जब तेलुगू में याचिकाकर्ता से बात करने लगे CJI, बोले- 'बालाजी के भक्तों में धैर्य होता है' 

CJI ने कहा, "मैं, मेरे भाई, मेरी बहन, हम सब बालाजी के भक्त हैं. हम सभी पूजा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि देवस्थानम परंपराओं का ख्याल रखेगा और सभी अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों का पालन करेगा लेकिन ऐसा नहीं किया जाना चाहिए कि रजिस्ट्री पर दबाव बनाया जाए." 

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CJI एनवी रमना ने तिरुपति बालाजी पर दाखिल याचिका पर याचिकाकर्ता से तेलूगू में बात की. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में तिरुपति बालाजी (Tirupathi Balaji) में पूजा को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई उस समय रोचक हो गई, जब CJI एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने याचिकाकर्ता से तेलूगू (Telugu) में बात करनी शुरु कर दी . इससे पहले CJI ने याचिकाकर्ता सिवरा दादा से अंग्रेजी में कहा, "आप भगवान बालाजी के भक्त हैं. बालाजी भक्तों में धैर्य होता है लेकिन आपके पास धैर्य नहीं है."

CJI यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, "आप बार-बार SC रजिस्ट्री से संपर्क करते हैं. हर दिन रजिस्ट्री को याचिका सूचीबद्ध करने की धमकी देते हैं. कहते हैं कि अगर केस नहीं लगाया तो मैं मर जाऊंगा. आप इसे इस तरह नहीं कर सकते.  संस्थान की पवित्रता बनाए रखें." 

इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि यह मौलिक अधिकारों का मामला है. वहां पूजा कैसे हो रही है, इस पर सवाल है. तब CJI ने कहा कि क्या हम पूजा में हस्तक्षेप कर सकते हैं और इसे कैसे आयोजित किया जाए? उन्होंने कहा कि पूजा में कितने लोग शामिल होंगे यह एक मौलिक अधिकार है? क्या यह अदालत इस बात पर ध्यान दे कि पूजा कैसे की जाती है? 

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CJI ने कहा, "मैं, मेरे भाई, मेरी बहन, हम सब बालाजी के भक्त हैं. हम सभी पूजा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि देवस्थानम परंपराओं का ख्याल रखेगा और सभी अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों का पालन करेगा लेकिन ऐसा नहीं किया जाना चाहिए कि रजिस्ट्री पर दबाव बनाया जाए." 

इसके बाद CJI ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वो कहां के रहने वाले हैं? जब उन्होंने बताया कि वो आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं तो CJI ने तेलगू में बात करनी शुरू कर दी. काफी देर तक बात करने के बाद CJI ने तिरूमला तिरूपति देवस्थानम के वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता ने जो ज्ञापन दिया था, उस पर क्या कदम उठाया गया है?

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सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 6 अक्तूबर को करेगा. दरअसल, इस याचिका में मंदिर में पूजा पद्धति सही से ना होने का आरोप लगाया गया है. इस बेंच में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी थे जो कि उत्तर भारतीय हैं. 

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