Explainer: अब मैं हैप्पी स्प्लैशडाउन करूंगा... कामयाबी की एक और कहानी लिखने से सिर्फ 2 दिन दूर हैं शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला का कहना है कि इस मिशन से मेरी ये कोशिश रहेगी कि मैं अपने देश में आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनूं. मैं इस मौके का इस्तेमाल बच्चों में जानने की इच्छा को जगाने के लिए करना चाहता हूं. अगर मेरी कहानी एक ज़िंदगी भी बदल पाई तो ये मेरे लिए बड़ी कामयाबी होगी.

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कहानी ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की.

नई दिल्ली:

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Axiom 4 Mission Pilot Subhanshu Shukla) अंतरिक्ष इतिहास में भारत के लिए कामयाबी की एक और कहानी लिखने से बमुश्किल दो दिन दूर हैं. पहले उनके अंतरिक्ष मिशन को मंगलवार शाम 5:52 मिनट पर लॉन्च होना था लेकिन ख़राब मौसम के कारण वह एक दिन टल गया है. अब बुधवार 11 जून को भारतीय समय के मुताबिक शाम 5:30 पर वह उड़ान भरेंगे.

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 पूरे भारत की निगाहें अमेरिका के फ़्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर पर लगी हैं, जहां से Axiom 4 मिशन के तहत फाल्कन 9 रॉकेट से ड्रैगन कैप्सूल आसमान के पार अंतरिक्ष में जाने के लिए उड़ान भरेगा. भारत के लिए गर्व की बात ये है कि भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस Axiom 4 मिशन के मिशन पायलट होंगे. इसके साथ ही शुभांशु शुक्ला के नाम के साथ अंतरिक्ष यात्री हमेशा के लिए जुड़ जाएगा. एक ऐसा सपना जिसे देखते हुए वह बड़े हुए और जो अब बस साकार होने को ही है. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कहते हैं कि वह भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बारे में पढ़ते हुए और उनकी कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं.

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, मिशन पायलट, Axiom 4 ने कहा कि मैं जिस यात्रा पर हूं ये मेरे लिए काफ़ी लंबी रही है. ये कहीं शुरू हुई और मुझे नहीं पता था कि ये इस रास्ते पर पहुंचेगी. मैं कहूंगा कि मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि मुझे सबसे पहले तो उड़ने का मौका मिला जो मेरे लिए सपनों की नौकरी (ड्रीम जॉब) जैसा था. उसके बाद मुझे मौका मिला कि मैं अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए एप्लाई करूं. और अब मैं यहां हूं. हुआ ये कि मेरे एक्सियम आने से शायद एक हफ़्ता पहले मुझे पता चला कि मैं अंतरिक्ष में जाऊंगा. मैं यहां आकर बहुत उत्साहित था, बहुत खुश था क्योंकि ये मेरे लिए वास्तव में अंतरिक्ष में उड़ने का मौका था. पता नहीं ऐसे मौकों पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए.

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1985 में लखनऊ में पैदा हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ज़िंदगी के सफ़र में अंतरिक्ष यात्रा का ये पड़ाव कड़ी मेहनत के बाद आया है. इसकी शुरुआत हुई थी आज से 23 साल पहले जब वह 16 साल के थे. ये भी अपने आप में एक बेहद दिलचस्प वाकया है. अगर उस रोज़ अपनी बहन शुचि की शादी के दिन सुबह-सुबह शुभांशु घर से ग़ायब नहीं हुए होते तो आज यहां इस ऐतिहासिक पड़ाव पर खड़े न होते. आख़िर कहां चले गए थे शुभांशु शुक्ला जो पूरे घर में उनकी खोज होने लगी. आपको बता दें कि शुभांशु शुक्ला के माता-पिता को उनकी बहनों से ये पता चला है कि शुभांशु उस दिन कहां ग़ायब हो गए थे. कभी-कभी ऐसे ग़ायब होना भी कितना सुखद हो जाता है, क्या ज़िंदगी बना देता है.

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क्या दिलचस्प वाकया था देश की शान ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से जुड़ा. एनडीए की परीक्षा पार करने के बाद कमीशन मिला, वायुसेना में फाइटर पायलट बने, फिर टेस्ट पायलट और अब अंतरिक्ष मिशन Axiom 4 में मिशन पायलट. इस मिशन में चार देशों के चार अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जा रहे हैं और सभी को मिशन के लिए कड़े प्रशिक्षण से गुज़रना पड़ा है. शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट हैं तो नासा की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री अमेरिका की Peggy Whitson मिशन की कमांडर होंगी. Peggy Whitson अभी Axiom की human spaceflight की डायरेक्टर हैं. 

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सबसे ख़ास बात ये है कि किसी भी अमेरिकी से ज़्यादा समय उन्होंने अंतरिक्ष में बिताया है. आज तक 675 दिन वह अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं और उनका ये अनुभव इस मिशन में सबसे अधिक काम आएगा. पैगी व्हिटसन पांचवीं बार अंतरिक्ष में जा रही हैं और दूसरी बार Axiom Space की ओर से अंतरिक्ष में जा रही हैं. इसके अलावा मिशन स्पेशलिस्ट और पोलैंड के स्वावोश उज़नांस्की और दूसरे मिशन स्पेशलिस्ट और हंगरी के टिबोर कापू भी इस उड़ान में शुभांशु शुक्ला के साथ होंगे और इस अंतरिक्ष यात्रा में कई तरह के प्रयोग करेंगे. मिशन कमांडर पैगी विटसन के अलावा बाकी तीनों अंतरिक्ष यात्रियों की ये पहली अंतरिक्ष यात्रा है. ये तीनों अंतरिक्ष यात्री अपने अपने देशों की ओर से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री बनेंगे.

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मिशन पायलट, Axiom 4 के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि इस मिशन पर मैं जिस टीम के साथ जा रहा हूं वह बहुत ही शानदार है. मैं मानता हूं कि मेरी टीम के साथी बहुत ही प्रतिभाशाली हैं. वो मेरे साथ इस उड़ान में होंगे. लेकिन इस उड़ान के बाद भी वो पूरी ज़िंदगी मेरे साथी बने रहेंगे. ये एक हैरान करने वाली यात्रा रही. ये पल बताते हैं कि आप किसी ऐसी चीज़ का हिस्सा बनने जा रहे हैं जो आपसे बहुत बड़ी है.. मैं बस यही कह सकता हूं कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि इस सबका हिस्सा बना.

भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट और फिर टेस्ट पायलट रहे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का लंबा अनुभव इस अंतरिक्ष यात्रा में बड़ा काम आएगा.Axiom 4 में उनके साथी अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के अनुभव और जानकारियों का लोहा मानते हैं.


मिशन Ax-4, Axiom Space का चौथा मिशन है जो अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएगा. Axiom Space ह्यूस्टन की एक कंपनी है जिसने ये मिशन ऑर्गैनाइज़ किया है. इस मिशन के तहत चारों अंतरिक्ष यात्री स्पेस एक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल में बैठकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाएंगे. ये मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर बुधवार 11 जून को भारतीय समय के मुताबिक रात दस बजे पहुंच जाएगा. Ax-4 के अंतरिक्ष यात्री अगले दो हफ़्ते अंतरिक्ष में चक्कर लगा रही इस प्रयोगशाला में रहेंगे और कई तरह के प्रयोगों में शामिल होंगे. दो हफ़्ते में इन चारों अंतरिक्षयात्रियों को 31 देशों से जुड़े क़रीब 60 वैज्ञानिक प्रयोग करने हैं. आज तक के किसी भी Axiom स्पेस मिशन से ज़्यादा प्रयोग.

Axiom 4 मिशन पायलट, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने NDTV से बातचीत में कहा कि ये मेरी पहली अंतरिक्ष यात्रा है. बीते एक साल से हम इस मिशन के लिए जमकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. मुझे विश्वास है, न सिर्फ़ मेरी काबिलियत पर, बल्कि मेरी इस टीम की काबिलियत पर जो इस मिशन को कामयाबी से पूरा करने के लिए यहां बैठी है. मुझे पूरा विश्वास है कि हम इस मिशन में कामयाब होंगे. हां एक समय था, जब विमान को उतारने के लिए हैप्पी लैंडिंग उपयुक्त था, लेकिन अब मैं हैप्पी स्प्लैशडाउन करूंगा.

क्रू ड्रैगन कैप्सूल प्रशांत महासागर में समुद्री लहरों के बीच उतरेगा

 मिशन के पूरा होने की तारीख़ अभी तक तय नहीं हुई है. ये मौसम पर भी निर्भर करेगा. मिशन जब भी पूरा होगा तो चारों यात्रियों को लेकर स्पेस एक्स का क्रू ड्रैगन कैप्सूल प्रशांत महासागर में समुद्री लहरों के बीच उतरेगा. ख़ास बात ये है कि ये चारों अंतरिक्ष यात्री मिशन SpaceX के जिस Crew Dragon capsule में जाएगा बिल्कुल नया है. फ़्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के Launch Pad 39A पर ये Crew Dragon capsule 5 जून को ही पहुंच गया था, जिसकी पहली तस्वीरें दुनिया के सामने आईं जिन्हें SpaceX ने सोशल मीडिया X पर जारी किया. ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सात यात्री बैठ सकते हैं.

 आपको याद होगा कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को पिछले साल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक ले जाने वाले बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में जब दिक्कत आई थी तो उन्हें इस साल 18 मार्च को ड्रैगन कैप्सूल में ही वापस लाया गया था. Crew Dragon capsule को SpaceX के सबसे भरोसेमंद Falcon 9 rocket से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा.

  •  ये एक टू स्टेज रॉकेट है जो reusable है यानी इसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है. स्पेसक्राफ्ट को धरती की कक्षा में सुरक्षित छोड़ने के बाद ये वापस लौट आता है.
  • इस तरह ये दुनिया का पहला ऑर्बिटल क्लास रीयूज़ेबल रॉकेट है. फिर से इस्तेमाल किए जाने की क्षमता के कारण अंतरिक्ष तक जाने की लागत कम हो जाती है क्योंकि रॉकेट के सबसे कीमती हिस्से बार-बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
  • 2010 में सबसे पहले इस्तेमाल किए गए Falcon 9 रॉकेट की सफलता दर 99.4% है.
  • अब तक 481 उड़ानों में से 478 कामयाब रही हैं और सिर्फ़ तीन उड़ान ही नाकाम रही हैं
  • ये रॉकेट क़रीब 70 मीटर ऊंचा है, लगभग उतना ही जितना दिल्ली का क़ुतुब मीनार.
  • इसका वज़न है 549 टन.अब तक 10 उड़ानों के ज़रिये ये 26 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है.
  • टू स्टेज रॉकेट Falcon 9 में क्रायोजैनिक इंजन लगा है जो रॉकेट ग्रेड कैरोसीन पर चलता है

 Axiom 4 मिशन नासा और इसरो के बीच आपसी सहयोग के एक समझौते पर आधारित है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वादा किया था कि वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन - ISRO के एक अंतरिक्षयात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजेंगे. नासा और इसरो विज्ञान से जुड़े पांच शोध पर मिलकर काम कर रहे हैं. इस मिशन से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की कोशिश है कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन सकें.

आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने की कोशिश

शुभांशु शुक्ला का कहना है कि इस मिशन से मेरी ये कोशिश रहेगी कि मैं अपने देश में आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनूं. मैं इस मौके का इस्तेमाल बच्चों में जानने की इच्छा को जगाने के लिए करना चाहता हूं. अगर मेरी कहानी एक ज़िंदगी भी बदल पाई तो ये मेरे लिए बड़ी कामयाबी होगी. मैं हूं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और मैं एक्सियम 4 मिशन का मिशन पायलट हूं.