एलन मस्क ने अमेरिका के ईवीएम पर उठाए सवाल तो राजीव चंद्रशेखर ने भारत का दिया उदाहरण, विपक्ष को मिला "मौका"

EVM Controversy : विपक्ष को एलन मस्क ने ऐसा हथियार दे दिया है कि वह अब लंबे समय तक ईवीएम को लेकर सरकार पर आरोप लगाता रहेगा. यहां पढ़ें, ऐसा क्या कहा एलन मस्क ने...

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EVM Controversy : एलन मस्क के ईवीएम पर सवाल उठाने के बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने भी अपनी चिंता जाहिर की है.

EVM Controversy : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाने वालों को चुप तो कराया ही पूरी दुनिया ने भी चुनाव नतीजों के बाद भारत की चुनावी प्रक्रिया की तारीफ की. मगर एलन मस्क ने अब एक अलग ही राग छेड़ा है. सोशल मीडिया 'एक्स' के बॉस एलन मस्क (Elon Musk) ने अमेरिका में ईवीएम के जरिए चुनाव पर एक ट्वीट कर संदेह जताया. जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने उन्हें भारत के ईवीएम का उदाहरण दिया और बताया कि यह कितना सुरक्षित है. वहीं अब तक ईवीएम पर कुछ दिनों से चुप बैठे विपक्ष को इसमें "मौका" दिख गया. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) तक एलन मस्क के पोस्ट को री-ट्वीट कर ईवीएम पर चिंता जताने लगे.

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दरअसल, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे और अगले अमेरिकी चुनावों के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के एक पोस्ट के जवाब में एलन मस्क ने यह ट्वीट किया था. रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने अपने पोस्ट में प्यूर्टो रिको में हुए मतदान में अनियमितताएं बताई थीं. मस्क ने इसी पर एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए. इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी यह बहुत अधिक है."

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मस्क के पोस्ट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भारत का उदाहरण देते हुए ट्वीट किया, "मस्क की टिप्पणी एक बहुत सामान्य सा बयान है कि कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता है. एलन मस्क का विचार अमेरिका और अन्य स्थानों पर लागू हो सकता है, जहां वे इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीनें बनाने के लिए नियमित कंप्यूट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, लेकिन भारतीय ईवीएम कस्टम डिजाइन, सुरक्षित और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से अलग हैं. इनमें कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं है यानी इन्हें हैक करने का कोई रास्ता नहीं है. फैक्टरी प्रोग्राम किए गए कंट्रोलर्स को दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को उसी तरह से डिजाइन और निर्मित किया जा सकता है, जैसा कि भारत ने किया है, हमें एलन के लिए एक ट्यूटोरियल चलाने में खुशी होगी." चंद्रशेखर के बयान पर मस्क ने संक्षिप्त लेकिन अपने दावे पर और जोर देते हुए कहा, ''कुछ भी हैक किया जा सकता है.'' इस पर चन्द्रशेखर ने तर्क दिया कि हालांकि कुछ भी संभव है, मगर कागजी मतपत्रों की तुलना में ईवीएम एक विश्वसनीय मतदान पद्धति बनी हुई है.

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अब तक के इस बातचीत में मस्क ने अपने देश की चुनावी प्रणाली पर संदेह किया और चंद्रशेखर ने अपने देश की तारीफ की. हालांकि, चुनाव परिणामों से अब तक गदगद नजर आ रहे विपक्ष के नेताओं को इस बातचीत में मौका दिख गया. उन्होंने एलन मस्क की टिप्पणियों को साझा करते हुए भारत की चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) ने कहा कि भारत में ईवीएम एक 'ब्लैक बॉक्स' हैं और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है. मस्क की पोस्ट और रवींद्र वायकर के चुनाव पर एक समाचार रिपोर्ट साझा करते हुए उन्होंने कहा, "हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं. जब संस्थानों में जवाबदेही की कमी होती है तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी का खतरा बन जाता है."

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समाजवादी पार्टी प्रमुख और कांग्रेस के सहयोगी अखिलेश यादव ने भी मस्क की पोस्ट साझा करते हुए कहा, "टेक्नोलॉजी समस्याओं को दूर करने के लिए है, यदि वे समस्याओं का कारण बनती हैं, तो उनका उपयोग बंद कर दिया जाना चाहिए. जब ​​दुनिया भर के कई चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ के खतरों को चिह्नित किया जा रहा है और जाने-माने टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट जोखिमों को चिह्नित कर रहे हैं, तो भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि वे ईवीएम का उपयोग करने पर क्यों आमादा हैं?'' अखिलेश यादव ने मांग की कि आगामी चुनावों का उपयोग मतपत्र पद्धति से किया जाए.

राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता प्रियंका चतुर्वेदी भी इसमें पीछे नहीं रहीं और उत्तर पश्चिम मुंबई सीट पर हुई मतगणना को लेकर उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "यह उच्चतम स्तर पर धोखाधड़ी है और फिर भी @ECISVEEP सो रहा है." भारतीय विपक्षी गुट ने भी अपने आधिकारिक हैंडल से एलन मस्क की टिप्पणी साझा की.

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चुनाव आयोग का कहना है कि ईवीएम एक व्यवहार्य मतदान पद्धति है और उनके उपयोग के लिए मजबूत तकनीकी और प्रशासनिक सुरक्षा उपाय मौजूद हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में ईवीएम पर सवाल उठाने वालों पर तंज कसा था. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "ईवीएम के नतीजे सबके सामने हैं. उस बेचारे पर आरोप क्यों लगाना? इसे कुछ दिनों के लिए आराम करने दीजिए. अगले चुनाव तक ईवीएम को आराम करने दीजिए. फिर ऐसा होगा." बाहर आओ, फिर इसकी बैटरी बदल दी जाएगी, फिर इसके कागजात बदल दिए जाएंगे, फिर इसका दुरुपयोग होगा, लेकिन अच्छे नतीजे आएंगे, पिछले 20-22 चुनावों से ऐसा ही परिणाम आ रहा है, सरकार बदलती रहती है.'' आज भी चुनाव आयोग ने मुंबई उत्तर पश्चिम सीट को लेकर सारे दावों का सिलसिलेवार जवाब दिया है. पढ़ें-"मोबाइल फोन या OTP से ईवीएम अनलॉक नहीं होता" : हैकिंग के दावों पर EC, राहुल गांधी ने साझा की थी एक अखबार की रिपोर्ट

अभी हाल ही में पीएम मोदी ने भी इटली में हुए जी7 सम्मेलन में भारत की चुनावी प्रक्रिया की सराहना की थी और देश का मान बढ़ाया था. दुनिया भर की नजरें और उत्सुकता भारत की चुनाव प्रक्रिया में जगी थी. पीएम मोदी ने जी 7 में दिए भाषण में कहा था, "पिछले सप्ताह आप में से कई मित्र, यूरोपियन पार्लियामेंट के चुनावों में व्यस्त थे. कुछ मित्र आने वाले समय में चुनावों की सरगर्मी से गुजरेंगे. भारत में भी पीछे कुछ महीने चुनाव का समय था. भारत के चुनाव की विशेषता और विशालता कुछ आंकड़ों से समझी जा सकती है : 2600 से ज्यादा राजनीतिक दल ,1 मिलियन से ज्यादा पोलिंग बूथ, 5 मिलियन से ज्यादा इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, 15 मिलियन पोलिंग स्‍टाफ और लगभग 970 मिलियन वोटर्स, जिनमें से 640 मिलियन लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. टेक्नोलॉजी के सर्वव्यापी इस्तेमाल से पूरी चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है और इतने बड़े चुनावों के परिणाम भी कुछ घंटों में घोषित किये गए. यह विश्व का सबसे बड़ा और मानवता के इतिहास में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व रहा. यह लोकतंत्र की जननी के रूप में हमारे प्राचीन मूल्यों का जीवंत उदाहरण भी है और मेरा यह सौभाग्य है कि भारत की जनता ने लगातार तीसरी बार मुझे उनकी सेवा करने का अवसर दिया है. "

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