भरतपुर के शाही परिवार में क्यों छिड़ी है लड़ाई? विश्वेंद्र सिंह ने पत्नी पर लगाए प्रताड़ित करने के आरोप

विश्वेंद्र सिंह भरतपुर के शाही परिवार के सदस्य हैं. वह राजस्थान के मंत्री भी रहे हैं. मगर अब उनके पास रहने की जगह नही है. इसकी वजह वो अपनी पत्नी और बेटे को मानते हैं और कोर्ट से अपने लिए न्याय मांग रहे हैं.

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विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और बेटे पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
जयपुर:

राजस्थान के पूर्व मंत्री और भरतपुर के शाही परिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह (Vishwendra Singh) ने अपनी पत्नी और बेटे से गुजारा भत्ता मांगा है और आरोप लगाया है कि वे उन्हें पीटते हैं, पर्याप्त भोजन नहीं देते और लोगों से मिलने भी नहीं देते. हालांकि, उनकी पत्नी और बेटे ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि पूरे मामले में असली पीड़ित वह दोनों हैं. पूर्व मंत्री के बेटे अनिरुद्ध सिंह (Anirudh Singh) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, "यह एसडीएम पर दबाव डालने की रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है. मेरी मां और मुझे एसडीएम कोर्ट और माननीय न्यायाधीश पर इस मामले को तत्परता और निष्पक्षता से निपटाने का भरोसा है. यह मामला नया नहीं है. यह 6 मार्च 2024 से चलता आ रहा है." 

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प्रति माह 5 लाख रुपये की मांग
विश्वेंद्र सिंह ने इससे पहले अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह (Divya Singh) और बेटे अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ अनुमंडल पदाधिकारी न्यायाधिकरण में आवेदन दिया था. अपने आवेदन में उन्होंने कहा, "मुझे अपना घर (मोती महल) छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है. मैं खानाबदोश की जिंदगी जी रहा हूं. कभी मुझे सरकारी आवास में रहना पड़ता है तो कभी होटल में. मुझे एक कमरे में कैद कर दिया गया है. जब मैं भरतपुर आता हूं तो मुझे घर में घुसने भी नहीं दिया जाता. अब घर पर पत्नी और बेटे के साथ रहना संभव नहीं है.'' पूर्व मंत्री ने पत्नी और बेटे से प्रति माह 5 लाख रुपये की मांग की है.

"घर से बाहर निकाल दिया"
कोर्ट को दिए आवेदन में विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और बेटे पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है, "उनका इरादा मेरी जिंदगी खत्म करने का है. जिसके बाद वे सारी संपत्ति हड़प सकते हैं. मुझे उम्मीद थी कि शायद भविष्य में उनका व्यवहार सुधर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मेरी पत्नी और बेटे ने मेरे कमरे को बंद कर दिया और जबरन मुझे घर से बाहर निकाल दिया, इसलिए मुझे घर छोड़ना पड़ा. घर छोड़ते समय मेरे पास जो भी कपड़े थे, मैं ले आया. तब से मैं ऐसे ही रह रहा हूं. मैं दिल का मरीज हूं. इलाज के दौरान डाले गए दो स्टेंट के कारण मैं तनाव सहन नहीं कर सकता. तनाव मेरे जीवन के लिए घातक है. मुझे वर्ष 2021 और 2022 में दो बार कोरोना हुआ, लेकिन मेरे बेटे और पत्नी ने कोई शारीरिक, मानसिक या वित्तीय मदद नहीं की."

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"बदनाम करने से रोका जाए"
विश्वेंद्र सिंह ने आगे कोर्ट को बताया, "मैं वसीयत के माध्यम से अपने पिता से विरासत में मिली संपत्तियों का मालिक हूं. मेरी पत्नी और बेटे ने मेरे कपड़े कुएं में फेंक दिए. उन्होंने कागजात, रिकॉर्ड आदि फाड़ दिए और कमरों से सामान बाहर फेंक दिया. उन्होंने चाय और पानी देना बंद कर दिया है." उन्होंने अदालत से कहा कि उनकी पत्नी और बेटे को भी सोशल मीडिया के जरिए उन्हें बदनाम करने से रोका जाना चाहिए. सिंह ने एसडीएम को दिए आवेदन में मोती महल पैलेस की संपत्तियां उन्हें वापस दिलाने की मांग की है. इसमें मथुरा गेट थाना क्षेत्र स्थित मोती महल, कोठी दरबार, गोलबाग कॉम्प्लेक्स और सूरज महल शामिल हैं. हालांकि उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह ने आरोपों को झूठा बताया है. अनिरुद्ध सिंह ने रविवार को कहा कि मारपीट करने और खाना नहीं देने का आरोप पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो मेरे पिता के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी और संपत्ति की गलत बिक्री के सबूत एसडीएम कोर्ट में पेश किए जाएंगे.'

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