कोरोना के दुनिया भर में मामले बढ़ने के बाद भारत में भी एक बार फिर से इसकी दहशत देखी जा रही है. केंद्र सरकार भी इसको लेकर काफी अर्से बाद हरकत में आई है. इससे लोगों में दहशत और बढ़ गई है. इसी मुद्दे पर एनडीटीवी ने विशेषज्ञों से बात कर जानकारी ली कि क्या भारत में कोरोना की अगली लहर देखने को मिल सकती है?
AIIMS में कम्युनिकेबल डिजीज के प्रोफेसर डॉक्टर संजय राय ने बताया कि कोरोना वायरस तीन साल पुराना हो गया है और इसके अगेंस्ट हमने काफी एविडेंस इकठ्ठा कर लिया है. हमने पाया है कि जहां-जहां नेचुरल इंफेक्शन नहीं हुआ, वहां ये वायरस काफी समस्या खड़ी कर सकता है. म्यूटेशन के बाद भी जो लोग संक्रमित हुए हैं, वो तीन साल तक प्रोटेक्टेड रहते हैं. चीन में इंफेक्शन नहीं हुआ था, इसलिए वहां मामले बढ़ने की संभावना ज्यादा है. सिंगापुर और जापान जैसे देश हाइली वैक्सिनेटेड हैं, लेकिन वहां नेचुरल इंफेक्शन नहीं हुआ था तो जहां नेचुरल इंफेक्शन नहीं हुआ, वहां मामले बढ़ने की आशंका है.
ICMR के वैज्ञानिक समीरन पांडा ने बताया कि अभी चीन में तेजी से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं और प्रोजेक्शन है कि अगले तीन महीने में चीन में 60 फीसदी लोग इन्फेक्टेड हो जाएंगे. इसीलिए भय का माहौल बन गया है. चीन में जो स्थिति है, उसकी मॉनिटरिंग जरूरी है, लेकिन इससे भयभीत या आतंकित ना हों. भारत मे वैक्सीन या इंफेक्शन के कारण जो हाइब्रिड इम्युनिटी हुई है, उसी तरफ गौर करके हमें देखना होगा. चीन में जीरो कोविड पॉलिसी रही है, यानी वल्नरेबल पॉपुलेशन बची रह गई. ये जरूर बात है कि कोविड हमारे साथ है और आगे रहेगा, लेकिन ज्यादा क्रॉनिक डिजीज, किडनी, लीवर की दिक्कत वाले, हाइपरटेंशन या फिर बुजुर्गों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि नया म्यूटेंट मृत्युदर बढ़ा ही देगा. ऐसा नहीं कि जो स्थिति चीन में है, वही दूसरे देशों में भी होगी. साल 2019 में कोरोना का वायरस आया, लेकिन अब एक देश की स्थिति दूसरे देश से अलग है.
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