन्होंने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं की भक्ति और चढ़ावे से बने संस्थानों को मंदिर के पवित्र मूल्यों के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठाकर काम करना चाहिए.श्राइन बोर्ड एक्ट और यूनिवर्सिटी एक्ट में बदलाव अब जरूरी हैं. प्रदेश में विरोध कर रहे संगठनों का दावा है कि इस साल केवल सिर्फ सात हिंदुओं और एक सिख को एडमिशन दिया गया है.


हालांकि इससे जुड़े अधिकारियों ने कहा कि उन्होनें मेरिट के आधार पर दाखिला दिया है.उनके मुताबिक इस संस्थान को माइनारिटी का दर्जा नहीं दिया गया है लिहाजा  वह किसी भी धर्म से जुड़ा रिजर्वेशन लागू नहीं कर सकता . आपको बता दे कि इस साल श्राइन से फंडेड इस इंस्टीट्यूट को 50 एमबीबीएस सीटें मंजूर की गई जिसमें से 42 सीटें मुस्लिमों को दिये जाने से विवाद शुरु हो गया है जो थमने का नाम नही ले रहा है.विरोध कर रहे नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर श्राइन बोर्ड के चेयरमैन लेफ्टिनेंट गवर्नर सिन्हा ने तुरंत दखल नहीं दिया तो वे अपना आंदोलन और तेज कर देंगे.
 

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