केंद्रीय इस्पात मंत्री, रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP Singh) की केंद्र की नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल से विदाई तय है और वो जल्द इस्तीफा दे सकते हैं. इस बात की पुष्टि बिहार भाजपा के नेताओं ने इस आधार पर की है कि फ़िलहाल उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को नाराज़ कर आरसीपी सिंह को पार्टी में कोई आश्रय या प्रश्रय नहीं देना चाहता है.
फ़िलहाल जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बड़े नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराज़गी झेल रहे आरसीपी सिंह की राज्य सभा की सदस्यता बृहस्पतिवार (7 जुलाई) तक ही है. पार्टी ने उन्हें तीसरा टर्म नहीं दिया है. आरसीपी सिंह को राज्य सभा चुनाव में नामांकन से वंचित करने के बाद नीतीश कुमार ने साफ़ कर दिया था कि वो मंत्री अपने राज्य सभा के टर्म पूरा होने तक रह सकते है लेकिन पिछले कुछ दिनों के दौरान उनके करीबी और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने बार-बार ये भी कहा है कि उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. हालाँकि, मंगलवार को जब इस सम्बंध में पूछा गया तो आरसीपी सिंह ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
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उधर, बिहार भाजपा के नेताओं का कहना है कि इस्तीफ़ा कुछ कारणों से तय लग रहा है, जिसमें सबसे अहम यह है कि फ़िलहाल नीतीश कुमार को नाराज़ नहीं करने का निर्देश बिहार में उन सभी पार्टी नेताओं को दिया गया है जो प्रासंगिक हैं. पार्टी का ऐसा आंकलन है कि आरसीपी सिंह ना तो ज़मीन पर और ना ही विधायकों के बीच इतने अहम हैं जिसके लिए पार्टी उनके पीछे खड़ी हो. भले इसका साफ़ संदेश ये जाता कि पार्टी नीतीश कुमार की नाराज़गी की परवाह नहीं करती. भाजपा के नेताओं ने नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया के मद्देनज़र फ़िलहाल उनको राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत सदस्यों की सूची में स्थान मिलने की भी किसी संभावना से इनकार किया है.
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नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच रिश्तों में खटास का अंदाज़ा इस घटनाक्रम से लगाया जा सकता है कि राज्यसभा की सदस्यता से वंचित करने के बाद आरसीपी सिंह पटना में जिस सरकारी बंगले में पिछले बारह वर्षों से रह रहे थे, उसको भी मुख्य सचिव के नाम आवंटित कर, उन्हें वहाँ से निकलने पर मजबूर कर दिया. हालाँकि, ये माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह देर-सवेर आख़िरकार पहले अपने बयानों के माध्यम से पार्टी से निलंबन को आमंत्रण देंगे और जब भी नीतीश कुमार और भाजपा के सम्बंध सामान्य नहीं रहेंगे, तब बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे.
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