योगी सरकार के धर्मांतरण कानून का क्यों हो रहा है विरोध, विपक्ष को किस बात से है आपत्ति

हिंदूवादी संगठन योगी सरकार के इस कदम से खुश हैं. वो इसे लव जिहाद रोकने की दिशा में एक प्रभावी कदम बता रहे हैं. वहीं कुछ दलित संगठनों का कहना है कि यह कानून दलित विरोधी है. वहीं विपक्ष का कहना है कि इससे झूठी शिकायतों की बाढ़ आ जाएगी.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2024  को विधानसभा में पारित करवा लिया है.राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. इस विधेयक को  धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए लाया गया.विधेयक में धर्मांतरण का दोष साबित होने पर मिलने वाली सजा को बढ़ा दिया गया है.अब इसमें उम्रकैद तक के प्रावधान किए गए हैं.इसे देश में धर्मांतरण के विरोध में सबसे सख्त कानून बताया जा रहा है.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लव जिहाद को राजनीतिक मुद्दा बनाए रखना चाहते हैं. वो पिछले काफी समय से इस मुद्दे को उठाते रहे हैं.इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इतना कड़ा कानून बनाया है.लेकिन इस कानून का विरोध भी शुरू हो गया है. 

संशोधन के बाद कितनी सख्त हुई है सजा

संशोधन के बाद बने कानून के दो प्रावधान सबसे अहम हैं.पहला यह कि अगर दोषी का संबंध विदेशी या गैरकानूनी एजेंसियों से पाया जाता है तो उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है और 14 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. वहीं बहला-फुसलाकर कराए गए धर्मांतरण का दोष साबित होने पर 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.यह प्रावधान एससी-एसटी महिलाओं के गैरकानूनी धर्मांतरण के मामलों में खासतौर पर लागू होगा.इसमें दोषी पाए गए व्यक्ति को पीड़ित को मुआवजा देना होगा. इससे पहले 2021 में बने कानून में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था.

विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध

योगी सरकार के इस कदम के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है. विपक्ष का कहना है कि इससे झूठी शिकायतों की बाढ़ आ जाएगी. कांग्रेस ने कहा है कि राज्य सरकार को एक कमीशन भी बनाना चाहिए,जो इस बात की जांच करे कि जो शिकायत दी गई है वह सही है या गलत.वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि अगर अलग-अलग धर्म के दो लोग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं और उनके मां-बाप भी राजी हैं, तब भी नए विधेयक के मुताबिक कोई तीसरा व्यक्ति इसकी शिकायत कर सकता है.यह सीधे-सीधे संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है.

Advertisement

हिंदूवादी संगठन योगी सरकार के इस कदम से खुश हैं. वो इसे लव जिहाद रोकने की दिशा में एक प्रभावी कदम बता रहे हैं. वहीं कुछ दलित संगठनों का कहना है कि यह कानून दलित विरोधी है. उनका कहना है कि यह कानून दलितों को दलित बनाए रखने के लिए लाया गया है. 

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में 18 महीने से नहीं हुई सुनवाई

उत्तर सरकार नवंबर 2020 में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी. बाद में सरकार ने विधानसभा में विधेयक पारित करवाकर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 बनाया था. उत्तर प्रदेश के अलावा सात दूसरे राज्यों में भी इसी तरह के कानून बनाए गए हैं.कुछ लोगों ने इन कानूनों की वैधानिकता को अदालतों में चुनौती दी है.सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2023 को सीजेआई की अध्यक्षता वाले पीठ ने अलग-अलग हाई कोर्टों में लंबित याचिकाओं को अपने यहां मंगवा लिया था.लेकिन इन पर पिछले 18 महीने में सुनवाई नहीं हो पाई है. 

Advertisement

ये याचिकाएं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को लेकर दायर की गई थीं. वहीं हरियाणा में बने कानून को जुलाई 2023 में दी गई. यह याचिका भी इसमें जोड़ी गई हैं. गैर कानूनी धर्मांतरण विरोधी ये सभी कानून बीजेपी शासित राज्यों ने बनाए हैं. लेकिन देश में इस तरह का पहला कानून ओडिशा सरकार ने 1960 के दशक में ही बना लिया था. 

Advertisement

ये भी पढ़ें:  गोमती नगर छेड़छाड़ः योगी ने विधानसभा में पढ़े मनचलों के नाम, बोले- इनके लिए 'बुलेट ट्रेन' चलाएंगे

Featured Video Of The Day
Sambhal में मिली बावड़ी का Prithviraj Chauhan के साथ कनेक्शन, क्या है पूरा सच
Topics mentioned in this article