एके सिंह नहीं, यह महिला वकील लड़ रहीं कोलकाता रेप के आरोपी संजय रॉय का केस

Kolkata Rape And Murder: रेप के आरोपी संजय रॉय की वकील ने कहा कि वह पर्सनली मृत्युदंड की मांग का समर्थन नहीं करती हैं. वह आजीवन कारावास की सजा को सबसे बड़ा दंड मानती हैं.

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दिल्ली:

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या (Kolkata Rape Murder Case) का आरोपी संजय रॉय को अपने किए का बिल्कुल भी पछतावा नहीं है. साइकॉलोजिकल टेस्ट के दौरान वह बेशर्मी के साथ सवालों के जवाब देता दिखा. भावनाएं तो जैसे उसकी मर सी गई हैं. वहीं पूरा देश डॉक्टर बिटिया के लिए इंसाफ की मांग कर रहा है. प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स भी चाहते हैं कि उसे फांसी हो जाए. मामला अदालत में है. संजय रॉय ने डॉक्टर के साथ जो भी हैवानियत की, उसके बाद मुलजिमों का पक्ष रखने वाले 'भगवान' भी शायद उसका केस लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि उसे सरकार ने वकील मुहैया करवाया है, ताकि उसका पक्ष कोर्ट में रखा जा सके. सभी यह जानना चाहते हैं कि आखिर वो कौन वकील (Rape Accused Sanjay Roy Lawyer) है, जो 'जानवर प्रवृति' वाले संजय रॉय का पक्ष अदालत में रखेगा. तो बता दें कि उनका नाम कबिता सरकार है.

कौन हैं वकील कबिता सरकार?

नाम कबिता सरकार, उम्र 52 साल, पेशे से वकील... ये केस उनके 25 सालों के लीगल करियर का सबसे मुश्किल केसों में से एक है. वह सियालदाह कोर्ट में डॉक्टर बिटिया का गुनहगार माने जाने वाले संजय कॉय का केस लड़ने जा रही हैं. जब कोई भी वकील उसका केस लड़ने के लिए राजी नहीं हुआ तो ये केस कबिता सरकार को दे दिया गया, क्यों कि वह सियालदाह में स्टेट लीगल अथॉरिटी की एक मात्र स्टैंडिंग लॉयर हैं. आज वह अदालत में पेपर्स दाखिल कर केस लड़ने की परमिशन मांगेंगी. 

'हर किसी को निष्पक्ष सुनवाई का हक'

टीओआई को दिए इंटरव्यू के मुताबिक, दूसरे लोगों की तरह ही कबिता सरकार का भी कहना है कि वह पीड़ित डॉक्टर बिटिया के लिए इंसाफ चाहती हैं. लेकिन उनके लिए न्याय कोर्ट की सुनवाई के बाद है, न कि उससे पहले  इस देश में हर किसी को निष्पक्ष सुनवाई का हक है, चाहे वह आरोपी ही क्यों न हो. देशभर में महिला आंदोलन और हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर कबिता सरकार ने कहा कि मैं अपना काम कर रही हूं. मेरा काम उन आरोपियों का पक्ष रखना है, जिनको क्रिमिनल केस में वकील नहीं मिलते हैं. ऐसा यह अकेला मामला नहीं है. पहले भी मैने ऐसा किया है. मैं अपनी तनख्वाह से बेल बॉन्ड भर चुकी हूं.  अदालत ने मुझसे आरोपी का पक्ष रखने के लिए कहा है, तो मैं वही करूंगी. मै अदालत से अपील करूंगी कि जब मैं संजय रॉय का पक्ष रखूंगी तो मेरे सीनियर वकील सौरब बनर्जी को मेरा साथ देने की परमिशन दी जाए. 

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'मैं 'सजा-ए-मौत' का समर्थन नहीं करती'

कबिता सरकार से जब संजय रॉय के लिए मौत की सजा को लेकर सवाल पूछा गया को उन्होंने कहा कि वह पर्सनली मृत्युदंड की मांग का समर्थन नहीं करती हैं. उनके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान सबसे बड़ा दंड है. उन्होंने जेलों में और प्रेसीडेंसी महिला सुधार गृह में जाकर देखा है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उनकी लाइफ में अपने अंदर झांकने यानी कि आत्मनिरीक्षण करने और अपराध के लिए गिल्टी होने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमेशा याद रखना चाहिए कि कानून कहता है कि कोई भी व्यक्ति दोषी साबित होने तक निर्दोष है.

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कबिता सरकार के लीगल करियर के बारे में जानिए

  • कबिता सरकार ने हुगली मोहसिन कॉलेज से लॉ में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.
  • उन्होंने अपने लीगल करियर की शुरुआत अलीपुर कोर्ट से की, जहां पर शुरुआत में उन्होंने सिविल केस लड़े.
  • उन्होंने फरवरी 2023 में SALSA वकील के रूप में आपराधिक मामलों को देखना शुरू किया. 
  • कबिता सरकार का ट्रांसफर जून 2023 में सियालदह कोर्ट में कर दिया गया.

पहले दस्तावेजों तक पहुंचना जरूरी

वकील कबिता ने कहा कि  सरकार ने कहा, "यह अब तक का सबसे हाई-प्रोफाइल केस है, जिसकी जिम्मेदारी उनको सौंपी गई है. उनकी प्राथमिकता मामले के कागजात को देखना और जमानत याचिका दायर करना होगी. उनको बताया गया है कि सीबीआई ने आरोपी की पेशी के लिए ऑनलाइन अपील दायर की है. वह इसका विरोध करेंगी. लेकिन उनका मामले से जुड़े दस्तावेजों तक पहुंचान जरूरी है. उनकी पहली कोशिश भी यही होगी.

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'पता नहीं मेरे मां-बाप कैसे रिएक्ट करेंगे'

कबिता सरकार ने कहा कि उसने अभी तक यह केस लड़ने को लेकर अपने बुजुर्ग माता-पिता को कुछ भी नहीं बताया है. वह नहीं जानतीं कि एक रेपिस्ट का केस लड़ने पर वह कैसे रिएक्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि माता-पिता हमेशा अपनी बेटियों के बारे में ज्यादा चिंता करते हैं. लेकिन वह बहुत लकी हैं, कि उनके पति उनको हमेशा सपोर्ट करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस केस के नतीजे को लेकर चिंता में हैं, तो उन्होंने कहा कि उनकी अपील है कि उनकी फोटो न छापी जाए. लोगों में बहुत गुस्सा है. वह डरती नहीं हैं लेकिन वह नहीं चाहतीं कि जिस केस को लड़ने की जिम्मेदारी उनको मिली है, उससे उनका ध्यान भटके. वह काम को लेकर हमेशा ही मेहनती रही हैं. ये मामला भी उनके लिए अलग नहीं है. 

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