बिहार में नीतीश सरकार के ख़िलाफ़ इतने मुखर क्यों हैं BJP विधायक?

नीतीश कुमार ने विधायकों की नाराजगी के बाद अपने भाषण में मंत्रियों को सलाह भी दिया कि विधायकों के अनुरोध का ख़्याल रखा जाना चाहिए और काम ना हो तो उन्हें बुलाकर स्थिति स्पष्ट किया जाना चाहिए.

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Bihar की नीतीश सरकार में अनदेखी को लेकर नाराज बीजेपी विधायक
पटना:

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से भले शुरू हुआ लेकिन पहले ही दिन भाजपा विधायकों के तेवर से लगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने की विपक्ष से अधिक BJP विधायकों ने तैयारी कर रखी है. सोमवार को सबसे पहले एनडीए विधान मंडल दल की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने एक के बाद एक कई विधायकों ने सरकार की कमियों को उजागर किया. भाजपा विधायक दल की बैठक में भी विधायकों ने अधिकारियों द्वारा उनकी एक न सुने जाने को लेकर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की.

बिहार एनडीए बैठक में सबसे पहले दरभंगा से BJP विधायक संजय सरावगी ने एक निलंबित अधिकारी का निलंबन ख़त्म कर उसी जगह फिर से पोस्टिंग की बात उठाई,  भाजपा के ही विधान पार्षद डॉक्टर संजय पासवान ने यूपी की तर्ज़ पर जनसंख्या नीति लाने की मांग के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्टैंड जानते हुए भी अपनी बात रखी. सरकार के सहयोगी हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा के ज्योति मांझी ने शिकायत रखी की कि तबादले में विधायकों की सिफारिश को मंत्रियों ने अनसुना किया.

इस पर नीतीश कुमार ने अपने भाषण में मंत्रियों को सलाह भी दिया कि विधायकों के अनुरोध का ख़्याल रखा जाना चाहिए और काम ना हो तो उन्हें बुलाकर स्थिति स्पष्ट किया जाना चाहिए. लेकिन अधिकांश विधायकों का रोना था कि उनकी बातों को नहीं सुना जाता. लेकिन निश्चित रूप से बीजेपी विधायकों का असंतोष शाम में भाजपा दफ़्तर में विधायक दल की बैठक में और आक्रामक रहा. इस बैठक में पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि इतिहास में ना विधायिका इतनी कमजोर हुई ना विधायक.

विधायकों की सुनी नहीं जाती और कमोबेश इस लाइन पर ख़ासकर अधिकारियों के रवैये की शिकायत पर पार्टी के कई अन्य विधायक जैसे राजेश सिंह, रामप्रकेश ठाकुर बचौल ने भी असंतोष ज़ाहिर किया.विधायकों का सरकार और अधिकारियों के प्रति असंतोष को देखते हुए इस बैठक में उप मुख्य मंत्री तार किशोर प्रसाद ने आश्वासन दिया कि अब हर दो महीने में भाजपा विधायक दल की बैठक होगी. लेकिन इन दोनों बैठकों से राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना हैं कि विधायकों को पार्टी नेतृत्व से नीतीश कुमार के प्रति आक्रामक रहने की मौन सहमति मिली है.

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