सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित दो कोयला खदानों के लिए खनन की अनुमति के खिलाफ पर्यावरण के लिए कार्य करने वाले लोगों और ग्रामीणों द्वारा जारी विरोध को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बघेल ने कहा, ''राजस्थान सरकार को आवंटित की गई खदान चालू हालत में है. एक चालू खदान को कैसे बंद किया जा सकता है. जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें पहले अपने घरों की बिजली बंद करनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा, ''देश में कितनी जलविद्युत परियोजनाएं हैं? यहां तक कि हवा से बिजली उत्पादन भी सीमित है. हमारे पास विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा है लेकिन इसकी भी सीमाएं हैं. जिस दिन बिजली उत्पादन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो जाएगी, उस दिन ताप विद्युत संयंत्रों पर निर्भरता कम हो जाएगी. लेकिन फिलहाल हम उन ताप विद्युत संयंत्रों पर निर्भर हैं जिनके लिए कोयले की जरूरत है. ''
उन्होंने आश्वासन दिया कि जितनी जरूरत होगी उतने ही कोयले का खनन किया जाएगा. बघेल ने कहा, ''कोयला खदानों का आवंटन भारत सरकार द्वारा किया जाता है और इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है. हमारे राज्य से कोयले की आपूर्ति साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के माध्यम से पूरे देश में की जा रही है. एसईसीएल की राज्य में सबसे अधिक 52 खदानें हैं. राजस्थान सरकार को 2-3 खदानें (हसदेव अरंड क्षेत्र में) दी गई हैं. अब खदान के विस्तार की आवश्यकता है. जब विस्तार होगा तब पेड़ों को काटा जाएगा. 30 साल में आठ हजार पेड़ काटने हैं. वे (आंदोलनकारी) हंगामा कर रहे हैं कि आठ लाख पेड़ काटे जाएंगे. उन्होंने इतना कब गिना?''
उन्होंने कहा, ''खनन 30 साल के लिए किया जाएगा. वन पर्यावरण नियमों के अनुसार पेड़ों को काटने के बदले वृक्षारोपण करना चाहिए. उन्हें (प्रदर्शनकारियों को) जांच करनी चाहिए कि पेड़ लगाए गए हैं या नहीं. क्या प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा और पुनर्वास मिला है या नहीं. इन सब पर गौर करने के बजाए वह कह रहे हैं कि उन्हें कोयला नहीं चाहिए. '' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जो लोग (खनन के खिलाफ) लड़ रहे हैं, उन्हें पहले एयर कंडीशनर, पंखे और कूलर का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए, तभी उनकी लड़ाई असली नजर आएगी. वे अपनी पत्नी और बच्चों को एसी में रख रहे हैं और दूसरों को अंधेरे में रहने के लिए कह रहे हैं. ''
बघेल ने कहा कि उनकी सरकार पर्यावरण और आदिवासियों के हितों से समझौता नहीं करेगी, लेकिन लौह अयस्क कोयला, बॉक्साइट, डोलोमाइट जैसे प्राकृतिक संसाधनों का खनन किया जाना चाहिए, जो संयंत्र चलाने में मदद करते हैं, क्योंकि यह देश के लिए और रोजगार के लिए जरूरी है. राज्य सरकार ने हाल ही में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा कोयला ब्लॉक और परसा ईस्ट कांते बासन के दूसरे चरण के खनन के लिए अनुमति दी है, जिसका स्थानीय ग्रामीण और पर्यावरण कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं. इधर राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान को हास्यास्पद कहा है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने जारी एक बयान में कहा, '' क्षेत्र में बढ़ते विरोध के कारण बघेल मानसिक संतुलन खो बैठे हैं. बौखलाहट में आपा खोकर पेड़ कटाई का विरोध करने वालों से कह रहे हैं कि पहले अपने घर की बिजली बंद कर दें, फिर मैदान में आकर लड़ें, उनका यह बयान हास्यास्पद है. '' साय ने कहा, ''छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए बघेल (वर्ष 2018 में) कांग्रेस की सरकार बनने से पहले खुद राजनीति कर रहे थे और उनके नेताजी वादा कर रहे थे कि पेड़ नहीं कटने देंगे, तब क्या भूपेश बघेल, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी ने अपने-अपने घर की बत्ती बंद कर रखी थी? क्या एसी, कूलर, पंखे और फ्रिज बंद कर रखे थे जो अब वह जनता को उपदेश दे रहे हैं. ''
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