उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के ऐलान की 5 खास बातें

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में अधिकतर विधायकों की बगावत का सामना कर रहे ठाकरे ने कहा कि उन्हें अपना पद छोड़ने पर कोई असफोस नहीं है.

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मुंबई:

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि उनकी रुचि ‘संख्याबल के खेल’ में नहीं है और इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने वेबकास्ट पर कहा, ‘मैं विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं.’ ठाकरे ने इसके साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सड़क पर प्रदर्शन करने नहीं उतरें. उन्होंने यह ऐलान सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के बाद किया, जिसमें कोर्ट ने कहा कि वह फ्लोर टेस्ट को नहीं रोक सकते. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में अधिकतर विधायकों की बगावत का सामना कर रहे ठाकरे ने कहा कि उन्हें अपना पद छोड़ने पर कोई असफोस नहीं है.

संबोधन की खास बातें
  1. उद्धव ठाकरे ने कहा, 'हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं अप्रत्याशित रूप से सत्ता में आया और मैं इसी तरह से बाहर निकल रहा हूं. शिवसेना एक परिवार है, इसे टूटने नहीं देंगे. मैं कहीं नहीं जा रहा.'
  2. शिवसेना के ही विधायकों के साथ छोड़ जाने पर उन्होंने कहा, "रिक्शा वाले (एकनाथ शिंदे), और पान वाले को शिवसेना ने मंत्री बनाया... ये लोग बड़े हो गए, और हमें ही भूल गए..." उन्होंने कहा, "जिन्हें हमने बड़ा किया, जो कुछ दिया जा सकता था, वह दिया, वही लोग नाराज़ हैं..."
  3. उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे की वजह से राजनीतिक रूप से बढ़े बागियों को उनके (बालासाहेब) बेटे के मुख्यमंत्री पद से हटने पर खुश और संतुष्ट होने दें. मैं संख्याबल के खेल में शामिल नहीं होना चाहता हूं. मैं शर्मिंदा महसूस करूंगा अगर मैं देखूंगा कि पार्टी का एक भी सहयोगी मेरे खिलाफ खड़ा है.'
  4. शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘आपकी समस्या क्या थी? सूरत और गुवाहाटी जाने के बजाय आप सीधे मेरे पास आ सकते थे और अपनी राय रख सकते थे. शिवसेना आम लोगों की पार्टी है और उसने कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है. पार्टी का पुनर्निर्माण करेंगे.'
  5. उन्होंने कहा, ‘मैं शिवसैनिकों का साथ खड़ा रहने के लिए धन्यवाद व्यक्त करता हूं. जो शिवसेना की वजह से राजनीतिक रूप से बढ़े वे असंतुष्ट हैं जबकि जिन्हें कुछ नहीं मिला वे निष्ठावान हैं. (सरकारी आवास छोड़कर) 'मातोश्री' में आने के बाद कई लोग आ रहे हैं और कह रहे हैं कि आप लड़ो, हम आपके साथ हैं... हमने जिन्हें दिया, सब कुछ दिया, वे नाराज़ हैं, और जिन्हें नहीं दिया, वे आज साथ हैं.  हम जो कुछ भी करते हैं, वह शिवसैनिकों, मराठी मानूस और हिन्दुत्व के लिए ही करते हैं.'