दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है. आलम ये है कि दोपहर 1 बजे तक वायु गुणवत्ता सूचकांक राष्ट्रीय राजधानी के कई क्षेत्रों में 400-500 रेंज यानी गंभीर" श्रेणी में था. जनवरी के बाद से प्रदूषण का स्तर अपने उच्चतम स्तर पर है, दिल्ली में कुछ जगह पर ये सूचकांक में 500 के करीब पहुंचने के करीब है. पीएम 2.5 की सांद्रता सुबह 11 बजे कई इलाकों में 400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर थी, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग सात गुना अधिक है.
हवा की गुणवत्ता के नवीनतम पूर्वानुमान ने चेतावनी दी है कि अभी स्थिति और बदतर होने जा रही है. इससे साफ अंदाजा हो रहा कि कम से कम कुछ दिनों के हवा की गुणवत्ता बहुत खराब" श्रेणी में रहेगी. इस बीच, आप कार्यकर्ताओं ने आज दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और दावा किया कि उन्होंने जानबूझकर प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से उनके 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान को मंजूरी नहीं दी. हालांकि, एलजी ने पलटवार करते हुए कहा कि आप ने अभियान की शुरुआत की तारीख के बारे में "झूठ" बोला.
अक्सर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल आप के निशाने पर रहते हैं, आप उन पर केंद्र सरकार के निर्देश पर "राजनीतिक प्रतिशोध" लेने का आरोप भी लगा रही है. दोपहर 1 बजे, दिल्ली का समग्र एक्यूआई 400, फरीदाबाद 396, ग्रेटर नोएडा 395, नोएडा 390 और गाजियाबाद 380 था. शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 को 'मध्यम', 201 और 300 को 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 को 'गंभीर' माना जाता है.
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एक्सपर्ट का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में गिरावट हवा की दिशा और हवा की गति के कारण है, जिससे खेतों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि के साथ-साथ प्रदूषकों का संचय हो रहा है. दिवाली के आसपास प्रदूषण 7 वर्षों में सबसे कम था. राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता 24 अक्टूबर से खराब होने लगी थी और एक्यूआई 'खराब' से 'बहुत खराब' श्रेणी में आ गया था. पटाखे जलाने और खेतों में आग की संख्या में वृद्धि के कारण 23 अक्टूबर की रात को प्रदूषण का स्तर बढ़ गया.
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