रिलायंस इंडस्ट्रीज के App जियो मार्ट को मुकेश अंबानी ने देश में रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन में क्रांति लाने के लिए लॉन्च किया था, लेकिन यह सालों से मार्केट में जमे हुए छोटे बड़े डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए सिर दर्द बन गया है. कई डिस्ट्रिब्यूटर्स का कहना है कि इस एप से उनके बिजनेस को भारी नुकसान हो रहा है. इसे पीछे वजह है एप के जरिए रिटेलर्स को सामान उनके रेगुलर डिस्ट्रिब्यूटर्स की तुलना में सस्ता मिल रहा है, इसके साथ ही जियो मार्ट 24 घंटे में माल की डिलिवरी का भी वादा करता है. अंबानी ने इस रिटेल वेंचर की घोषणा साल 2018 में की थी.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सऊदी अरामको के साथ सौदे पर नए सिरे से काम शुरू किया
न्यूज एजेंसी Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 450,000 पारंपरिक डिस्ट्रिब्यूटर्स हैं, जिनके पास 600,000 गांवों सहित विशाल राष्ट्र के हर कोने में सप्लाई देने लिए सेल्समैन की सेना है. वे आम तौर पर उत्पाद की कीमतों पर 3-5% का मार्जिन कमाते हैं. ज्यादातर यह डिस्ट्रिब्यूटर्स सप्ताह में एक बार व्यक्तिगत रूप से ऑर्डर लेते हैं और खुदरा विक्रेताओं को दो दिन में माल की डिलिवरी देते हैं. जबकि रिलायंस का मॉडल 24 घंटे के भीतर सामान की डिलिवरी देने का वादा करता है जिसे खुदरा विक्रेता JioMart पार्टनर एप से जब चाहें ऑर्डर कर सकते हैं. रिलायंस ऑर्डरिंग, क्रेडिट सुविधाओं के बारे में ट्रेनिंग देने के साथ साथ किरनों के ग्राहकों के लिए उत्पादों के मुफ्त सैम्पल भी देता है.
डिस्ट्रिब्यूटर विप्रेश शाह ने बताया कि लगातार आठ दिनों से वे खुदरा विक्रेताओं को डेटॉल साबुन का एक भी पैकेट नहीं बेच पाए हैं. उन्होंने बताया कि यह वही खुदरा विक्रेता हैं जिन्हें वे 14 साल की उम्र से सामान बेचते आ रहे हैं. जब उन्होंने इसका कारण जानना चाहा तो उन्हें एक विक्रेता ने अपने फोन पर JioMart Partner एप दिखाते हुए बताया कि अपकी तुलना में हमें यहां सामान 15 प्रतिशत कम दाम पर मिलता है. 31 वर्षीय शाह ने बताया कि जियो मार्ट की कीमतों से मेल करने के लिए वे अब तक अपनी जेब से करीब डेढ़ लाख रुपए का डिस्काउंट दे चुके हैं, लेकिन बात बनती नहीं दिख रही.
अंबानी फैमिली ने लंदन में बसने से किया इनकार, लेकिन इस वजह से खरीदी 300 एकड़ जमीन
इस तरह की परेशानी झेल रहे शाह अकेले नहीं है. देश में हजारों डिस्ट्रिब्यूटर्स की यही कहानी है. कई डिस्ट्रिब्यूटर्स ने तो अपना स्टाफ और वाहन भी कम कर दिए हैं. महाराष्ट्र के वीटा और तमिलनाडु में डिस्ट्रिब्यूटर्स ने जियो मार्ट के कुछ डिलिवरी वाहनों को रोकने के लिए नाकेबंदी भी की है. स्थानीय और विदेशी उपभोक्ता फर्मों के 400000 एजेंटों का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने कहा, हम गुरिल्ला रणनीति को अपनाएंगे. उन्होंने रॉयटर्स से कहा, हम आंदोलन जारी रखेंगे, हम चाहते हैं कि (उपभोक्ता वस्तुएं) कंपनियां हमारी कीमत पहचानें.
दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में स्टॉल लगाने वाले व्यापारी मायूस