- ऑपरेशन सिंदूर पर बहस का हिस्सा नहीं हैं शशि थरूर और मनीष तिवारी
- शशि थरूर और मनीष तिवारी के बहस में शामिल न होने पर उठ रहे सवाल
- मनीष तिवारी की सोशल मीडिया पोस्ट से मिल रहा इस सवाल का जवाब
ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही बहस में कांग्रेस की ओर से उन नेताओं को शामिल नहीं किया गया है, जो कि उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिन्होंने पहलगाम हमले के बारे में दुनियाभर को बताया. जिन दिग्गज नेताओं को ऑपरेशन सिंदूर की बहस में जगह नहीं मिली है, उनमें तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर, चंडीगढ़ सांसद मनीष तिवारी और फतेहगढ़ साहिब के सांसद अमर सिंह शामिल हैं. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा और सलमान खुर्शीद भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, लेकिन वे वर्तमान में संसद के सदस्य नहीं हैं. इस पर मनीष तिवारी ने एक न्यूज का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए तंज कसा है.
मनीष तिवारी ने तंजभरा पोस्ट
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मनीष तिवारी ने आज एक समाचार रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया कि उन्हें और शशि थरूर को बहस में क्यों शामिल नहीं किया गया. मनीष तिवारी ने अपनी एक्स पर पोस्ट में पूरब और पश्चिम (1970) के सदाबहार देशभक्ति गीत के साथ कैप्शन दिया है: "है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं. जय हिंद,"
क्यों ऑपरेशन सिंदूर की बहस का हिस्सा नहीं थरूर और मनीष
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में एक कांग्रेस सांसद के हवाले से कहा गया है कि पार्टी ने चर्चा के दौरान संसद में बोलने के लिए नए सांसदों को चुना क्योंकि विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडलों ने "सरकार के पक्ष में बात की." सांसद के हवाले से कहा गया है, "अब विपक्ष और भारत के लोगों की चिंताओं को आवाज़ देने का समय आ गया है, इसलिए पार्टी ने सदन में बोलने के लिए नए लोगों को चुना है." हालांकि, कांग्रेस पार्टी शुरू से ही केंद्र के 33 देशों तक पहुंचने के कार्यक्रम की आलोचना करती रही है.
कांग्रेस ने क्यों नहीं दिए थरूर और तिवारी के नाम
कांग्रेस पहले से ही इस बात को लेकर असहज थी कि शशि थरूर जैसे नेता, जो कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से अलग रूख रखते हैं, उन्हें विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था. गौर करने वाली बात ये है कि उरी हमले के बाद भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक और हालिया ऑपरेशन सिंदूर की सार्वजनिक सराहना भी पार्टी को नागवार गुज़री थी. सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी जैसे बढ़िया बोलने वाले नेताओं को भी सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी. ऐसे में पार्टी को आशंका थी कि ये नेता सरकार के पक्ष में ज्यादा बेहतर तर्क रख सकते हैं, इसलिए उन्हें बहस से बाहर रखा गया.