सीयूईटी यूजी परीक्षाओं में क्‍यों आ रही दिक्‍कत? यूजीसी चेयरमैन ने NDTV को बताई वजह

यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश का कहना है कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट, अंडरग्रेजुएट 2023 की परीक्षाओं में अभी तक का अनुभव बहुत अच्‍छा रहा है. तीन दिन हो गए हैं, अब तक 6 लाख 50 स्टूडेंट्स ने परीक्षाएं दी हैं.

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यूनिवर्सिटीज में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई की दिशा में भी काम चल रहा- यूजीसी चेयरमैन
नई दिल्‍ली:

राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जा रही कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट, अंडरग्रेजुएट 2023 (CUET UG 2023) के लिए परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं. अब तक लगभग 6 लाख से ज्‍यादा छात्रों ने परीक्षा दी है. यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने NDTV से खास बातचीत में कहा कि पूरे देश के 270 शहरों में 472 सेंटर्स हैं, जिन पर परीक्षाएं हो रही हैं. शुरुआत में छात्रों को कुछ समस्‍याएं आई थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही है. इसके अलावा उन्‍होंने,  भारतीय भाषाओं में पढ़ाई, प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस और  सेंट्रल यूनिवर्सिटी (CU) चयन पोर्टल से जुड़े सवालों पर भी खुलकर अपनी राय रखी.     

यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने बताया कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट, अंडरग्रेजुएट 2023 की परीक्षाओं अभी तक का अनुभव बहुत अच्‍छा रहा है. तीन दिन हो गए हैं, अब तक 6 लाख 50 स्टूडेंट्स ने परीक्षाएं दी हैं. सभी सेंटर पर जितना मुमकिन है, हमने अरेंजमेंट्स किया, पानी, टेंट, शेड्स का इंतजाम किया गया है.
स्टूडेंट्स को बताया गया है कि क्रमबद्ध तरीके से आएं. छात्र कभी-कभी झुंड में आते हैं, इससे थोड़ा लेट हो सकता है. बायोमेट्रिक अटेंडेंस, सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स आदि से गुजरने के कारण थोड़ी देरी हो सकती है, इसलिए समय से पहले आएं. अभी सभी स्टूडेंट्स को दोबारा इनफॉर्म किया है कि क्रमबद्ध तरीके से सेंटर्स पर आएं. धीरे धीरे सिचुएशन इंप्रूव हो रही है. 

कुछ सेंटर्स में एंट्री में देरी के कारण परीक्षा में भी देरी हुई. हालांकि, यूजीसी के चेयरमैन ने बताया कि पूरे देश के 270 शहरों में 472 सेंटर्स हैं. इन सभी सेंटर्स में सिर्फ पहले दिन 10 सेंटर्स में देरी हुई. दूसरे दिन 5 सेंटर्स में देरी और तीसरे दिन सिर्फ 3 सेंटर्स में देरी से एग्जाम हुआ. देरी के पीछे छात्रों के बड़े-बड़े समूहों में आना, ज्यादा गर्मी से सर्वर में खराबी आने के बाद कुछ कंप्यूटर्स बंद होना है. वैसे हम, लगातार सेंटर्स को चेक करते रहते हैं. आने वाले वक्त में उम्मीद कि ऐसी दिक्कत नहीं होंगी. चाहिए।

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यूनिवर्सिटीज में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई की दिशा में भी काम चल रहा है. उन्‍होंने बताया कि हमने इसको लेकर यूजीसी में एक सर्वोच्‍च कमेटी बनाई है. इसमें पूरे देश के एक्‍सपर्ट हैं. ये एक्‍सपर्ट सर्वे करके किस राज्य में भारतीय भाषाओं में किताओं की उपलब्‍धता है, और क्या कमी हैं, वो रिपोर्ट बना दिया है. इसके बाद हर राज्‍य में वीसी से हम बातचीत कर रहे हैं. अगले साल राज्‍य की भाषा में हम पाठ्य पुस्‍तकें लेकर आएंगे. कोशिश है कि अलग-अलग डिसिप्लिन में हम 1500 किताबें अगले साल लाएं. पहले कोशिश तय भाषाओं में किताबें लाने की है. आने वाले वक्त में दूसरी भाषाओं के लिए भी कोशिश करेंगे. सभी यूनिवर्सिटी ने इस पहल का स्‍वागत किया है. अंग्रेजी में जिनको समझने में दिक्कत होती है उनको इन किताबों से बहुत फायदा होगा.

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एम जगदीश कुमार ने 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' का जिक्र करते हुए कहा कि इस निर्णय का बहुत स्वागत किया गया था. इससे छात्रों को सिर्फ किताबों की जानकारी नहीं, बल्कि प्रोफेशनल एक्‍सपीरियंस भी मिलेगा. इसके लिए हमने एक पोर्टल भी शुरू किया है. किसी भी डोमिन के सभी एक्‍सपर्ट 15 साल के न्‍यूनतम अनुभव के बाद पीएचडी (PhD) की ज़रूरत नहीं. पोर्टल पर रजिस्टर कीजिए और जो यूनिवर्सिटी प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को नियुक्‍त करना चाहते हैं, वो भी रजिस्टर कर सकते हैं. ये प्रक्रिया कुछ यूनिवर्सिटीज में शुरू हो चुकी है, जिसके पास कोई डिग्री नहीं, अनपढ़ हैं, लेकिन अगर अपने फील्ड का अनुभव है, तो वो प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस बन सकता है.

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सेंट्रल यूनिवर्सिटी (CU) चयन पोर्टल के सवाल पर यूजीसी के चेयरमैन ने कहा कि अब तक सेंट्रल यूनिवर्सिटी अपने पोर्टल पर वैकेंसी एडवरटाइजमेंट करते थे. इससे उम्‍मीदवार को दिक्कत आती थी, क्‍योंकि उन्‍हें अलग-अलग वेबसाइट पर जाना होता था. इसलिए हमने इंटीग्रेटेड सेंट्रल यूनिवर्सिटी चयन पोर्टल बनाया. अब ये अनिवार्य है कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी इस पर रजिस्टर करें और रिक्तियों के बारे में यहां पर विज्ञापन दें. जो देश में हैं या जो भारतीय बाहर हैं, वो यहां रजिस्टर कर सकते हैं और वेकैंसी को लेकर अप्लाई कर सकते हैं. एक ही जगह पर सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी की जानकारी मिल जाएगी. बार-बार एप्लीकेशन फॉर्म भरने करने की ज़रूरत नहीं. 

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नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (National Credit Framework) पर यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि ये एक बड़ा रिफॉर्म है. इससे छात्रों की ईजी मोबिलिटी होगी. मान लीजिए किसी ने आईटीआई  किया, इसके बाद अब आप यूनिवर्सिटी में डिग्री, मास्‍टर  डिग्री में एडमिशन ले सकते हैं। पीएचडी कर सकते हैं. डिप्लोमा होल्डर्स या जो वोकेशनल एजुकेशन करते हैं, उनको प्रोत्‍साहित करना चाहते हैं. इससे काफी लोगों को मौके मिलेंगे. 

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