विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूनाइटेड नेशंस के लिए कोवैक्सीन (COVAXIN) की सप्लाई पर रोक लगा दी है. ये रोक भारत बायोटेक में WHO की टीम के दौरे में जीएमपी में पाई गई खामियों के बाद लगाई गई है, हालांकि डब्ल्यूएचओ ने साफ किया है कि कोवैक्सीन की सेफ्टी और Efficacy पर कोई सवाल नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक- डब्ल्यूएचओ की जीएमपी( GMP) को लेकर एक एसओपी (SOP) ( Standard operating procedure) है. एसओपी के पालन के बाद डब्ल्यूएचओ, जीएमपी का सर्टिफिकेट कंपनियों को देती है.
ये वॉलिंटरी है. कंपनी लेना चाहे तो ले, न लेना चाहे तो न ले. दवा, टीका या डायग्नोस्टिक किट जो कंपनी विदेश में निर्यात करती है या जो यूएन एजेंसी के द्वारा भी बेचती हैं तब जीएमपी सर्टिफिकेट की जरूरत होती है.( उदाहरण के तौर पर यूनिसेफ( UNICEF),यूनेस्को (UNESCO), UNDP भी खरीदता है तो जीएमपी अनिवार्य होता है)
भारत बायोटेक की वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने ईयूएल ( Emergency Use Listing) दिया तो इसे लेकर यूनिट का फिजिकल इंस्पेक्शन भी होता है कि जीएमपी का पालन हो रहा है या नहीं. डब्ल्यूएचओ की टीम को भारत बायोटेक की यूनिट में जीएमपी ( Good Manufacturing Practice) को लेकर तीन खामियां (कमियां) दिखीं. भारत बायोटेक के पास पहले से मौजूद जीएमपी में ये खामियां डब्ल्यूएचओ को मिलीं. ऐसी सूरत में डब्ल्यूएचओ ने कहा की आपके टीके का procurement जो यूएन एजेंसीज करेंगी वो हम सस्पेंड करते हैं.
दिलचस्प है कि फिलहाल यूएन एजेंसीज भारत बायोटेक से टीके ले नहीं रहे हैं. मुमकिन है आगे अगर लें तो इसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने उसको सस्पेंड किया है. यूएन एजेंसीज अभी सिर्फ "कोवैक्स" में टीके ले रही हैं. ( कोवेक्स तीन एजेंसी का संस्थान है : WHO, GAVI और CEPI...ये तीनों वैक्सीन खरीदते हैं और देशों को मुफ्त में वैक्सीन गरीब या विकासशील देशों को मुहैया करवाते हैं) खामी दूर होने पर भारत बायोटेक इसकी रिपोर्ट दो जगह DCGI और WHO हेडक्वार्टर को देंगे. जीएमपी की खामियां या कमियां भारत बायोटेक हफ्तेभर के भीतर दूर कर देंगी. भारत बायोटेक ने डब्ल्यूएचओ से कहा कि यूएन एजेंसी की Procurement पर रोक तो ठीक है. हम लिखित अंडरटेकिंग देते हैं कि इन कमियों को दूर करने के बाद ही हम एक्सपोर्ट भी करेंग, तब तक नहीं.
इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने बयान में साफ कहा कि भारत बायटेक की वैक्सीन की सेफ्टी और एफिकेसी पर कोई सवाल नहीं. ये सुरक्षित है. साथ ही डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जिन भी देशों को ये टीका दे रहे हैं वो जारी रखें और WHO की SAGE की गाइडलाइंस का पालन करें.भारत बायोटेक को कमियां दुरुस्त करने को लेकर अहम जो काम करने हैं उनमें हैं कि इस वैक्सीन बनाने के दौरान बड़े-बड़े स्टील के बर्तन ( Vat) प्रयोग होते हैं, उसमें वैक्सीन को फर्मेंट किया जाता है जिससे वायरस मरते हैं. ये Inactived Virus Vaccine है. एक बर्तन को खाली करने में 48 घंटों से कम वक्त लगता है, इसलिए भारत बायोटेक ने अपने प्रोडक्शन स्लो किया है. ये बर्तन खाली करके साफ कर देंगे तो इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. फिर डब्ल्यूएचओ की टीम आएगी और फिर इंस्पेक्शन कर लेगी.
जानें GMP ( Good Manufacturing Practice ) क्या है?
दवा बनाने के प्रोसेस के लिए GMP होता है. इसके तहत, जिस बर्तन में दवा बनाई जा रही है वह क्लीन है या नहीं. जो लोग मैनुफैक्चर यूनिट में काम कर रहे हैं क्या उनको पता है कि उनकी जिम्मेवारी क्या है? अगर कर्मचारी को पता है जिम्मेदारी तो उनके वर्क स्टेशन के सामने उसकी जिम्मेवारी का तरीका ( चार्ट) वो दीवार पर लगा है या नहीं? जितने प्रोसेस में कोई दवाई बनती है वो सारे स्टेप्स कहीं पर shop floor ( जहां दवाई बनती है) लगे हैं या नहीं? अगर ये स्टेप्स लगे हैं तो वहां काम करने वालों को पता है कि ये कहां सारे स्टेप्स टंगे हैं या लगे हैं.