- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार काम करने में बेहद निकम्मी और भरोसेमंद नहीं होती है.
- गडकरी ने नागपुर में स्टेडियम निर्माण की इच्छा जताई लेकिन सरकारी सस्टेम की सुस्ती से निराशा भी व्यक्त की.
- उन्होंने फ्रीबीज योजनाओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे मुफ्त में कुछ नहीं देते और सभी को मेहनताना चाहिए.
'...मेरे 4 साल के अनुभव के बाद मुझे ये समझ आया कि सरकार, बहुत निकम्मी होती है. कॉर्पोरेशन के भरोसे कोई काम नहीं होता. चलती गाड़ी को पंक्चर करने का एक्सपर्टीज्म इनके पास होता है.' ये कहना है, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का. नागपुर में स्टेडियम बनवाने की चाहत को लेकर उन्होंने जो रवैया देखा, उन्हीं अनुभवों के आधार पर वे ये सब बोल रहे थे.
अपनी बेबाकी के लिए मशहूर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में शनिवार को एक कार्यक्रम में फ्रीबीज यानी 'मुफ्त की योजनाओं' पर भी चोट किया. उन्होंने कहा, 'सबको फोकट का कुछ चाहिए. मैं नहीं देता फोकट में कुछ.'
ऐसा क्यों बोले नितिन गडकरी?
दरअसल, केंद्रीय मंत्री नागपुर में स्टेडियम बनवाना चाहते हैं, लेकिन सरकारी सुस्ती के चलते उन्होंने अपनी निराशा और भड़ास निकाली. गडकरी ने कहा, 'मैं नागपुर में खेलों के लिए 300 स्टेडियम बनाना चाहता हूं, लेकिन अपने चार साल के करियर में मैंने महसूस किया है कि सरकार निकम्मी होती है. ये एनआईटी, निगम वगैरह के भरोसे कोई काम नहीं होता. उन्हें चलती गाड़ी को पंक्चर कर देने में महारत होती है.' गडकरी ने इन शब्दों के साथ अपनी नाराजगी जताई.
'राजनीति एक फ्री-मार्केट है'
नितिन गडकरी ने एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा, 'दुबई से एक व्यक्ति मेरे पास आया और बोला कि मैं दुबई में एक खेल स्टेडियम चलाता हूं. मैंने पूछा कि इसे कैसे चलाएंगे, तो उन्होंने कहा.. मैं 15 साल का टेंडर दूंगा.. हम लाइट, पानी की व्यवस्था, कपड़े बदलने की व्यवस्था करेंगे और फिर वो मेंटेनेंस करेंगे.. और जो बच्चा खेलने आएगा उससे वो 500 या 1,000 रुपये फीस लेंगे.
गडकरी ने आगे कहा, 'किसी को फोकट में कुछ नहीं देना चाहिए. मैं राजनीति में हूं. यहां सब कुछ मुफ्त है. ऐसी सोच ही है कि मुझे सब कुछ मुफ्त चाहिए... मैं मुफ्त में नहीं देता.'
'...ताकि हम अच्छा जीवन जी सकें'
हमें इस बात का इंतजाम करना चाहिए कि हम 75-80 साल की उम्र तक कैसे अच्छा जीवन जी सकें. जब हमारे अच्छे दिन हों, तो हमें इस बारे में सोचना चाहिए. जब हमारे अच्छे दिन होते हैं, तो बहुत से लोग सामने से हमारी तारीफ करते हैं क्योंकि तब क्रेज और ग्लैमर होता है, इसलिए जब हमारा समय पूरा हो जाता है, तो कोई नहीं सोचता.'