- कोडीन कफ सिरप घोटाले में आरोपी आलोक सिंह की अखिलेश यादव के साथ वायरल तस्वीर ने सियासत गरमाई है
- आलोक सिंह चंदौली जिले के कैथी गांव के रहने वाले हैं और पहले पुलिस सेवा में थे
- यूपी एसटीएफ ने आलोक को कोडीन सिरप रैकेट में गिरफ्तार किया था
उत्तर प्रदेश में कोडीन कफ सिरप घोटाले की जांच के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है. आरोपी आलोक सिंह की समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ तस्वीर वायरल होने के बाद सियासत गरमा गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि इस घोटाले में सपा नेताओं और माफिया के बीच गहरा संबंध है. बीजेपी का आरोप है कि कोडीन रैकेट की जड़ें राजनीतिक नेटवर्क तक पहुंच रही हैं.
कौन है आलोक सिंह?
आलोक सिंह उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के कैथी गांव का रहने वाला है. उसके पिता पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर थे.. आलोक ने गांव में तीसरी तक पढ़ाई की और फिर सातवीं तक चहनियां के खंडवारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद पिता के साथ लखनऊ चला गया.. यहीं से उसने पुलिस में नौकरी हासिल की और एसओजी में पोस्टिंग मिली.
लेकिन आलोक की छवि शुरुआत से ही सवालों में रही.. 2006 में प्रयागराज के एक व्यापारी से 4 किलो सोना लूटने के आरोप में आलोक और चार पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए थे. इसी मामले में उसे पहली बार पुलिस सेवा से बर्खास्त किया गया.. हालांकि बाद में सबूतों की कमी के कारण अदालत ने उसे बरी कर दिया और फिर कोर्ट के आदेश पर वह दोबारा नौकरी पर लौट आया.
लेकिन दोबारा सेवा में आने के बाद भी आलोक पर आरोपों की लाइन लगती रही. उस पर मारपीट, दुर्व्यवहार और कर्तव्य में लापरवाही के कई मामले दर्ज हुए.. नतीजा यह हुआ कि 2019 में उसे दूसरी बार पुलिस सेवा से बाहर कर दिया गया.
नौकरी से निकाले जाने के बाद बढ़ता गया नेटवर्क
सर्विस से बाहर होने के बाद आलोक का राजनीतिक और कारोबारी नेटवर्क बढ़ने लगा.. वह कॉन्ट्रैक्ट और दवा कारोबार में जुड़ा दिखाई दिया. कई तस्वीरें ऐसी भी सामने आईं जिनमें वह राजनीतिक हस्तियों के साथ दिखा, जिससे उसकी पहुंच और ताकत को लेकर सवाल उठने लगे.. इन्हीं तस्वीरों में से एक अखिलेश यादव के साथ उसकी फोटो अब वायरल है.
कोडीन कफ सिरप रैकेट में नाम कैसे आया?
यूपी एसटीएफ ने आलोक को कोडीन सिरप नेटवर्क के केस में गिरफ्तार किया था. पुलिस का दावा है कि आलोक उत्तर प्रदेश और झारखंड में दो बड़ी थोक दवा इकाइयों से जुड़ा था और सिंडिकेट में सक्रिय भूमिका निभा रहा था. इस पूरे रैकेट का खुलासा आरोपी अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा से पूछताछ के बाद हुआ.
ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के केस में लखनऊ के अहिमामऊ इलाके में स्थित आलोक सिंह के करीब 7,000 वर्ग फुट के आलीशान घर पर छापा मारा. एजेंसी ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डाटा जब्त किया है.. आलोक अभी पुलिस रिमांड पर है.
रैकेट कितना बड़ा है?
2024 में इस केस पर संयुक्त कार्रवाई शुरू हुई थी. जांच में अभी तक 128 FIR दर्ज हुई हैं, 280 ड्रग लाइसेंस रद्द किए गए, 3.5 लाख से ज्यादा कफ सिरप की शीशियां जब्त हुईं और 32 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. कोडीन एक ड्रग बेस्ड केमिकल है, जो अधिक मात्रा में ली जाए तो नशा और लत पैदा करता है. भारत में इसके गलत इस्तेमाल का नेटवर्क तेजी से बढ़ा है.. अब आलोक सिंह की गिरफ्तारी और राजनीतिक तस्वीरें इस केस को नया मोड़ दे रही हैं. सियासत और जांच दोनों का तापमान तेजी से बढ़ रहा है.
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