मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुल्ताना बेगम ने खुद को कथित तौर पर बहादुर शाह जफर (द्वितीय) का कानूनी उत्तराधिकारी होने का दावा किया था. याचिका में सुल्ताना बेगम ने मांग की थी कि राजधानी दिल्ली में मौजूद लालकिले पर उन्हें कब्जा दिया जाए. इसके पहले सुल्ताना बेगम की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. हाईकोर्ट के फैसले को सुल्ताना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लालकिले पर कब्जा देने की मांग वाली याचिका पर CJI संजीव खन्ना पहले हंसे और फिर याचिका खारिज कर दी.
जानें CJI संजीव खन्ना ने क्या कहा
CJI खन्ना ने कहा कि सिर्फ लाल किला क्यों मांग रहे हैं, फतेहपुर सीकरी, ताजमहल आदि क्यों नहीं मांगते. सुप्रीम कोर्ट में CJI संजीव खन्ना ने कहा कि आप इस पर बहस करना चाहते हैं. मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के 'परपोते की विधवा' सुल्ताना बेगम की याचिका को गलत बताते हुए CJI की बेंच ने सुनवाई से इनकार कर दिया. दरअसल, सुल्ताना बेगम ने कथित तौर पर खुद को बहादुर शाह जफर (द्वितीय) की कानूनी वारिस बताया है. याचिका में राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किले पर उन्हें कब्जा देने की मांग की गई थी. कोलकाता के पास हावड़ा में रहने वाली बेगम ने सबसे पहले 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी ओर ध्यान देगी और आर्थिक मदद करेगी.
दिल्ली हाईकोर्ट में भी हुई थी सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से पहले देश के राष्ट्रीय स्मारकों में से एक लाल किले पर अपना मालिकाना हक होने की अनोखी याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी. सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में कहा था कि 1857 में ढाई सौ एकड़ में उनके पुरखों के बनवाए लाल किले पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरन कब्जा कर लिया था. कंपनी ने उनके दादा ससुर और आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को अरेस्ट करके रंगून जेल भेज दिया था. इसके बाद लालकिले पर ब्रिटिश सरकार का कब्जा रहा और आजादी के बाद से लालकिला भारत सरकार के पास है.
दावा करने में 150 सालों से भी ज्यादा की देरी क्यों?
दिल्ली हाईकोर्ट में उस समय जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा था कि वैसे तो मेरा इतिहास बहुत कमजोर है, लेकिन आप दावा करती हैं कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने आपके साथ अन्याय किया था तो दावा करने में 150 साल से ज्यादा की देरी क्यों की. आप इतने सालों से क्या कर रही थीं.इस पर सुल्ताना बेगम के वकील विवेक मोर ने जवाब दिया था कि जब ये लोग विदेश से वापस लौटे तो स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सुल्ताना बेगम के पति मिर्जा बेदर बख्त की पेंशन बांध दी थी. हालांकि पति के मरने के बाद ये पेंशन सुल्ताना बेगम को मिल रही है लेकिन ये बताइये 6000 रुपये महीने में क्या होता है. सुल्ताना बेगम की हालात बहुत खराब है.