फ्रांस के मासे शहर क्या भारत से पुराना नाता, जहां पीएम मोदी विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे

प्रधानमंत्री मोदी मासे में मजारगुएस युद्ध कब्रिस्तान भी जाएंगे, जहां वह विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.

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नई दिल्ली:

पीएम मोदी इस वक्त फ्रांस के दौरे पर हैं. जहां उन्होंने एआई एक्शन समिट की सहअध्यक्षता की. अब पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए मासे (Marseille) पहुंच गए हैं. इस बारे में खुद पीएम मोदी ने ट्वीट कर जानकारी दी है. मासे पहुंचने के बाद पीएम ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है. पीएम ने वीर सावरकर को याद करते हुए, उस मुश्किल वक्त में उनका समर्थन करने वाले फ्रांस के लोगों का धन्यवाद दिया. पीएम मोदी ने मासे पहुंचने के बाद लिखा, 'मैं मासे में उतर गया हूं. भारत की आजादी में इस शहर का खास महत्व है. यहीं पर महान वीर सावरकर ने साहसी पलायन की कोशिश की. मैं मासे के लोगों और उस वक्त के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने ये मांग की कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में नहीं सौंपा जाए. वीर सावरकर की वीरता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.'

मासे का इंडिया कनेक्शन

पीएम मोदी फ्रांस के दूसरे सबसे बड़े शहर और फेमस बंदरगाह मासे में है. इस बंदरगाह शहर का भारत के स्वतंत्रता संग्राम से गहरा रिश्ता रहा है. जब ब्रिटिश हुकूमत ने सावरकर को गिरफ्तार कर लिया था तब उन्हें पेशी के लिए भारत ले जाया जा रहा था. इस दौरान सावरकर ने ब्रिटिश जहाज से छलांग लगाकर भागने की कोशिश की. जैसे ही वो समुद्र के किनारे पहुंचे तो वहां मौजूद फ्रेंच अफसरों ने उन्हें पकड़ लिया. इसके बाद फ्रांसीसी अधिकारियों ने उन्हें वापस अंग्रेंजो को सौंप दिया. लेकिन तब उनके भागने की कोशिश की वजह से फ्रांस और ब्रिटेन के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दे दिया. फ्रांस ने आरोप लगाया कि सावरकर की वापसी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लघंन है. क्योंकि इस दौरान प्रत्यर्पण के लिए सही तरीके का पालन नहीं किया गया. तब ये मामला कोर्ट में पहुंचा. जहां इस पर फैसला सुनाया गया कि सावरकर की गिरफ्तारी में अनियमितता बरती गई. लेकिन इसके बावजूद ब्रिटेन ने उन्हें वापस नहीं किया.

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क्यों दुनियाभर में फेमस है मासे

नेपोलियन बोनापार्ट और महान फुटबॉलर जिनेदिन जिदान का घर मासे में है. इसलिए ये शहर दुनियाभर में फेमस है. मासे फ्रांस के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. ये शहर अपने अनूठे इतिहास और प्राकृतिक विरासत के लिए दुनियाभर में मशहूर है. यही वजह है कि ये शहर दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है.  यहां मौजूद घरों की बालकनियां रंगीन फूलों से भरी रहती है. इस शहर का दीदार किसी को भी पलभर में अपना दीवाना बना लेने के लिए काफी है. यहां के कारीगरों दुनियाभर में मशहूर है.

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पीएम मोदी जाएंगे मजारगुएस युद्ध कब्रिस्तान

प्रधानमंत्री मोदी मजारगुएस युद्ध कब्रिस्तान भी जाएंगे, जहां वह विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. 1914 से 1915 तक फ्रांस में भारतीय सेना कोर फ्रांस के मैदानों पर लड़ने वाले पहले गैर-यूरोपीय लड़ाकों में से थे. भारतीयों ने स्कॉटिश, आयरिश और अंग्रेजी बटालियनों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी, जो हर ब्रिगेड का हिस्सा थीं. पहले ऑस्ट्रेलियाई सैन्य जहाज के मिस्र में उतरने से पहले, और गैलीपोली में उतरने से कई महीने पहले, भारतीय सैनिक पहले से ही फ्रांस में पश्चिमी मोर्चे पर लड़ रहे थे. 5 सितंबर 1914 को जनरल विलकॉक्स ने भारतीय सेना के सैनिकों की पहली डिवीजनों की कमान संभाली, 26 सितंबर को, युद्ध की घोषणा के सिर्फ सात सप्ताह बाद, लाहौर डिवीजन की दो ब्रिगेड फ्रांस के मार्सिले में उतरीं. सिहिंद ब्रिगेड को मिस्र में गैरीसन को मजबूत करने के लिए उतारा गया था.

भारत के लिए मासे की अहमियत क्यों खास है?

मासे की रणनीतिक स्थिति भूमध्य सागर के तट पर इसे भारत और फ्रांस के बीच व्यापार के लिए एक गेटवे बनाती है. यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट में से एक है. IMEC परियोजना की घोषणा G20 शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान नई दिल्ली में की गई थी. ये परियोजना भारत के पश्चिमी तट को यूरोप से पश्चिम एशिया के माध्यम से जोड़ने के लिए है. इस कॉरिडोर पर मोदी और मैक्रों के बीच बातचीत होने की संभावना है. भारत इस परियोजना में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ भी संपर्क में है.
 

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