ओम बिरला दूसरी बार बने लोकसभा स्पीकर, जानें राजनीति से लेकर उपलब्धियों तक सबकुछ

ओम बिरला (Who Is Om Birla) ऐसे पहले लोकसभा स्पीकर हैं, जिनके नाम पर नए और पुराने दोनों संसद भवनों में काम करने का रिकॉर्ड है. 17वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा था.

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ओम बिरला के बारे में जानिए.
नई दिल्ली:

18वीं लोकसभा में ओम बिरला (OM Birla) फिर से स्पीकर चुने गए हैं. ओम बिरला बीजेपी के सीनियर नेता है और 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर रह चुके हैं. उस समय वह निर्विरोध चुने गए थे. एनडीए ने एक बार फिर से उनको स्पीकर के लिए चुना. वह राजस्थान की कोटा बूंदी सीट से तीसरी बार के सांसद हैं. ओम बिरला ध्वनिमत से लोकसभा स्पीकर चुने गए, विपक्ष ने उनका विरोध नहीं किया. अगर वह 5 साल तक इस पद पर रहते हैं तो वह इतिहास बना देंगे. क्यों कि देश के इतिहास में अब तक कोई भी सांसद लगातार दो कार्यकाल में स्पीकर नहीं रहा है.

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तीन बार के सांसद ओम बिरला

ओम बिरला का ताल्लुक राजस्थान के कोटा से है. उन्होंने कोटा बूंदी लोकसभा सीट से तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीता है. बीजेपी से बागी होकर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजन को 41974 वोटों से शिकस्त देकर वह लगातार तीसरी बार संसद पहुंचे हैं. RSS का गढ़ माने जाने वाले कोटा के चुनावी मैदान में बीजेपी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला पर फिर से भरोसा जताया था. जो उन्होंने भी टूटने नहीं दिया. वह कोटा के इतिहास में वैद्य दाऊदयाल जोशी जी के बाद लगातार तीन बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले नेता हैं. 

ओम बिरला का राजनीतिक करियर?

ओम बिरला को पर्दे के पीछे रहकर संगठन के लिए काम करने वाला नेता माना जाता है. उन्होंने साल 1991 से 2003 तक बीजेपी की युवा शाखा के लिए काम किया और इस दौरान बीजेपी के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं के संपर्क में आए. 2019 में सबको चौंकाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया गया. ओम बिरला साल 2003 अब तक कोई भी चुनाव हारे नहीं हैं. साल 2003 में उन्होंने कोटा से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

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साल 2008 में उन्होंने कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को शिकस्त दी थी. साल 2013 में उन्होंने तीसरी बार कोटा दक्षिण सीट से चुनाव जीता था. हालांकि लोकसभा चुनाव उन्होंने पहली बार साल 2014 में लड़ा और विजयी भी हुए. तब से लेकर अब तक यानी कि 2019 और 2024 में उन्होंने जीत का ही स्वाद चखा है. साल 2019 में बीजेपी ने जब उनको स्पीकर बनाया, तो हर कोई हैरान रह गया. लंबा संसदीय अनुभव न होने के बाद भी ओम बिरला ने जिस तरह से सदन को चलाया, वह तारीफ-ए-काबिल रहा. 

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ओम बिरला का निजी जीवन

ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को राजस्थान के कोटा शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम श्रीकृष्ण बिरला और माता का नाम श्रीमती शकुन्तला देवी था. 11 मार्च 1991 को उन्होंने डॉक्टर अमिता बिरला से शादी की. आकांक्षा और अंजलि बिरला नाम की उनकी दो बेटियां हैं. ओम बिरला की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने स्कूली शिक्षा कोटा के गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से पूरी की. साल 1986 में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से एम.कॉम. की डिग्री ली थी. 

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अब तक किन पदों पर रहे ओम बिरला?

  • 19 जून 2019 को वह सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए.
  • साल 2019 में वह 17वीं लोकसभा में कोटा बूंदी  लोकसभा क्षेत्र से सासंद चुने गए. 
  • साल 2014 में 16वीं लोकसभा में भी वह कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए. 
  • साल  2003, 2008 और 2013 में राजस्थान विधानसभा में वह कोटा और कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए.
  • साल 2009-10 में वह राजकीय उपक्रम समिति के सदस्य और सामान्य प्रयोजनों संबधी समिति के सदस्य रहे. 
  • 1997-2003 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे. 
  • 1993-1997 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राजस्थान प्रदेश के अध्यक्ष रहे. 
  • 1987-1991 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा कोटा जिलाध्यक्ष रहे. 
  • 2002-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के उपाध्यक्ष रहे. 
  • 1992-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के डायरेक्टर रहे. 
  • 1992-1995 तक वह राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लि, जयपुर के अध्यक्ष रहे. 
  • 1987-1995 तक वह कोटा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार लि., कोटा के अध्यक्ष रहे. 
  • 1978-1979 तक वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुमानपुरा, कोटा के छात्र संघ अध्यक्ष रहे. 

ओम बिरला की उपलब्धियां

ओम बिरला ऐसे पहले लोकसभा स्पीकर हैं, जिनके नाम पर नए और पुराने दोनों संसद भवनों में काम करने का रिकॉर्ड है.सत्रहवीं लोकसभा के दौरान ही 2023 में नयी संसद का उद्घाटन हुआ और नए लोकसभा कक्ष में बिरला ने अध्यक्ष के रूप में निचले सदन की कार्यवाही का संचालन किया. 17वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा. क्यों कि उनके अध्यक्ष रहते ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किया गया. साथ ही बड़ी तादात में सांसदों को भी सस्पेंड किया गया था. 

उनके ही कार्यकाल में अनुच्छेद 370 खत्म होने, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने, तीन आपराधिक कानून लागू होने समेत अनेक अहम  विधायी कामकाज हुए. ओम बिरला ऐसे इकलौते लोकसभा अध्यक्ष रहे, जिनके कार्यकाल में कोई भी लोकसभा उपाध्यक्ष नहीं चुना गया. 

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  1. 17वीं लोकसभा की उत्पादकता 97% रही, जो पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा है. 
  2. कोरोना महामारी के बीच आयोजित 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र की उत्पादकता 167% रही, जो लोकसभा के इतिहास में सबसे ज्यादा है. 
  3. संसद के संचालन में वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित कर 801 करोड़ की बचत की गई.
  4. 17वीं लोक सभा के दौरान 222 विधेयक कानून बने, जो पिछली तीन लोकसभा में सबसे ज्यादा है. 
  5. 17वीं लोकसभा के दौरान विधेयकों पर कुल 440.54 घंटे चर्चा हुई, जो पिछली चार लोकसभा में सबसे ज्यादा है.  
  6. 17वीं लोक सभा के दौरान विभिन्न विधेयकों पर कुल 2910 सदस्यों ने चर्चा की, जो पिछली चार लोकसभा में सबसे ज्यादा है. 
  7. ज्ञान के समृद्ध कोष संसद की लाइब्रेरी को 17 अगस्त 2022 से आमजन के लिए खोल दिया गया.
     

सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन

  • ओम बिरला ने कोटा शहर में IIT की स्थापना के लिए बड़े स्तर पर जनआंदोलन किया. 
  • बूंदी जिले को चंबल नदी का पानी उपलब्ध कराने के लिए भी उन्होंने आंदोलन किया. 
  • राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट रावतभाटा में स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्र के विकास के लिए बड़े स्तर पर जन आंदोलन किया. 

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